Monday, August 9, 2010

बुरुंश के फूल

जब घुघूतीबासूती की कविता "बुरुंश के फूल" पढी तभी द्वार पर लगे इस पौधे के चित्र को साझा करने का विचार मन में आया।

बुज़ुर्गों ने हिमालय कब छोडा, पता नहीं। मगर मैं जब से बरेली छोड्कर पिट्सबर्ग बसा हूँ, अपने को पूरा पहाडी ही समझता हूँ। घर के बाहर सफेद और गुलाबी रोडोडेंड्रॉन लगे हैं। सफेद वाले को बुरुंश कहा जा सकता है या नहीं, मालूम नहीं। शब्द से परिचय शिवानी की कहानियों के द्वारा हुआ था, झाडी से परिचय बोनसाई के शौक के दौरान हुआ और जब यहाँ अपना घर लिया तो यह पौधे पहले से लगे हुए थे।

ऐज़लीया के गुलाबी और सफेद फूल


बडी पत्ती वाले रोडोडेंड्रॉन के गुलाबी फूल





क्वंज़न चेरी ब्लॉसम बहार में


वही क्वंज़न चेरी ब्लॉसम सर्दी में


चेरी ब्लॉसम बर्फ में


चेरी ब्लॉसम पतझड में
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा - All photographs by Anurag Sharma]

20 comments:

  1. मौसमों के साथ स्वरूप बदलता है पर पेड़ तो वही रहता है।

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  2. शर्मा जी बुरुंश, कहीं वो फूल तो नहीं जिसे हम अपनी पहाड़ी भाषा में बुरांश कहते हैं. इसका एकदम सुर्ख लाल रंग का फूल होता है. घुघूती जी और अपने जिस पेड़ के चित्र दिए हैं वो कुछ और ही लगता है.

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  3. पाण्डेय जी,
    पहले वाले चित्र में गुलाबी व सफेद दोनों पौधे रोडोडेंड्रोन हैं। ऐसा लगता है कि इसी की सुर्ख लाल फूल वाली प्रजाति को उत्तरांचल में बुरंश या बुरांश कहा जाता है। बाद वाले चित्र जापान से अमेरिका आयी एक बिल्कुल भिन्न प्रजाति क्वांज़न चेरी ब्लॉसम (kwanzan cherry blossom) के हैं।

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  4. बुरांश का शर्बत भी मिलता है नैनीताल में .

    हर मौसम के पेड को देख कर सोचा कि आती रहेंगी बहारे

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  5. रूमानियत सी तारी हो जाती होगी इस तरह के दरख्तों / झाडियों / पौधों के पड़ोस में रहते हुए !

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  6. वाह! मन प्रफुल्लित हो उठा मौसम के बदलते समय पर पेड़ भी पत्ते और रंग बिरंगे फूलों से हमें आनंद प्रदान करते हैं जब की पेड़ तो वही रहता है! उम्दा पोस्ट!

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  7. मनमोहक प्रस्तुति. आभार.

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  8. क्वंज़न चेरी के मौसम के अनुसार बदलते चारो चित्र अच्छे लगे.....पेड़ जैसा भी हो हरा भरा ही अच्छा लगता है......मगर समय और मौसम के अनुसार बदलाव भी नियम है....पतझड़ के बाद बाहर आयेगी और फिर से इन पेड़ो में हरयाली छा जाएगी......

    regards

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  9. मौसम के साथ लोंग क्या दरख़्त भी बदल जाते हैं ...
    सुन्दर तस्वीरें ..!

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  10. सुन्दर प्रस्तुति!

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  11. केवल चित्रों में ही देखने का सौभाग्य मिला है.. साक्षात आज तक नहीं देखा है इन्हें...
    बड़ा अच्छा लगा...आभार..

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  12. बहुत सुंदर चित्र, ऐसा लगता है ’क्वांज़न चेरी ब्लॉसम’ तो जीवन के विविध स्वरूपों की तरह अपना चोला बदलता है. मुझे तो इसके मौसमानुसार चित्र देखकर ऐसी ही अनुभूति हो रही है.

    रामराम.

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  13. बरेली तो उत्तराखण्ड का पावदान है अत: आपका प्रकृति प्रेमी व पारखी होना स्वाभाविक है ।
    प्रशंसनीय चित्रादि ।

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  14. हमें तो सर, पता नहीं क्यों ’क्वंज़न चेरी ब्लॉसम’ का पतझड़ के समय का चित्र सबसे अच्छा लगा, छा गया जी दिलो दिमाग पर।
    सच मेरे यार है????

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  15. बहुत सुंदर चित्र धन्यवाद

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  16. बहुत सुंदर .. धन्‍यवाद !!

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  17. अच्छा लगा तस्वीरें देखकर.

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  18. खूबसूरत चित्र !

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