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नागा जोलोकिया |
भारत में था तो तरह-तरह की मिर्च खाने को मिलती थीं। कई किस्म के पौधे मैंने घर में भी लगाए हुए थे। मिर्च की सब्जी हो, पकौडी हो या चटनी, भरवां पहाडी मिर्च हो या तडके वाली लाल मिर्च, एक फल/सब्जी यही थी जो हर खाने के साथ चलती थी। मिर्च मुझे इतनी पसंद थी कि मैं तो उपवास का हलवा भी हरी मिर्च के साथ ही खाता था। मेरा बस चलता तो आफ़्टर शेव लोशन भी मिर्च की गन्ध वाले ही प्रयोग करता। हमारे घर में अन्य पौधों के साथ नीले, हरे, लाल, पीले विभिन्न प्रकार की मिर्चों के अनेक पौधे थे।
यहाँ आने के बाद जब भी मिर्च की बात होती थी स्थानीय लोग सबसे तेज़ मिर्च की बात करते थे। जिससे भी बात हुई उसने ही रेड सैविना हेबानेरो का नाम लिया। एकाध दफा मेरे दिमाग में आया कि सबसे तेज़ मिर्च तो शायद भारत में ही होती होगी. मगर कोई सबूत तो था नहीं सिर्फ़ मन की भावना थी और भावना का तो कोई मूल्य नहीं होता है। और फ़िर यहाँ के लोग तो हर काम पड़ताल कर परख कर और फ़िर नाप-जोख कर करते हैं। उन्होंने बाकायदा मिर्च की तेज़ी को भी परिभाषित किया हुआ है। और इस तेज़ी की इकाई है स्कौविल पैमाना। रेड सैविना हेबानेरो ३५०,००० से ५८०,००० स्कौविल तक की होती है।
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सबसे तीखी |
मगर बुजुर्गों ने कहा ही है कि श्रद्धा के आगे बड़े-बड़े पर्वत झुक जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में शोध के बाद यह पता लगा कि भारत में पाई जाने वाली एक मिर्च रेड सैविना हेबानेरो से लगभग ढाई गुनी तेज़ है। नारंगी से लाल रंग तक पाई जाने वाली यह मिर्च पूर्वोत्तर भारत में, विशेषकर असम के तेजपुर जनपद और उस के आसपास पायी जाती है। मणिपुर में इसे राजा मिर्च और ऊ मोरोक कहते हैं जबकि असम व नागालैंड में उसे भूत जोलोकिया, बीह जोलोकिया व नाग जोलोकिया कहते हैं। मगर अंग्रेजी में इसे तेजपुर चिली के नाम से जाना गया। संस्कृत में मिर्च का एक नाम भोजलोक भी है, भूत जोलोकिया शब्द का उद्भव वहीं से हो सकता है। यह मिर्च लगभग तीन इंच तक लंबी और एक या सवा इंच मोटी होती है।
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नाग मिर्च |
काफी समय तक तो हेबानेरो उगाने वाले लोगों ने भारतीय दावे को विभिन्न बेतुके बहानों से झुठलाने की कोशिश की। एक बहाना यह भी था कि एक ही मिर्च के इतने सारे नाम होना भर ही उसके काल्पनिक होने का सबूत है। मगर जब न्यू-मेक्सिको विश्वविद्यालय में स्थित चिली-पेपर संस्थान ने भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग से इस मिर्च के बीज मंगवाकर संस्थान में उगाकर उसकी जांच की तो इस दावे को सत्य पाया। भूत मिर्च की स्कौविल इकाई ८५५,००० से १,०५०,००० पायी गयी। भूत जोलोकिया के गुणों से प्रभावित होकर रक्षा अनुसन्धान संस्थान उसकी सहायता से टीयर गैस का सुरक्षित विकल्प खोजने में लगा है।
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विश्व की सबसे तेज़ मिर्चें |
जब मेरे एक अमरीकी सहकर्मी ने मुझे बताया कि वे अपने घर में दुनिया की सबसे तेज़ मिर्च हेबानेरो उगाते हैं तो मैंने उनकी जानकारी को अद्यतन किया। तबसे वे लग गए भूत जोलोकिया को ढूँढने। जब उन्हें पता लगा कि चिली-पेपर संस्थान विभिन्न मिर्चों के बीज बेचता है तो उन्होंने फ़टाफ़ट बीज मंगाकर पौधे उगा लिए और फ़िर दो पौधे मुझे भेंट किए। उनमें से एक तो भगवान् को प्यारा हो गया मगर दूसरा खूब फला। उस पौधे के दो चित्र ऊपर हैं और साथ में नीचे हैं भूत जोलोकिया के कुछ चित्र। साथ में रेड सविना हेबानेरो और चौकलेट हेबानेरो भी हैं।
चलिए आप लोग पढिये तब तक मैं आपके लिए चाय के साथ मिर्च की पकौडी बनाता हूँ।
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सम्बंधित कड़ियाँ
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The Hottest chile in the World - Bhoot Jolokia
रोचक जानकारी।वैसे बगाल के वामपंथियों को भी अमेरीका बहुत तेज़ मिर्च मानता था,लेकिन मनमोहन के करार ने उसे मेरिनेट कर फ़ीका कर दिया।बहुत बढिया जानकरी दी आपने ।बधाई आपको।
ReplyDelete" uf uf mirchee, itnee theekhee fir bhee khane mey tasty... or dekhne mey sunder...'
ReplyDeleteregards
बढ़िया mirchi पोस्ट है :) अच्छी जानकारी दी है आपने
ReplyDeleteयह तेजपुर मिर्च हम भी कबाड़ते हैं कहीं से, अपनी पकौड़ियों के लिए। वैसे हर साल शोभा तेज से तेज मिर्च की तलाश में रहती है। तेजपुर का रंग भी बहुत सुहाना है।
ReplyDeleteबढ़िया mirchi पोस्ट है :) अच्छी जानकारी दी है आपने
ReplyDeleteittefaq :) ki abhi bread per harii mirch ki chatni lagaa kar khaa rahi huun..aur aansu bahatey hue aapki post padh rahi huun.. :) badhiya post
ReplyDeleteये भूत जोलोकिया वास्तव में बहुत खतरनाक मिर्च है ! अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान इससे पाला पडा था ! हमने साधारण रूप से खेत से तौडकर खा लिया था ! क्योंकि हमारे यहाँ गुजरात से एक हरी मिर्च आती है जो खम्मन के साथ खाई जाती है और बिल्कुल भी कड़वी नही होती ! कुछ वैसी समझ कर खा ली थी ! यकीन करिए कानो में जलन मच गई और यों लगा की प्राण ही निकल जायेंगे ! उसके बाद मिर्ची को राम राम ! आपकी पकौडिया बन गई हों तो सर्व करिए पर हमको बिना मिर्च वाली ! :)
ReplyDeleteमुझे तो लाल मिर्च का भरवा अचार चावल-दाल के साथ बहुत पसंद है। पोस्ट पढ़कर ज़ायका आ गया।
ReplyDeleteरोचक.
ReplyDeleteझकास पोस्ट है भाई .......ओर फोटो भी मिर्ची वाली .......पकोड़ी थोडी कोम्पुटर में ठेल देते तो ?
ReplyDeletemirchi, hai mirchi, achcha kiya aapne sabhi ko avgat kara diya
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है आपने.हम भी हरी मिर्च के उतने ही कायल हैं.तीखी हरी हरी,लम्बी छरहरी सुंदर मिर्च जितना आंखों को बांधती है,उतना ही जीभ को भी.
ReplyDeleteभई मिर्च चाहे तेज हो या फीकी, मेरे लिए वह "मिर्च" ही है और उसको खाने के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर जानकारी, वेसे मुझे मिर्च तीखी ही पसंद हे.
ReplyDeleteधन्यवाद
achcha likha hai aapney.
ReplyDeleteभाई साहब हम तो मिर्ची से दूर रहते हैं ! अक्सर लोग हमको भगाने के लिए लाल मिर्च का धुंवा करते हैं ! सो इस से
ReplyDeleteहमारा परहेज ही है ! धन्यवाद !
इसे कहते हैं मुहं में पानी ला देने वाली पोस्ट...मिर्च का मैं भी घनघोर प्रेमी हूँ और विदेश प्रवास के दौरान इसी के वियोग में छटपटाना पढता है...आपके यहाँ का (याने पिट्सबर्ग )ताज इंडियन रेसतोरेंट भी इस मायने में फिसड्डी है.... जर्मनी के खाने में तीखे पन को लेकर एक से दस तक के ग्रेड हैं..जब मुझसे एक बार एक बैरे ने पूछा सर कितने नंबर का तीखा तो मैंने हंस कर कहा ग्यारह नंबर...और वो जो खाना लाया लगा जैसे गुड में पका के लाया है...जय मिर्ची की...अगली बार आप के घर खाना खाने आऊंगा...आप मना करेंगे तब भी आऊंगा.....एक आध मिर्च बचा के रखना ना.
ReplyDeleteनीरज
बहुत ही रोचक जानकारी..वैसे भूतनाथ जी की तरह हम भी मिर्ची से दूर ही रहते हैं, हमारे दूर रहने का कारण इसका धुआं नहीं, बल्कि इसका तीतापन है :)
ReplyDeleteमेरे एक पूर्व अमरीकी सहकर्मी को भी तेज़ मिर्चों का शौक था.
ReplyDeleteउसने ही मुझे तेजपुर मिर्च के बारे में लगभग ८ साल पहले बताया था.
उसने मुझ से पूछा था की भारत की सबसे तेज़ मिर्चें कहां होती होंगी - मेरा अनुमान था की राजस्थान में कहीं - उसने ठीक किया की ये राजस्थान नहीं, मणिपुर में होती हैं. वो चाहता था की मैं उसके लिये भारत से ये बीज मंगवाऊं! मेरी जानकारी में कानूनन शायद ऐसा करने की इज़ाजत नहीं है! कस्टम फ़ार्म में वे पूछते हैं की आप कोई एग्रीकल्चरल सीड्स ला रहे हैं क्या आदी!
२००६ से काफ़ी पहले जनता को इस सबसे तेज़ मिर्च के बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से पता था. इस पर पूरी शोध बाद में होती रही होगी. http://en.wikipedia.org/wiki/Naga_Jolokia_pepper
अत्यंत रोचक मैने पहली बार यह पढा अत्यंत ज्ञानवर्धक !!
ReplyDeleteमिर्च के संबंध में यह जानकारी रोचक है। हम भारतीय इसमें नंबर वन हैं। चक दे इंडिया । है न।
ReplyDeleteहमारे यहां तो सितंबर अक्टूबर में आती हरी मिरची कमाल की चरचरी होती है
ReplyDeleteऔर हां आपकी पिछली पोस्ट एक शाम बेटी के नाम बहुत ही संवेदनशील थी
हमारी शुभकामनाएं
हमारे यहां तो सितंबर अक्टूबर में आती हरी मिरची कमाल की चरचरी होती है
ReplyDeleteऔर हां आपकी पिछली पोस्ट एक शाम बेटी के नाम बहुत ही संवेदनशील थी
हमारी शुभकामनाएं
हमारे यहां तो सितंबर अक्टूबर में आती हरी मिरची कमाल की चरचरी होती है
ReplyDeleteऔर हां आपकी पिछली पोस्ट एक शाम बेटी के नाम बहुत ही संवेदनशील थी
हमारी शुभकामनाएं
बड़ी ही चटपटी चर्चा उठायी है आपने हम हिंदुस्तान में अभूत मिर्च खाते हैं लेकिन अज्ञान- पूर्वक मज़ा आ गया सुंदर विचारों की प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यबाद मेरी आपसे एक दरख्वास्त है आप मेरे ब्लॉग पर नियमित आगमन बनाए रखे और मुझे मार्गदर्शन देते रहें आजकल लगभग प्रति २ दिन में एक रचना पोस्ट कर रहा हूँ नई आपकी मार्गदर्शी टिप्पनी की सख्त आवश्यकता है . आशा है आप मेरे अनुरोध को स्वीकार करेंगे . आप मेरा ब्लॉग चाहे तो अपनी ब्लॉग सूची में शामिल कर लें तो उत्तम होगा पुन: निवेदन है उपरोक्तानुसार
ReplyDeleteमैंने सुना है इसी मिर्ची का उपयोग हल्दी राम भुजिया वाले भी करतें हैं..जाहिर है काफी तीखी होगी.
ReplyDeletebahut sunder lekh sir
ReplyDeleteregards
भाई तेज़ मिर्ची तो हमें भी रुला जाती है. लेकिन आपकी चाय ज़रूर पी लेंगे
ReplyDeleteभाई कभी-कभी सफेद सच भी बोल दिया करो। न आता हो तो हमारे पास आ जाओ, सिखा देंगे।
ReplyDeleteकाफी तीखी चर्चा है मजेदार
ReplyDeleteमणिपुर के एक मित्र ने १९८३ में भेंट की थी डर के मारे खाई ही नही रखे रखे सड भी गयी -आपने अच्छी याद दिलाई !
ReplyDelete:)
ReplyDelete:)
आफ़्टर शेव लोशन भी मिर्च की गन्ध वाले ही प्रयोग करता.......मिर्च पर अच्छी जानकारी। रही गांधी,नेहरु और अर्थशास्त्र पर बातचीत करने की तो यह आपको मेरे आलेखों,संस्मरणों और टिप्पणियों से प्राप्त होती रहेगी। वैसे मेरी कोई विशेष रुचि नहीं है गांधी नेहरु के बारे में जानने की। हां जो कुछ इनका बोया है, उस से प्रभावित होने पर इन के अदूरदर्शी किए धरे पर बरबस ध्यान स्थिर हो जाता है कि ये क्या कर गुजरे। देश, काल, स्थान पात्र का ध्यान किए बिना ये अपनी मनमानी पीट गए। और फलस्वरुप हम (मैं) आज की विडंबना में फंस गया।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है ,इसके बीज कहां से मिलेगें, या पौधे मिलेगे स्थान,पता,मेल एड्रेस देवें, एक मिर्च का नाम ,,,कृष्णा 7007 इसके बारे में जानकारी देवें, सबसे मंहगी मिर्च कौनसी है
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