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मणिकर्णिका दामोदर ताम्बे (रानी लक्ष्मी गंगाधर राव)
(१९ नवम्बर १८३५ - १७ जून १८५८)
मात्र 23 वर्ष की आयु में प्राणोत्सर्ग करने वाली झांसी की वीर रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिन पर अंतर्जाल से समय समय पर एकत्र किये गये कुछ चित्रों और पत्रों के साथ ही सेनानी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की ओजस्वी कविता के कुछ अंश:
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEid9-SmsE5twaVgn0Aew3a_8nPupkSIB4eOjGtSvRf8s_jBhrM9ANYvMi6vGVSMzN5FEv4b4ZszjP73TNbhiy92h59tLWzQXA4jJ_93PKkhZgmx9eIA4xalj-uTJsZ8O4DSIFIdj-P8AOo/s200/jhansi-laxmi-bai-1850.jpg) |
रानी - 1850 में फोटोग्राफ्ड |
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg04wNDQDfXQHRsCwmWuOpyhGF5RIT4cMWSoC1_lBjWHYFh4oQfIJf_7qCdSfScfCWPto6tdd-f40VNB8heijdOTQ9_XtInz1AkdtmPE_-Po1MajjML6ikTFf6GJHcu6-dmTm9c715wOZ4/s320/Jhansi-letter1.jpg) |
युद्धकाल में रानी लिखित पत्र |
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpk0yp5foUbvUZS0SzeN7PCYsyb1ZQGycJEI9HGkAyJW_vylCHWpAi7OKuhwO17it1DC7zxDXoJVaOZFa6OM5tRgkNwn2cRazsJyThtLMrAGT8bTdGyVYvnWr6MXF96Sq3mENnQq_YlDc/s320/Jhansi-Letter2.jpg) |
युद्धकाल में रानी लिखित पत्र |
इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2_AiXRbYmAwFHylWHu1WZ12UsNZjpJSPGRGRgLlwehrb8qaZV-cGLhzCJlz8CxyrYqcuNuwT3Z05eYnvHyK5rx3z-ViDTPdKy14RDFN7gk9r-EWleEdeXVQHqec0ZuzWZqvtrCKummLs/s320/Rani_letter_to_Dalhausie.jpg) |
रानी का पत्र डल्हौज़ी के नाम |
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhicYAx64EfklMZAcaa57nTjJg54Rp7hxVf_pbW2ceDv4muxVxKeB0pIBA1iepcsYOJECHpf8tWOuaOixO2ke77nc-YLrC3LpSnEAJWfiJDTF-l3E9i7Q9d2pGrAW1LlN0fM4OlRtV4QxI/s320/laxmi_bai_invitation.jpg) |
मनु के विवाह का निमंत्रण पत्र |
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgazP0QYuxjSHEj92ogjt81MSsSwA6ik9QeUKirn_ot13HUtbFNLk9JT9hV9DkVGunpSSrk6-bhkx-MF-uCu5OizCZzVqjqg05yNk4FAlFpoHqajhbC7taKLwfOTS6DgOCzeAdPqks1xa4/s320/Rani.Of.Jhansi-amar.chitra.katha.jpg) |
अमर चित्र कथा का मुखपृष्ठ् |
तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDSgnxOB2aq4zLTeJIigO6UtT6EAPHUPoh0wJWcc-Ddv7yqfDoWjT9HBbV55PD4JWuB254tdwHbY2j6oHU6bisN0uczIE3UqrUdyibsXL_ksSyn9Op1nEL5Kp5IaZ8Bb8283_0Bc0UGTc/s1600/Laxmi-bai-Jhansi-Seal.gif) |
झांसी की रानी की आधिकारिक मुहर |
रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
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