Tuesday, June 13, 2023

बेगाने इस शहर में

(अनुराग शर्मा)

बाग़-बगीचे, ताल-तलैया
लहड़ू, इक्का, नाव ले गये

घर, आंगन, ओसारे सारे
खेत, चौपालें, गाँव ले गये

कुत्ते, घोड़ा, गाय, बकरियाँ
पीपल, बरगद छाँव ले गये

रोटी छीनी, पानी लीला
भेजा, हाथ और पाँव ले गये

चौक-चौक वे भीख मांगते
जिनकी कुटिया, ठाँव ले गये

Tuesday, May 23, 2023

बीती को बिसार के...

(अनुराग शर्मा)

कुछ अहसान जताते बीती
और कुछ हमें सताते बीती

चाह रही फूलों की लेकिन
किस्मत दंश चुभाते बीती

जिन साँपों ने डसा निरंतर
उनको दूध पिलाते बीती

आस निरास की पींगें लेती
उम्र यूँ धोखे खाते बीती

खुल के बात नहीं हो पाई
ज़िंदगी भेद छुपाते बीती

जिनको याद कभी न आये
उनकी याद दिलाते बीती॥