हमने दरियादिली नहीं देखी
खूब सुनते हैं उसके अफ़साने
अंजुमन में सभी हैं अपने वहाँ
घर से बेदर हमीं हैं अनजाने
घर से बेदर हमीं हैं अनजाने
कुछ जला न धुआँ ही उट्ठा है
न वो शम्मा न हम हैं परवाने
न वो शम्मा न हम हैं परवाने
कुछ तो है खास मैं नहीं जानूँ
यूँ नहीं सब हुए हैं दीवाने
यूँ नहीं सब हुए हैं दीवाने
जाने क्या कह दिया है शर्मा ने
हमसे अब वे लगे हैं शर्माने
हमसे अब वे लगे हैं शर्माने