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Thursday, October 28, 2010

लक्ष्मी स्वामिनाथन सहगल - एक और वीरांगना

चित्र अंतर्जाल अभिलेख से साभार
(जन्म:24 अक्टूबर 1914 – अवसान:23 जुलाई 2012)

मद्रास उच्च न्यायालय के सफल वकील डॉ0 स्वामिनाथन के घर खुशियाँ मनाई जा रही थीं। 24 अक्तूबर 1914 को उनके घर लक्ष्मी सी बेटी का जन्म हुआ था जिसका नाम उन्होने लक्ष्मी ही रखा, लक्ष्मी स्वामिनाथन। लक्ष्मी की माँ अम्मुकुट्टी एक समाज सेविका और स्वाधीनता सेनानी थीं। लक्ष्मी पढाई में कुशल थीं। सन 1930 में पिता के देहावसान का साहसपूर्वक सामना करते हुए 1932 में लक्ष्मी ने विज्ञान में स्नातक परीक्षा पास की। 1938 में उन्होने मद्रास मेडिकल स्कूल से ऐमबीबीएस किया और 1939 में जच्चा-बच्चा रोग विशेषज्ञ बनीं। कुछ दिन भारत में काम करके 1940 में वे सिंगापुर चली गयीं।

सिंगापुर में उन्होने न केवल भारत से आये आप्रवासी मज़दूरों के लिये निशुल्क चिकित्सालय खोला बल्कि भारत स्वतंत्रता संघ की सक्रिय सदस्या भी बनीं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में जब अंग्रेज़ों ने सिंगापुर को जापानियों को समर्पित कर दिया तब लक्ष्मी जी ने आहत युद्धबन्दियों के लिये काफी काम किया। उसी समय ब्रिटिश सेना के बहुत से भारतीय सैनिकों के मन में अपने देश की स्वतंत्रता के लिये काम करने का विचार उठ रहा था।

दो जुलाई 1943 का दिन ऐतिहासिक था जब सिंगापुर की धरती पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कदम रखे। उनकी सभाओं और भाषणों के बीच आज़ाद हिन्द फौज़ की पहली महिला रेजिमेंट के विचार ने मूर्तरूप लिया जिसका नाम वीर रानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में झांसी की रानी रेजिमेंट रखा गया। 22 अक्तूबर 1943 को डॉ0 लक्ष्मी स्वामिनाथन झांसी की रानी रेजिमेंट में कैप्टेन पद की सैनिक अधिकारी बन गयीं। बाद में उन्हें कर्नल का पद मिला तो वे एशिया की पहली महिला कर्नल बनीं। बाद में वे आज़ाद हिन्द सरकार के महिला संगठन की संचालिका भी बनीं।

विश्वयुद्ध के मोर्चों पर जापान की पराजय के बाद सिंगापुर में पकडे गये आज़ाद हिन्द सैनिकों में कर्नल डॉ लक्ष्मी स्वामिनाथन भी थीं। चार जुलाई 1946 में भारत लाये जाने के बाद उन्हें बरी कर दिया गया। नेताजी के दायें हाथ मेजर जनरल शाहनवाज़ व कर्नल गुरबक्ष सिंह ढिल्लन और कर्नल प्रेमकुमार सहगल पर लाल किले में देशद्रोह आदि के मामलों के मुकदमे चले जिसमें पण्डित नेहरू, भूलाभाई देसाई और कैलाशनाथ काटजू की दलीलों के चलते उन तीनों वीरों को बरी करना पडा।

लाहौर में मार्च १९४७ में कर्नल प्रेमकुमार सहगल से शादी के बाद डॉ0 लक्ष्मी स्वामिनाथन कानपुर में बस गयीं। बाद में वे सक्रिय राजनीति में आयीं और 1971 में मर्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से राज्यसभा की सदस्य बनीं। 1998 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मनित किया गया। 2002 में 88 वर्ष की आयु में उन्होने वामपंथी दलों की ओर से श्री ए पी जे अब्दुल कलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लडा था।

चित्र: रिडिफ के सौजन्य से
कम्युनिस्ट नेत्री बृन्दा करात की फिल्म अमू की अभिनेत्री और स्वयम एक कम्युनिस्ट नेत्री सुभाषिनी अली इन्हीं दम्पत्ति की पुत्री हैं। डॉ सहगल के पौत्र और सुभाषिनी और मुज़फ्फर अली के पुत्र शाद अली साथिया, बंटी और बब्ली आदि फिल्मों के सफल निर्देशक रह चुके हैं। प्रसिद्ध नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई उनकी सगी बहन हैं।

[मूल आलेख: अनुराग शर्मा; गुरुवार 28 अक्टूबर 2010; Thursday, October 28, 2010)

अपडेट: 23 जुलाई 2012: आज आज़ाद हिन्द की इस अद्वितीय वीरांगना के देहांत का दुखद समाचार मिला है। कैप्टन डा॰ लक्ष्मी सहगल अब इस संसार में नहीं हैं ... विनम्र श्रद्धांजलि!

जनसत्ता 24 जुलाई 2012 में कैप्टन सहगल के देहावसान का समाचार

सम्बन्धित कड़ियाँ
* आजाद भारत की लक्ष्मीबाई..कैप्टन लक्ष्मी सहगल
* लक्ष्मी सहगल - विकीपीडिया
* कैप्टन लक्ष्मी सहगल का निधन

Monday, October 27, 2008

शुभ दीपावली - बहुत बधाई और एक प्रश्न

दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी को परिजनों और मित्रों सहित बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है की वह आपको शक्ति, सद्बुद्धि और समृद्धि देकर आपका जीवन आनंदमय करे! दीपावली के अवसर पर मैंने यहाँ पद्म पुराण में वर्णित देवराज इन्द्र कृत महालाक्षम्यष्टकम का पाठ देवनागरी में लिखने का प्रयास किया है। भूल-चूक के लिए क्षमा करें।
* आज का प्रश्न:
अगर लक्ष्मी का वाहन उल्लू है और दीवाली लक्ष्मी के आह्वान की रात है तो हम इतनी रोशनी की चकाचौंध से क्या उल्लू की आँखें चौंधिया कर लक्ष्मी जी को वापस तो नहीं भेज देते हैं?
(संकेत इसी पोस्ट में है)

नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगतस्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्ति मान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित:॥१०॥
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥

सम्बन्धित कड़ियाँ
* शुभ दीपावली - बहुत बधाई और एक प्रश्न
* हमारे पर्व और त्योहार