हिंदी के बहुत से शब्दों का दुरुपयोग होता है, अक्सर बोलने में उनके मिलते-जुलते होने के कारण। ऐसा ही एक उदाहरण आवाहन और आह्वान का भी है। जैसा कि पहले कह चुका हूँ, हिंदी के बहुत से शब्दों का सत्यानाश आलसी मुद्रकों और अज्ञानी सम्पादकों ने भी किया है। संयुक्ताक्षर को सटीक रूप से अभिव्यक्त करने वाले साँचे के अभाव में वे उन्हें ग़लत लिखते रहे हैं, ह्व, ह्य, ह्र आदि भी कोई अपवाद नहीं। आह्वान का ह्व न होने की स्थिति में वे कभी आहवान तो कभी आवाहन छाप कर काम चला लेते थे। इस शब्द पर लिखने की बात पहले भी कई बार मन में आई लेकिन हर बार किसी अन्य अधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकता के कारण पीछे छूट गई। गत एक जुलाई को 'भारतीय नागरिक-Indian Citizen' की पोस्ट पर निम्न प्रश्न देखा तो आज लिखने का योग बना:
प्रश्न: आह्वान और आवाहन दोनों में अंतर है, क्या है मुझे इस समय बड़ा भ्रम है, कृपया बताएँ
उत्तर: आह्वान एक पुकार, विनती, या ललकार है। मतलब यह कि आह्वान में बोलकर कहना प्रमुख है। जबकि आवाहन में किसी को आमंत्रित करने की क्रिया है। वाहन चलने-चलाने के लिये है, आवागमन का साधन है। आवाहन में आपके देव अपने वाहन से आकर आपके सामने स्थापित होते हैं। जबकि उससे पहले आप उनके आने का आह्वान कर सकते हैं। आह्वान आप देश की जनता का भी कर सकते हैं कि वह भ्रष्टाचार का विरोध करे। आव्हान एक वचन है जबकि आवाहन एक कर्म है। आह्वान में कथन है जबकि आवाहन में विचलन है।
बढ़िया जानकारी।
ReplyDeleteआह्वाहन और आवाहन का अशुद्ध उपयोग अक्सर होता है। जिन अंतरों को आपने बताया वह हर कोई नहीं जानता। बहुत से लोग, विशेषकर दक्षिण भारत में यह कहकर अशुद्ध प्रयोग को प्रोत्साहन देते हैं कि क्या फ़र्क पड़ता है। हिंदी का प्रयोग तो कर रहा है।
ReplyDeleteसच में आज पहली बार मालूम पडा,ईमानदारी से कहूं तो हमको आह्वान शब्द ही नही मालूम था, आज फ़र्क और शब्द दोनों मालूम हुये, बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
इसी तरह कई लोग ब्राम्हण लिखते हैं ,जबकि सही शब्द है - ब्राह्मण।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-07-2017) को चर्चामंच 2663 ; दोहे "जय हो देव सुरेश" पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद
Deleteदोनों शब्दों के अंतर को बाखूबी रखा है आपने ... आशा है लोग समझेंगे और सही शब्द सही जगह प्रयोग करेंगे ... आभार आपका ...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद, मेरा भ्रम दूर करने के लिए.
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : सुनील गावस्कर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसटीक
ReplyDeleteआह्वान और आवाहन के सूक्ष्म भेद को बखूबी समझाया है आपने..आशा है भविष्य में भी ऐसी और जानकारी प्राप्त होगी. निवृत्ति और निर्वृत्ति में भी कभी-कभी भूल होती देखी है
ReplyDeleteसार्थक जानकारी ... आभार
ReplyDeletebahut khoob behtareen lekh
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन article लिखा है आपने। Share करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
ReplyDeletebahut badhiya avismarneey lekh
ReplyDeleteनाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपका ब्लॉग हमारी ब्लॉग डायरेक्ट्री में सूचीबद्व है। यदि आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
ReplyDeleteइस लिंक पर जाएं :::::
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अच्छी औऱ उपयोगी जानकारी... धन्यवाद.
ReplyDeleteAavahan karm kaise hai?
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