जो खुश हैं यथास्थिति से
उन्हें कुछ कमी नहीं
वे कभी उकताते नहीं
नया कुछ बनाते नहीं
ज़रूरत ही पाते नहीं।
***
उन्हें कुछ कमी नहीं
वे कभी उकताते नहीं
नया कुछ बनाते नहीं
ज़रूरत ही पाते नहीं।
***
खालीपन, बंजारापन
अकुलाहट, आवारापन
शैतान का घर नहीं
अकुलाहट, आवारापन
शैतान का घर नहीं
सरस्वती का वास है
नवनिर्माण की आस है।
***
***
बोरियत उदासी नहीं
चयन का अभाव नहीं
उनसे उकताहट है
वर्तमान विकल्पों से कहीं आगे
एक नये क्षितिज की चाहत है।
***
वाक़ई कुछ न कुछ नया करते रहने से मन-मस्तिष्क तरो-ताजा बने रहते हैं और नव निर्माण भी हो जाता है, जैसे प्रकृति नित नया सृजन करती ही जाती है
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 05 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteअतीव सुंदर जीवन सतत नवसंकल्पों की चाहत है । एक विस्तृत अनन्त क्षितिज की चिर अभिलाषी .. बढ़ते रहना ...
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete