अनुराग शर्मा |
अनुराग शर्मा
कदम राजपथ से हटाते नहीं
गली में मेरी अब वे आते नहीं।
कहीं सच में आ ही न जाये कोई
गली में मेरी अब वे आते नहीं।
कहीं सच में आ ही न जाये कोई
किसी को बेमतलब बुलाते नहीं।
अंधेरे में खुश नापसंद रोशनी
खिड़की से परदा उठाते नहीं।
नहीं होने देंगे कसक में कमी
घावों को दिल से मिटाते नहीं।
घावों को दिल से मिटाते नहीं।
जो बातें हुईं और न होंगी कभी
उन्हें भी कभी भूल पाते नहीं।
भावुक बहुत हैं कृपालु नहीं
कभी भाव अपना गिराते नहीं।
उसूलों के पक्के सदा से रहे
खाते बहुत हैं, खिलाते नहीं॥