जब घुघूतीबासूती की कविता "बुरुंश के फूल" पढी तभी द्वार पर लगे इस पौधे के चित्र को साझा करने का विचार मन में आया।
बुज़ुर्गों ने हिमालय कब छोडा, पता नहीं। मगर मैं जब से बरेली छोड्कर पिट्सबर्ग बसा हूँ, अपने को पूरा पहाडी ही समझता हूँ। घर के बाहर सफेद और गुलाबी रोडोडेंड्रॉन लगे हैं। सफेद वाले को बुरुंश कहा जा सकता है या नहीं, मालूम नहीं। शब्द से परिचय शिवानी की कहानियों के द्वारा हुआ था, झाडी से परिचय बोनसाई के शौक के दौरान हुआ और जब यहाँ अपना घर लिया तो यह पौधे पहले से लगे हुए थे।
क्वंज़न चेरी ब्लॉसम बहार में
वही क्वंज़न चेरी ब्लॉसम सर्दी में
चेरी ब्लॉसम बर्फ में
चेरी ब्लॉसम पतझड में
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा - All photographs by Anurag Sharma]
बुज़ुर्गों ने हिमालय कब छोडा, पता नहीं। मगर मैं जब से बरेली छोड्कर पिट्सबर्ग बसा हूँ, अपने को पूरा पहाडी ही समझता हूँ। घर के बाहर सफेद और गुलाबी रोडोडेंड्रॉन लगे हैं। सफेद वाले को बुरुंश कहा जा सकता है या नहीं, मालूम नहीं। शब्द से परिचय शिवानी की कहानियों के द्वारा हुआ था, झाडी से परिचय बोनसाई के शौक के दौरान हुआ और जब यहाँ अपना घर लिया तो यह पौधे पहले से लगे हुए थे।
ऐज़लीया के गुलाबी और सफेद फूल |
बडी पत्ती वाले रोडोडेंड्रॉन के गुलाबी फूल |
क्वंज़न चेरी ब्लॉसम बहार में
वही क्वंज़न चेरी ब्लॉसम सर्दी में
चेरी ब्लॉसम बर्फ में
चेरी ब्लॉसम पतझड में
[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा - All photographs by Anurag Sharma]
मौसमों के साथ स्वरूप बदलता है पर पेड़ तो वही रहता है।
ReplyDeleteशर्मा जी बुरुंश, कहीं वो फूल तो नहीं जिसे हम अपनी पहाड़ी भाषा में बुरांश कहते हैं. इसका एकदम सुर्ख लाल रंग का फूल होता है. घुघूती जी और अपने जिस पेड़ के चित्र दिए हैं वो कुछ और ही लगता है.
ReplyDeleteपाण्डेय जी,
ReplyDeleteपहले वाले चित्र में गुलाबी व सफेद दोनों पौधे रोडोडेंड्रोन हैं। ऐसा लगता है कि इसी की सुर्ख लाल फूल वाली प्रजाति को उत्तरांचल में बुरंश या बुरांश कहा जाता है। बाद वाले चित्र जापान से अमेरिका आयी एक बिल्कुल भिन्न प्रजाति क्वांज़न चेरी ब्लॉसम (kwanzan cherry blossom) के हैं।
बुरांश का शर्बत भी मिलता है नैनीताल में .
ReplyDeleteहर मौसम के पेड को देख कर सोचा कि आती रहेंगी बहारे
रूमानियत सी तारी हो जाती होगी इस तरह के दरख्तों / झाडियों / पौधों के पड़ोस में रहते हुए !
ReplyDeleteवाह! मन प्रफुल्लित हो उठा मौसम के बदलते समय पर पेड़ भी पत्ते और रंग बिरंगे फूलों से हमें आनंद प्रदान करते हैं जब की पेड़ तो वही रहता है! उम्दा पोस्ट!
ReplyDeleteमनमोहक प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteक्वंज़न चेरी के मौसम के अनुसार बदलते चारो चित्र अच्छे लगे.....पेड़ जैसा भी हो हरा भरा ही अच्छा लगता है......मगर समय और मौसम के अनुसार बदलाव भी नियम है....पतझड़ के बाद बाहर आयेगी और फिर से इन पेड़ो में हरयाली छा जाएगी......
ReplyDeleteregards
मौसम के साथ लोंग क्या दरख़्त भी बदल जाते हैं ...
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें ..!
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteकेवल चित्रों में ही देखने का सौभाग्य मिला है.. साक्षात आज तक नहीं देखा है इन्हें...
ReplyDeleteबड़ा अच्छा लगा...आभार..
बहुत सुंदर चित्र, ऐसा लगता है ’क्वांज़न चेरी ब्लॉसम’ तो जीवन के विविध स्वरूपों की तरह अपना चोला बदलता है. मुझे तो इसके मौसमानुसार चित्र देखकर ऐसी ही अनुभूति हो रही है.
ReplyDeleteरामराम.
बरेली तो उत्तराखण्ड का पावदान है अत: आपका प्रकृति प्रेमी व पारखी होना स्वाभाविक है ।
ReplyDeleteप्रशंसनीय चित्रादि ।
हमें तो सर, पता नहीं क्यों ’क्वंज़न चेरी ब्लॉसम’ का पतझड़ के समय का चित्र सबसे अच्छा लगा, छा गया जी दिलो दिमाग पर।
ReplyDeleteसच मेरे यार है????
बहुत सुंदर चित्र धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर .. धन्यवाद !!
ReplyDeleteअच्छा लगा तस्वीरें देखकर.
ReplyDeleteउम्दा पोस्ट के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteब्लॉग4वार्ता की 150वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है
खूबसूरत चित्र !
ReplyDeleteabsolutely fabulous !maza a gaya bhai !!
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