Saturday, May 30, 2009
जून का आगमन
तदैव लग्नं सुदिनं तदैव, ताराबलं चंद्रबलं तदैव
विद्याबलं दैवबलं तदैव लक्ष्मिपतिम तेंघ्रियुग्मस्मरामि
जैसा कि उपरोक्त संस्कृत वचन से स्पष्ट है कि प्रभु के बनाए सभी दिन, लग्न, मुहूर्त आदि सबके लिए समान रूप से शुभ होते हैं। फिर भी यह मानव मन की प्रकृति है जो चाहे अनचाहे शुभ मुहूर्त ढूंढती रहती है। तथाकथित भविष्यविज्ञानी (दरअसल भूत-वक्ता) भी मानव मन की इस कमजोरी का भरपूर लाभ उठाते रहे हैं। अपने बचपन के दिन याद करुँ तो, तब अधिकाँश भारतीय पत्र-पत्रिकाओं में वर्ष के अंत में अगले वर्ष का भविष्य-फल छपा करता था और बड़े चाव से पढा भी जाता था। लोग उस पर चर्चा भी करते थे और विश्वास भी। चर्चा में कभी-कभार मैं भी भाग लेता था मगर मेरे सामने विश्वास-अविश्वास का प्रश्न नहीं था क्योंकि मैं दिसम्बर के महीने में हमेशा ही भविष्यफल पढता तो था मगर आने वाले वर्ष का नहीं बल्कि गुज़रे हुए वर्ष का। ऐसा मैंने लगभग एक दशक तक किया और भविष्यफल को अधिकांशतः ग़लत ही पाया। भाषा के लच्छों में लपेटे हुए कयास अक्सर मेरे जैसे बालक द्वारा रखी गयी संभावनाओं से भी गए गुज़रे होते थे, उनके सही होने का तो सवाल ही नहीं उठता था। जो बात सबसे ज़्यादा व्यथित करती थी वह थी इन भविष्यवक्ताओं की अभिरुचि का दायरा। वे विकास, जनोत्थान की बात नहीं करते थे बल्कि "किसी राजनेता की गंभीर बीमारी की संभावना", "पड़ोसी देश से युद्ध की आशंका", "कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की भविष्यवाणी" और "सट्टा बाज़ार का रुझान" बताते थे।
ज़ाहिर है कि दिसम्बर का महीना मेरे लिए बहुत रोचक था मगर मेरा प्रिय महीना तो जून का ही था। स्कूल की छुट्टियां शुरू हो जाती थीं और अपने नाते-रिश्तेदारों से मिलना, दूर-दूर घूमना शुरू हो जाता था। और निर्बंध होने की वह बेफिक्री, उसका तो कोई जवाब ही नहीं था। कभी कभी इस बात का दुःख भी होता था कि मई या जुलाई की तरह जून में ३१ दिन क्यों नहीं होते हैं. फिर इस बात का संतोष भी होता था कि चलो यह मास फरवरी से तो बड़ा ही है।
जून में न तो दीवाली होती थी और न ही होली। न रंग फेंकते थे और न ही आतिशबाजी होती थी मगर हम पतंग खूब उडाते थे। बरेली की पतंग और बरेली का ही मांझा। क्या पेंच लड़ते थे? पड़ोस में रहने वाला फीरोज़ अक्सर लंगड़ (डोर में पत्थर बांधकर बनाया गया लंगर) डालकर उडती पतंगों को अपनी छत पर गिराकर चुरा लिया करता था। भगवान् जाने आजकल कहाँ लंगड़ डाल रहा होगा।
जून मास मुझे इतना प्रिय था कि मैंने अपनी बेटी का नाम भी जून रखने के बारे में सोचा था। परसों एक जून उसी प्रिय मास का पहला दिन है। हिन्दी फ़िल्म "ब्लैक" समेत दुनिया भर में अनेकों फिल्मों और लोगों की प्रेरणा-स्रोत बनी हेलन केलर का जन्म दिन भी एक जून को ही होता है। उनके अलावा प्रसिद्ध अभिनेत्री मर्लिन मनरो और "डेनिस द मेनास" के रचयिता "हेंक केचम" भी इसी दिन जन्मे थे। बहुत सी अन्य विभूतियाँ जैसे कि ब्लेज़ पास्कल, मक्सिम गोर्की, सलमान रश्दी, प्रकाश पादुकोण और पोल मैककोर्टनी(बीटल) भी इसी महीने में जन्मी थीं। वैसे कुछ खगोल-वैज्ञानिकों का दावा है कि प्रभु यीशु भी २५ दिसम्बर को नहीं बल्कि 17 जून, २ ई.पू. को पैदा हुए थे। विस्तार से पढने के इच्छुक लोग यह लेख देख सकते हैं। अगर धार्मिक लोगों में वैज्ञानिक सोच का विस्तार होने लगे तो वह दिन दूर नहीं है जब हम क्रिसमस जून में मनाया करेंगे।
जो भी हो मैं जून-प्रसन्न हूँ तो सोचा कि अपनी खुशी आप लोगों के साथ बाँट लूँ। शुभ जून।
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वाह, ज्योतिष का यह तरीका पसन्द आया देखने का। इस तरह से भविष्यवाणियां वैलिडेट की जा सकती हैं।
ReplyDeleteपर भविष्यवाणियां इतनी टेनटेटिव भाषा में होती हैं कि सामान्यत: चित भी उनकी और पट भी!
रोचक जानकारी...
ReplyDeleteये तो पहली बार पढा कि येसु का जन्म दिन १ मई को हुआ.वह लिएख भी पढूंगा.मैंने भी कोशिश की है, श्री राम के जन्म दिन पर कुछ प्रकाश डाल सकूं.
वैसे मानव के जीवन काल में घटित हर घटना के पीछे तीन बातों का प्रभाव होना चाहिये, ऐसा मैं मानता हूं. एक तो उसका प्रारब्ध, दूसरा उसके जन्म के समय तारों की स्थिति(गोचर) और जिस जगह पर वह भौतिक रूप में विचरण करता है, उसका प्रभाव.मगर इन सबसे प्रभावशाली है, उसका कर्म और ईश्वर में आस्था,विश्वास!!
मगर थोक में भविष्य करना तो हास्यास्पद ही है.
That was very clever of you to read the predictions from past year & forecasts Anurag bhai !
ReplyDeleteJune month is my Fav. too ..Sopan & his Dad both
have their birth days in June !
Good to read all other June born folks info.
That was very clever of you to read past years predictions Anurag bhai
ReplyDeleteJune has birthdays f 2 Family members so i like this month as well.
( sorry to comment in Eng. I'm away from my PC )
दिलचस्प आलेख अनुराग जी
ReplyDeleteछुट्टियों और आम के बगीचों के दिन में आप खींच ले गए !
ReplyDeleteजून माह के बारे मे बडी सुंदर जानकारी. ज्योतिषिय दृष्टिकोण का भी आपने बिल्कुल सटीक विश्लेषण किया.
ReplyDeleteऔर जून का आपने जो छूट्टी वाले महिने से कनेक्शन मिलाया है उस दृष्टि से कभी सोचा ही नही था. पर आज आपने वो तर्क रख दिया कि अब हमारा भी सबसे प्रिय महिना जून ही है.:)
रामराम.
interesting !
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर !
ReplyDeleteजून में इतने महानुभाव पैदा हुवे है...जान कर अच्छा लगा.............आपकी जानकारी के लिए आभार ............ यीशु भी जून में पैदा हुवे................. लेख पढ़ना पढेगा ..............
ReplyDeleteआपका ब्लाग अच्छा लगा।
ReplyDeleteजून वार्ता अच्छी लगी अनुराग जी,
ReplyDeleteघणे दिनों की राम-राम...
kamaal ka likhaa hai...jab main school me tha,tab june ke beech me chhuttiyan khatm hoti thi..college me aane ke baad to poore june me chuutiiyan hi rehti hai....3 saal se june ke maheene me chhutti manaayee hai... :)
ReplyDeletewww.pyasasajal.blogspot.com
मई और जून तो हमको भी बहुत पसंद थे!स्कूल की छुट्टियां,नानी के घर मे सब रिश्तेदारों का इकट्ठा होना।मौज-मस्ती अमराईयों मे खेलना,नदी मे नहाना।सब पता नही कहां छूट गया। अब न पतंगे है,न अमराईओं मे जाते है और न नदी मे नहाने लायक पानी होता है।गर्मी तब भी होती थी अब भी है मगर तब गर्मी और लू से बचने के लिये जेब मे प्याज रख कर घर से बाहर निकल कर खेलते थे मगर अब लू से डर लगता है।सब कुछ पता नही कहां छूट गया,फ़िर उसी दुनिया मे ले जाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteकिसी समय मेरे ऊपर भी ज्योतिष विद्या सीखने का बड़ा भूत सवार हुआ था...हस्तरेखा विज्ञान पर मैंने खूब पढ़ा और खूब कयास लगाये जिसमे की अधिकांशतः ही सत्य हुआ करते थे...इस बात ने मुझे जितना romanch दिया उतना ही भयभीत भी किया....क्योंकि केवल दूसरों के हाथ देखो,ऐसा तो हुआ नहीं करता,अपने हाथ में nihit bhavishy की durghatnaye बहुत ही भयभीत करती thin.....
ReplyDeleteलेकिन बाद में मुझे ahsaas हुआ की karm में वह shakti है,जो likhe को बहुत हद तक बदल सकती है....तो जब karm ही pramukh है तो,,bhagy का munh क्या johna...उसके बाद से इस से pooree तरह निकल गयी...
अब pooree manushy jaati को barah bhagon(barah rashiyon ) में baant uskee bhavishyvanee करना बहुत हद तक haasyaspad है.....और इसे lakeer maankar ispar chalna,moorkhta ही है..
बड़ा ही vicharottejak लगा आपका यह aalekh...
लगता है vyastta बहुत badh गयी है आपकी,बहुत दोनों बाद आपने post dali....aapse anurodh है की ,इतना lamba antraal न rakha करें.
हमे भी साल का जून मास सबसे प्यारा लगता है या जनवरी। एक साल की शुरुआत का और दूसरा सत्र की शुरुआत का।
ReplyDelete"पड़ोस में रहने वाला फीरोज़ अक्सर लंगड़ (डोर में पत्थर बांधकर बनाया गया लंगर) डालकर उडती पतंगों को अपनी छत पर गिराकर चुरा लिया करता था। भगवान् जाने आजकल कहाँ लंगड़ डाल रहा होगा।"
ReplyDeleteसंस्मरण आद्योपान्त रोचकता से भरपूर रहा।
हम तो यही चाहते है हजूर की आपका सारा साल खूबसूरत जाए .वैसे इस महीने से जुड़े आपके लगाव ने एक ओर विविध शख्सियत की विवधता का अहसास कराया .
ReplyDeleteअनुराग जी भविष्यवाणियां तो आज तक गोर से नही पढी, क्योकि इन पर विशवास नही, लेकिन जुन मै हम भी पेदा हुये थे,इस कारण आप का यह लेख बहुत प्यारा लगा. धन्यवाद
ReplyDeleteआप की बात सही है पुराने साल की भविष्यवाणी पढ़ कर ज्यादा तर यही मसूस होता है कि ज्योतिष गलत है......हाल ही मे मैनें भी पुराने माह की भविष्यवाणी यो को देखा था.....सो गलत पाया......या फिर ऐसा पाया जो गोल मोल तरीके से लिखने के कारण सही-सी लगने लगती हैं।लेकिन फिर भी ज्योतिष मे कुछ बाते सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं।.....
ReplyDeleteजून की जय हो। आपका दोस्त भी कहीं लंगड़ डालकर इसे पढ़ रहा हो शायद! छुट्टी का महीना सबसे प्यारा होता है। :)
ReplyDeleteभाषिक रवानी और ताजगी देखते ही बनती है।
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