दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी को परिजनों और मित्रों सहित बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है की वह आपको शक्ति, सद्बुद्धि और समृद्धि देकर आपका जीवन आनंदमय करे! दीपावली के अवसर पर मैंने यहाँ पद्म पुराण में वर्णित देवराज इन्द्र कृत महालाक्षम्यष्टकम का पाठ देवनागरी में लिखने का प्रयास किया है। भूल-चूक के लिए क्षमा करें।
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगतस्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्ति मान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित:॥१०॥
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥
* हमारे पर्व और त्योहार
* आज का प्रश्न: अगर लक्ष्मी का वाहन उल्लू है और दीवाली लक्ष्मी के आह्वान की रात है तो हम इतनी रोशनी की चकाचौंध से क्या उल्लू की आँखें चौंधिया कर लक्ष्मी जी को वापस तो नहीं भेज देते हैं? (संकेत इसी पोस्ट में है) |
नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगतस्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्ति मान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित:॥१०॥
त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा॥११॥
सम्बन्धित कड़ियाँ* शुभ दीपावली - बहुत बधाई और एक प्रश्न
* हमारे पर्व और त्योहार
क्या पता आप ही ज्ञानवर्धन कर दो!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
नमस्ते गरुडारूढे ???
ReplyDeleteसिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
:-)
परिवार मेँ सभी से मेरी ओर से दीपावली की बधाईयाँ दीजियेगा और मिठाई भी खाइयेगा :)
स्नेह सहित,
- लावण्या
बहुत बहुत धन्यवाद, मेरा 12 वर्षीय पुत्र बहुत दिनों से इसकी प्रिंट प्रति मांग रहा था ।
ReplyDeleteआपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
saheb jee, desh me question nahin answer chahiye.
ReplyDeletenarayan narayan
आपको और आपके समूचे परिवार को हार्दिक बधाइयां और
ReplyDeleteशुभ-कामनाएं
दीवाली की शुभकामनाएं - आप को और समस्त परिवार को.
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपोत्सव की शुभ कामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें। यही प्रभू से प्रार्थना है।
ReplyDeleteआपको परिवार और इष्ट मित्रो सहित दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआज आपने बहुत ही सुंदर प्रार्थना वाली पोस्ट लिखी है ! हमारे बाबूजी ने इस मन्त्र को हमें बहुत पहले ही कंठस्थ, लट्ठ मार मार के, करवा दिया था ! और ये हिदायत दी थी की आफिस में कुर्सी पर बैठने से पहले इस स्तोत्र का मन में स्मरण करने के बाद ही कुर्सी ग्रहण करना ! मुश्किल से १ मिनट भी नही लगता ! आज तक यह आदेश पालन होता है ! और हमने अपने बेटे को भी करवा दिया है ! पर लट्ठ नही मारे ! :)
किसी भी प्रोफेशन वाले व्यक्ति के लिए दिन शुरू करने के लिए इससे उत्तम प्रार्थना हो ही नही सकती ! ये केवल लक्ष्मी जी की प्रार्थना ही नही है ! बल्कि सम्पूर्ण सृष्टी कर्ता के प्रति अपना समर्पण भाव है ! और मंत्रो की अपनी शक्ति है यह तो इनको करने के बाद ही कोई महसूस कर सकता है केवल आपके मेरे कहने से कुछ नही हो सकता !
आपके प्रश्न का जवाब :- निम्न श्लोक में है ! मा. लावण्या जी ने भी मुस्कराते हुए इशारा किया है !`
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥४॥।
क्योंकि उल्लू महाराज को मुर्ख की संज्ञा प्राप्त है और अर्थोपार्जन में बुद्धि की जरुरत होती है ! और बुद्धि देवी सरस्वती दे देती है पर उनके द्वारा दी गई बुद्धि को लक्ष्मी उल्लू रूपी बुद्धि से ओवरलेप कर देती हैं ! अत: यह उल्लू रूपी बुद्धि को रोशनी दिखा कर दूर करने का प्रतीक है ! यो भी उल्लू जी रोशनी में चोंधिया कर आदमी की बुद्धि को प्रभावित ना कर सके , इसलिए यह
रोशनी की जाती है ! :)
हमने यही सोच कर उल्लुओं को कैद करके रखा है की हमारी उल्लू रूपी बुद्धि कुछ गलत निर्णय ना करवादे इस ५ दिनी पर्व पर ! : ) इसके बाद इनको आजाद कर देंगे ! हमारी ताऊ बुद्धि तो ऐसा ही अनुमान कर रही है ! आपके जवाब का इंतजार रहेगा ! और मेरे हिसाब से सही जवाब तो राज भाटिया जी, योगीन्द्र मोदगील जी और बाबा भूतनाथ ही दी सकते हैं ! ये हरयाणवी हैं और इनके यहाँ कल्चर के नाम पर एग्रीकल्चर है सो देखिये ये क्या जवाब देते हैं ! :) इनके द्वारा की गई परिभाषा ग़लत सही जो भी हो ! पर मनो रंजक जरुर होगी ! :)
आपको परिवार और इष्ट मित्रो सहित दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआज आपने बहुत ही सुंदर प्रार्थना वाली पोस्ट लिखी है ! हमारे बाबूजी ने इस मन्त्र को हमें बहुत पहले ही कंठस्थ, लट्ठ मार मार के, करवा दिया था ! और ये हिदायत दी थी की आफिस में कुर्सी पर बैठने से पहले इस स्तोत्र का मन में स्मरण करने के बाद ही कुर्सी ग्रहण करना ! मुश्किल से १ मिनट भी नही लगता ! आज तक यह आदेश पालन होता है ! और हमने अपने बेटे को भी करवा दिया है ! पर लट्ठ नही मारे ! :)
किसी भी प्रोफेशन वाले व्यक्ति के लिए दिन शुरू करने के लिए इससे उत्तम प्रार्थना हो ही नही सकती ! ये केवल लक्ष्मी जी की प्रार्थना ही नही है ! बल्कि सम्पूर्ण सृष्टी कर्ता के प्रति अपना समर्पण भाव है ! और मंत्रो की अपनी शक्ति है यह तो इनको करने के बाद ही कोई महसूस कर सकता है केवल आपके मेरे कहने से कुछ नही हो सकता !
आपके प्रश्न का जवाब :- निम्न श्लोक में है ! मा. लावण्या जी ने भी मुस्कराते हुए इशारा किया है !`
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥४॥।
क्योंकि उल्लू महाराज को मुर्ख की संज्ञा प्राप्त है और अर्थोपार्जन में बुद्धि की जरुरत होती है ! और बुद्धि देवी सरस्वती दे देती है पर उनके द्वारा दी गई बुद्धि को लक्ष्मी उल्लू रूपी बुद्धि से ओवरलेप कर देती हैं ! अत: यह उल्लू रूपी बुद्धि को रोशनी दिखा कर दूर करने का प्रतीक है ! यो भी उल्लू जी रोशनी में चोंधिया कर आदमी की बुद्धि को प्रभावित ना कर सके , इसलिए यह
रोशनी की जाती है ! :)
हमने यही सोच कर उल्लुओं को कैद करके रखा है की हमारी उल्लू रूपी बुद्धि कुछ गलत निर्णय ना करवादे इस ५ दिनी पर्व पर ! : ) इसके बाद इनको आजाद कर देंगे ! हमारी ताऊ बुद्धि तो ऐसा ही अनुमान कर रही है ! आपके जवाब का इंतजार रहेगा ! और मेरे हिसाब से सही जवाब तो राज भाटिया जी, योगीन्द्र मोदगील जी और बाबा भूतनाथ ही दी सकते हैं ! ये हरयाणवी हैं और इनके यहाँ कल्चर के नाम पर एग्रीकल्चर है सो देखिये ये क्या जवाब देते हैं ! :) इनके द्वारा की गई परिभाषा ग़लत सही जो भी हो ! पर मनो रंजक जरुर होगी ! :)
दीवाली की शुभकामनाएं - आप को और समस्त परिवार को.
ReplyDeleteलक्ष्मी जी क गृह प्रवेश होता है अनुराग जी, वाहन तो बाहर पार्किंगस्पेस मे विराजते हैं :))))
इन्द्र के इस कथन में महालक्ष्मी शंख-चक्र-गदा-पद्म-गरुड़ से युक्त हैं! वाह!
ReplyDeleteमंगलमय हो दीपावली।
Anuragji, Deepavali ke deepakon ka jhilmil karta prakash aapke aur aapke parivar ke har sadsya ke jeevan men sada aalok bikherta rahe,aapko apne lakshya ki or badhne men marg prasast karta rahe, yahi shubhkamnayen.
ReplyDeleteसवाल सही है। पर उल्लू दिन में भी देख लेते हैं। दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें/
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteदीपावली पर आप को और आप के परिवार के लिए
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ!
आपको सपरिवार दीपोत्सव की शुभ कामनाएं।
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