1964 में आरम्भ हुआ कार्यक्रम जेपर्डी (Jeopardy!) टीवी पर आने वाले सबसे पुराने सामान्य ज्ञान प्रहेलिका कार्यक्रमों में से एक है। कठिनाई से ही टीवी के सामने बैठने वाला मैं भी अपनी श्रीमती जी के कठोर अनुशासन में इस कार्यक्रम को नियमित सपरिवार देखता हूँ। ऐलेक्स ट्रेबैक की यजमानी वाले इस कार्यक्रम में तीन प्रतिस्पर्धी होते हैं जो विभिन्न श्रेणियों में पूछे गये अलग-अलग मूल्य के प्रश्नों के उत्तर देकर नकद पुरस्कार पाते हैं।
इस बार के कार्यक्रम में पिछ्ली प्रतियोगिताओं के दो महान चैम्पियन ब्रैड रटर (Brad Rutter) और कैन जेनिंग्स(Ken Jennings) को बुलाया गया था वाटसन (Watson) से मुकाबला करने। कार्यक्रम का यह प्रकरण क्रांतिकारी था क्योंकि वाटसन कोई व्यक्ति नहीं बल्कि आईबीएम द्वारा निर्मित ऐसा विशालकाय कम्प्यूटर (supercomputer) है जो मानव भाषा में पूछे गये प्रश्नों का निर्णायक उत्तर देने की क्षमता रखता है। तो क्या गूगल सर्च के बेतुके उत्तरों के दिन पूरे हो गये? आइये देखते हैं कि वाटसन ने कार्यक्रम में क्या किया?
आज जब पूछा गया कि किस भाषा की 4000 वर्ष पुरानी एक बोली "वैदिक" कहलाती है तो वाटसन ने तुरंत संस्कृत कहा। इस्पात नगरी से सम्बन्धित प्रश्न (सही उत्तर: पिट्सबर्ग) में वाटसन के सम्भावित उत्तरों में एक जमशेदपुर भी था। तीन दिन चले इस कार्यक्रम के दौरान कई रोचक तथ्य भी सामने आये। मसलन, कल के कार्यक्रम में "अमेरिकी नगरों" की श्रेणी में एक प्रश्न के उत्तर में वाटसन ने टोरंटो लिखा। सही उत्तर शिकागो था। शायद हम सभी एक स्वर में टोरंटो को "कैनाडा का नगर" कहेंगे परंतु सच्चाई यह है कि कैनाडा में केवल एक टोरंटो है जबकि सं. रा. अमेरिका में आठ नगरों का नाम टोरंटो है। उत्तर गलत था परंतु उस श्रेणी में वाटसन ने अपने अज्ञान को आंकते हुए केवल $947 का मामूली खतरा लिया था और कुल $35,734 जीतकर दोनों मानवों से आगे रहा। दोनों मानवों ने मिलाकर कुल $15,200 जीते। आश्चर्य नहीं कि वाटसन आज भी जीता और एक बडे अंतर के साथ इस प्रतियोगिता का चैम्पियन घोषित हुआ है। तीन दिन चले कार्यक्रम में तीनों विजेताओं की कुल आय क्रमशः $77,147 (वाटसन), $24,000 (केन) और $21,600 (ब्रैड) रही।
आइबीएम ने वाटसन के तीन दिन का विजेता होने के दस लाख डॉलर समेत समस्त पुरस्कार राशि को वर्डविज़न नामक स्वयंसेवी संस्था को दान देने की घोषणा की है। अन्य प्रतिस्पर्धी भी इस बार के कार्यक्रम की अपनी आय का आधा अपनी चहेती संस्थाओं को दान करेंगे।
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
आई बी एम वाटसन का आधिकारिक पृष्ठ
जेपर्डी - आधिकारिक पृष्ठ
जेपर्डी पर अंग्रेज़ी विकीपीडिया पृष्ठ
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क्या कहने! मगर खतरा तो मनुष्य पर ही मंडरा रहा है !
ReplyDeleteटाईटिल देखकर सोचा शायद सर डायल वाले डाक्टर वाट्सन आपके मेहमान बने हैं, लेकिन ये वाट्सन भी कम नहीं। और तो और गलती भी आदमी के जैसी ही करते हैं।
ReplyDeleteआईबीएम को चाहिये कि आम जनता से भी प्रश्न आमंत्रित करे, जिनके जवाब मि.(?) वाट्सन से पूछे जायें।
एकता कपूर या कोई और ऐसे कार्यक्रम से प्रेरणा नहीं लेते:)
@मगर खतरा तो मनुष्य पर ही मंडरा रहा है
ReplyDeleteत्वरित समाधान का खतरा?
@एकता कपूर या कोई और ऐसे कार्यक्रम से प्रेरणा नहीं लेते:)
अनिल कपूर को तो ले आये भाई लोग, एकता (unity)की ज़रूरत तो हम भारतीयों को ज़्यादा है।
यह कार्यक्रम तो देखने का मन है......
ReplyDeleteहनारे यहां तो सास-बहू, भूत-प्रेत वाले सीरियल चलते हैं...
ReplyDeleteअच्छा जी , वहां भी चलता है कौन बनेगा करोड़ पति ?
ReplyDelete@ वहां भी चलता है कौन बनेगा करोड़ पति?
ReplyDeleteजी हाँ, वह भी है "हू वांट्स टु बी अ मिलियनेयर" के नाम से।
हमारे यहँा तो सास बहू के झगडो से ही फुर्सत नही
ReplyDeleteकार्यक्रम का प्रारूप तो अच्छा है शायद कुछ दिन बाद उसके प्रसारण अधिकार खरीद कर हम भारतीयों को भी दिखाया जाये | पर क्या वाट्सन भारत आएगा शायद नहीं कुछ दुसरे कार्यक्रमों की तरह कुछ फालतू के सेलिब्रिटी को वह ले जा कर खेलावायेंगे उसे रिकार्ड करेंगे और यहाँ रियलिटी शो के नाम पर परोस देंगे |
ReplyDeleteख़बर रोचक है. पर AI जब तक सफल न हो जाए ये सब कुछ ख़ास नहीं लगता :)
ReplyDelete@ वहां भी चलता है कौन बनेगा करोड़ पति?
ReplyDeleteअजी यही की नकल कर के तो यह भारतीया प्रोगराम बनाते हे, भारत मे जो भी नया प्रोगराम आता हे वो यहां द्सो साल पहले शुरु हो चुका होता हे, बस यह एकता ओर अनेकता के वेसिर पेर वाले प्रोगरामो को छोड कर
पुस्तकीय ज्ञान में पुस्तक भी आगे है, व्यवहारिकता में मनुष्य की परख है।
ReplyDeleteबड़ी रोचक जानकारी दी आपने...
ReplyDeleteअपनी बात कहूँ तो, ठीक है की मशीन सारी दुनिया की जानकारी अपने मेमोरी में रख सकता है....पर कुछ भी हो जाए,बनता तो इसे आदमी ही है न....
कार्यक्रम काफ़ी रोचक होगा.
ReplyDeleteरामराम.
वाटसन इस फासले को बढ़ा भी सकता है ! एक उम्मीद कि शायद मनुष्य समय रहते चेत जाए !
ReplyDeleteआप भारत से आ गये?
ReplyDeleteइन जनाब वाटसन का फायदा क्या है ?
ReplyDeleteवाटसन भी तो इन्सान की ही उपज है .
ReplyDeleteकौन बनेगा करोड्पति जैसे प्रोग्रामो से एक नुकसान मुझे यह हुआ अगर कोई प्रश्न करता है तो मै उससे ओपशन मान्गता हूं
जमशेदपुर वाली बात जानकर अच्छा लगा ...
ReplyDeleteयह क्या हो रहा है। मशीन बनानेवाला मनुष्य, मशीन से हार रहा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी ! ऐसा लगता है कि भविष्य यन्त्र मानवों का है ...
ReplyDeleteकाफी जानकारी मिली यहाँ आकर...
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'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
"अनिल कपूर को तो ले आये भाई लोग, एकता (unity)की ज़रूरत तो हम भारतीयों को ज़्यादा है।" :)
ReplyDeleteअच्छा लगा Man Vs Machine!!
ReplyDeletehmmmm.... if only they'd air ir in india too :(
ReplyDeleteaath toronto...??? wow, ye to badhiya baat pata chali. u kno, i luv such shows, par yahan kahan....
koi ni....aap update karte rahiyega ;)
@ Udan Tashtari
ReplyDelete@ रंजना, सैल
सत्य वचन!
@ विष्णु बैरागी
मानव क्षमता का विस्तार तो वैज्ञानिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण उत्पाद है| किसान के हल से मानव से बेहतर जुताई और अंतरिक्ष यान से मानव से बेहतर गति अपेक्षित ही है.
@ VICHAAR SHOONYA
जानकारियों के अथाह भण्डार में से काम की जानकारी क्षणांश में ढूंढ सकना ही अपने आप में एक बड़ा लाभ है जिसका उपयोग स्वास्थ्य, शोध आदि में बखूबी किया जा सकता है.
@ ali
हमारे पूर्वजों ने तो "तमसो मा ज्योतिर्गमय" कहकर सदा ही आँखें खुली रखकर ज्ञान-विज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया है.
सत्यमेव जयते!
@ Udan Tashtari
ReplyDeleteउपस्थित श्रीमान!
वाटसन की जीत को,मनुष्य की हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए,वाटसन बनाकर मनुष्य ही जीता है।
ReplyDeleteकम्प्युटर और मनुष्य में यही अंतर सदैव रहेगा,स्मृति की अनंत क्षमताएं होते हुए भी मानव सारी सूचनाएं हुबहू ग्रहित संग्रहित नहीं कर पाता,और उसे विस्मृति की बिमारी भी होती है। जबकि कम्प्युटर के साथ यह समस्या नहीं है।
संस्कृत और जमशेदपुर सुन कर अच्छा लगा
ReplyDeleteरोचक है जानकारी ... भारत में तो अब सामान्य ज्ञान सम्बंधित प्रोग्राम ख़त्म से हो गए हैं ..
ReplyDeleteरोचक जानकारी मिली ...
ReplyDeleteमजेदार है यह शो!
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