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कुछ समय पहले मैंने शाकाहार पर एक शृंखला लिखी थी जिसमें अन्य बातों के साथ पर्यावरण पर शाकाहार के अच्छे प्रभाव का ज़िक्र भी नैसर्गिक रूप से आ गया था। हम भारतीय तो नसीब वाले हैं कि हमारे देश में अहिंसा, प्राणीप्रेम और शाकाहार की हजारों वर्ष पुरानी परम्परा रही है। अहिंसक विचारधारा की जन्मभूमि में आज भले ही कुछ लोग शाकाहार को पुरातनपंथी मानने लगे हों, शाकाहार का डंका विश्व भर में बज रहा है। व्यक्तिगत रूप से तो शाकाहार विश्व भर में ही प्रचलन में आ रहा है परन्तु बेल्जियम के गेंट नगर ने इसे आधिकारिक बनाकर इतिहास ही रच डाला है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मांसाहार के दुष्प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से बेल्जियम के गेंट के नगर प्रशासन ने हर सप्ताह एक दिन (गुरूवार को) 'शाकाहार दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन नगर के अधिकारी और चुने गए जन-प्रतिनिधि शाकाहारी भोजन करेंगे और स्कूली बच्चे भी अपने तरीके से शाकाहार दिवस को मनाएँगे।
नगर प्रशासन को विश्वास है कि इस प्रयोग से धरा को क्षति पहुँचाने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी तो होगी ही, लगे हाथ मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से छुट्टी भी मिल जायेगी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि विश्व में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन का एक बड़ा भाग मांस के कारखानों से आता है। हम तो इतना ही कहेंगे - बधाई गेंट, बधाई बेल्जियम! आपने पहल की है, अन्य देश-नगर भी धीरे-धीरे सीख ही लेंगे।
आज का सवाल: लगभग पांच शताब्दी पहले एक मुस्लिम सम्राट ने शाकाहार की खूबियों को देखते हुए यह निश्चित किया कि राजमहल में शुक्रवार का दिन अहिंसक भोजन का दिन हुआ करेगा। इस सम्राट का धर्मान्ध प्रपौत्र पीने के लिए गंगाजल के प्रयोग के लिए भी मशहूर है। क्या आप इन दोनों में से किसी का भी नाम बता सकते हैं?
प्रश्नोँ के उत्तर तो आप ही बतायेँ - बेल्जियम वाले बुध्धिमान हैँ सही निर्णय लिया
ReplyDelete- लावण्या
गेंट नगर प्रशासन को बधाई. सुन्दर जानकारी. आपके प्रश्न का उत्तर तो नहीं मालूम.
ReplyDeleteनही बता सकते इतिहास का ज्ञान जरा कम है
ReplyDeleteअच्छी खबर सुने आपने. मुग़ल सम्राट में से एक तो अकबर है ही. पर औरन्जेब पे डाउट है.
ReplyDeleteKya vo SAMRAT AKBAR HAI?
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
शाकाहार से होने वाले फायदे को हिन्दुस्तानी तो जानते ही हैं.....अब पश्चिम वाले भी जानने लगे हैं..........सुन्दर लेख है आपका
ReplyDeleteबधाई गेंट, बधाई बेल्जियम! आपने पहल की है, अन्य देश-नगर भी धीरे-धीरे सीख ही लेंगे.साथ ही इस खबर के लिये आपको भी बधाई.
ReplyDeleteऔर आपके सवाल का जवाब पढा हुआ तो है पर याद नही कर पा रहे हैं शायद बुढौती का असर है.:)
पर हम ओझा जी के साथ रहेंगे और उत्तर आपकी अगली पोस्ट मे देखेंगे.
रामराम.
यह विषय तो मेरे भी ह्रदय के निकट है...शाकाहार के प्रचार प्रसार में सहयोग करने वाले के प्रति अनायास ही नतमस्तक हो जाती हूँ....
ReplyDeleteसो आपका कोटिशः आभार...
मुग़ल बादशाह अकबर को गंगाजल पर इतनी अपार श्रद्धा थी कि उसके पाकशाला में भोजन पकाने के लिए गंगाजल का ही प्रयोग होता था.उन्होंने ही शाकाहार के प्रति भी अपनी श्रद्धा दिखाते हुए शुक्रवार को शाकाहार का दिन घोषित किया था.
शाकाहार , चलिए विदेशो मे यह परम्परा शुरू हो तभी हम हिन्दुस्तानी अपनाएंगे क्योकि विदेशी परम्परा हमें ज्यादा लुभाती है .
ReplyDeleteहम तो हमेशा एक बात कह सकते हैं कि बिना मांसाहार के जीवन संभव है, बिना शाकाहार के नहीं। माँसाहार तभी उपलब्ध होता है जब वह कई गुना शाकाहार का उपयोग कर चुका होता है।
ReplyDeleteकमाल है - यहां भारत में मध्यवर्ग अब मांसाहारोन्मुख है। नई पीढ़ी फ्राइड चिकन की दीवानी हो रही है। यह सब इतने बड़े देश में बढ़ते पैमाने पर होने से तो पर्यावरण का रेप तय है।
ReplyDeleteये तो बड़ी अच्छी बात बतायी आपने अनुराग जी...
ReplyDeleteऔर मुगल सम्राट शायद जहाँगीर थे..शाकाहार शुक्रवार वाले
अनुराग जी,
ReplyDeleteमैं किसी फ्राईड चिकन के ब्राण्ड़ विशेष को प्रमुखता ना देते हुये इतना जरूर कह सकता हूँ कि एक ओर हम जहाँ मांसाहार की ओर बढ रहे हैं बहीं पश्चिम के एक देश में शाकाहार को बढावा मिल रहा है।
स्वागत का विषय है और अपने लिये खेद का।
जानकारी भरे पोष्ट के लिये साधुवाद।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
हम सभी की आंख खोलने वाली है ये पोस्ट, विशेषकर उनके लिये जिन्हे मांसाहार के बिना एक दिन भी नही चलता.
ReplyDeleteमलेशिया के पेनांग शहर में एक शाकाहारी रेस्टोरेंट खुला है, जहां मुझे मेरे एक क्लायंट ने खाना खिलाया था.श्री श्री रविशंकर जी के प्रवचनों द्वारा प्रभावित चीनी मूल का एक युवा समूह इसे चला रहा है!!