बोझ कांधे से ज्यों उतरता नही
शहर सुनसान सा लगे है मुझे
आपका जिक्र कोई करता नहीं
दिल तो पत्थर सा हो गया या रब
मौत के नाम से भी डरता नहीं
चिन दिया आपने दीवारों में
कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
वक्त के सामने हुआ बेबस
लाख रोका मगर ठहरता नहीं।
(अनुराग शर्मा)
* आवाज़ पर आज सुनें अक्टूबर २००८ का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन ** आवाज़ पर सुनें प्रेमचंद की कहानी "आधार" |
शहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं
बहुत बढ़िया ..दीवाली की बधाई आपको
वक्त के सामने हुआ बेबस
ReplyDeleteलाख रोका मगर ठहरता नहीं।
बहुत गहराई के साथ सुंदर अभिव्यक्ति ! पर आज लावण्या जी के ब्लॉग पर पढा की वहाँ पतझड़ चल रहा है ! तो जाहिर है की बसंत आस पास ही है ! आपकी कविता की नायक या नायिका फ़िर पुराने संसार में लौट सकते हैं ! शायद अनवरत चक्र इसको ही कहते हैं !
यह दीपोत्सव आपको, आपके परिवार को एवं मित्रजनों को मंगल दायक, सुख-समृद्धि दायक हो ! यही शुभकामना हैं !
वक्त बेरहम भी है और रहमदिल भी वक्त वक्त की बात है !
ReplyDeleteअच्छी गजल।
ReplyDeleteदीपावली पर हार्दिक अभिनन्दन!
आज ताई ने आपकी कविता पढ़ कर आपकी अभिव्यक्ति को सर्व-श्रेष्ठ बताया है ! वैसे उनका लट्ठ के अलावा, कविता या लेखन से ज्यादा कुछ लेना देना नही है ! :) पर उन्होंने मुझे ये कमेन्ट यहाँ करने को कहा है !
ReplyDeleteचिन दिया आपने दीवारों में
ReplyDeleteकैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
बहुत गंभीर भाव शब्दों का सहज प्रवाह
सुखमय अरु समृद्ध हो जीवन स्वर्णिम प्रकाश से भरा रहे
दीपावली का पर्व है पावन अविरल सुख सरिता सदा बहे
दीपावली की अनंत बधाइयां
प्रदीप मानोरिया
चिन दिया आपने दीवारों में
ReplyDeleteकैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
बहुत गंभीर भाव शब्दों का सहज प्रवाह
बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.
छोटी बहर कह अच्छी गजल । भाव भी सुन्दर और शब्द भी ।
ReplyDelete"शहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं"
बहुत बढ़िया.
"वक्त के सामने हुआ बेबस
लाख रोका मगर ठहरता नहीं।"
और इस का तो जवाब नहीं. बहुत खूब भाई.
वक्त के सामने हुआ बेबस
ReplyDeleteलाख रोका मगर ठहरता नहीं।
बहुत उम्दा लिखा हैं। साथ ही दीपावली की शुभकामनाएं।
जिसे भी जिम्मेदारी से निभाओ, समर्पण अपने आप ही आ जाता है-
ReplyDeleteवक्त तुम बिन कभी गुज़रता नहीं
बोझ कांधे से ज्यों उतरता नही
सुंदर अभिव्यक्ति।
शहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं
दिल तो पत्थर सा हो गया या रब
मौत के नाम से भी डरता नहीं
चिन दिया आपने दीवारों में
कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
अनुराग जी ,
बहुत ही प्यारी कविता लिखी है। दीपावली की शुभकामनाएँ।
bahut acchhey..ek ek bhaav..
ReplyDeleteशहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं
वक्त के सामने हुआ बेबस
लाख रोका मगर ठहरता नहीं।
बहुत खूब. क्या बात है भाई.
वक्त ठहरे तो तो यादे भी ना हो
ReplyDeleteयादे ना हो तो स्वप्न भी ना हो !!
दीपावली की हार्दिक बधाई !! ज्योति का यह पर्व आपके जीवन से निराशा का तम नष्ट करके आपको आशा उत्साह शांती प्रगती रुपी ज्योति प्रदान करे ॥
एक अति सुन्दर कविता, जो हमारी ताई को भी पंसद आई, इब इसी खुशी मै दो लठ्ठ ज्यादा ताउ के हिस्से मै,
ReplyDeleteधन्यवाद
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
सुन्दर।
ReplyDeleteVakt ke saamne hua bebas, laakh roka magar rukta nahi,bahut hi achhi panktiyan hain, poori rachna badhia hai.
ReplyDeleteशहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं
अच्छा लिखा। बहुत अच्छा लिखा। पर सवाल यह है कि किसके लिए लिखा। भाई हमें बता दो-
-ये कौन चांद के रोज़न से झांकता है तुम्हें
-ये किसका चेहरा किताबों के दरम्यां निकले
दीपावली पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं।
dil ko choo jaane wale bhav,badai Anurag ji.Deepawali ki jagmag se aapka dil bhi khil uthe yehi prarthna hai bhagwan se!!!
ReplyDeleteदिल तो पत्थर सा हो गया या रब
ReplyDeleteमौत के नाम से भी डरता नहीं
चिन दिया आपने दीवारों में
कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
bahut sundar
बहुत बेहतरीन कविता ! कभी २ गहरी सोच में अमूमन सभी को ऐसे भाव आते हैं पर उनको व्यक्त कम लोग ही कर पाते हैं ! आपने बहुत सुंदर शब्दों में ये कविता लिखी है ! मजा आगया ! आज दिन में ताऊ के यहाँ आपकी आवाज वाली कविता भी सुनी थी ! करीब एक घंटा ये कवि सम्मलेन हम सभी सुनते रहे ! मजा आगया ! ताऊ को कहा है की हमारे कंप्यूटर में भी स्पीकर का इंतजाम करवा दे तो हम भी घर पर ही सुन लिया करेंगे ! आपके बहु-आयामी व्यक्तित्व को तिवारी साहब का सलाम ! दीपावली की आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteदीपावली पर घाव सहला भी दीजे :)
ReplyDelete..बहुत सुँदर भाव हैँ कविता के
और आवाज़ पर बढिया रहा कार्यक्रम -
प्रेमचँदजी की कथा का वाँचन भी
हमेशा की तरह बढिया !
-दीप पर्व मँगलमय हो !
दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-
ReplyDeleteदीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा..वाह!!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आप अपने परिवार, ईष्टमित्रों, शुभचिंतकों एवं ब्लागरों के साथ नई ऊर्जा को लिये उमंग पूर्वक मिलते रहें मुस्कुराते रहें इन्हीं उज्ज्वल शुभकामनाऒं के साथ दीवाली मुबारक हो
ReplyDelete--योगेन्द्र मौदगिल एवं परिवार
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteदीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeletewah, wah
ReplyDeleteशहर सुनसान सा लगे है मुझे
ReplyDeleteआपका जिक्र कोई करता नहीं।
सुंदर शेर, बधाई।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकानाएं।
बहुत बढ़िया
ReplyDeletekya baat ha !
ReplyDeletemy blog - samaj-vichar.blogspot.com
kya baat ha !
ReplyDeletemy blog - samaj-vichar.blogspot.com