Sunday, March 6, 2011

बबल्स कुमार (मार्च 2009 - फरवरी 2011)

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न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं
भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।

जून 2010 में जब मैंने "श्रीमान बबल्स कुमार की अदाएं" लिखा था, तब यह अहसास नहीं था कि जल्दी ही बबल्स पर एक और पोस्ट लिखनी पडेगी। सन 2009 में बबल्स हमारे घर आया था। अन्दाज़ यह है कि उसका जन्म मार्च 2009 में हुआ था। 13 फरवरी की शाम को उसने अपनी नश्वर देह त्याग दी।


बबल्स (कुमार) शर्मा (2009-2011)
(चित्रों में: बबल्स की अंतिम आरामगाह के दो दृश्य। खुश रहे तू सदा ...)

इसी बीच में हमारे पडोसी की बिल्ली मौली की एक आंख को किसी शरारती बच्चे ने रबड की गोली से आहत कर दिया है। इन्हीं दो घटनाओं की गूंज अभी मन में है। कुछ दिनों के अवकाश के बाद आज फिर थोडी बर्फ गिरी है। बबल्स के बारे में पिछली चित्रमयी पोस्ट पढने के इच्छुकों के लिये:
श्रीमान बबल्स कुमार की अदाएं


[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा Photos by Anurag Sharma]

22 comments:

  1. परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!! अवश्य ही अनगिनत यादें छोड़ गए होंगे बबल्स कुमार जी!!

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  2. चित्रों के साथ जानकारी से परिपूर्ण सुन्दर आलेख!

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  3. चित्रों के साथ जानकारी से परिपूर्ण सुन्दर आलेख!

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  4. bhagwan uski aatma ko shanti de............ maon
    bitiya ko kuch aur gift diya ya nahi ?

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  5. नहीं दीपक, अभी कुछ दिन चिंतन और अवकाश के।

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  6. साथ रहते हुए पशु पक्षी घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो जाते हैं ...
    बबल्स कुमार जी को श्रद्धांजलि !

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  7. बबल्स कुमार वाली पुरानी पोस्ट भी अभी देखी। उनके जाने पर हमारी संवेदना। शायद इतना ही साथ रहा होगा।

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  8. भगवान बब्बल की आत्मा को शान्ति दे। शुभकामनायें।

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  9. साथ रहते हुवे सभी परिवार का अंग बन जाते हैं ... चाहे जानवर ही क्यों न हों ... उनके जाने पर भी मन भारी होना स्वाभाविक है ..

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  10. भगवान बब्बल की आत्मा को शान्ति दे

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  11. आत्मा को शान्ति मिले।

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  12. मार्मिक ...वे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं ...जाने पर दुःख तो होता ही है....

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  13. इनकी संगति मानव मन पर एक स्थायी प्रभाव छोडती है ! निस्संदेह वह क्षण दुखद रहा होगा बबल्स के प्यारों के लिए ....

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  14. @ "बबल्स (कुमार) शर्मा (2009-2011)"

    लो जी आपने तो चूहों में जातिवाद फैला दिया, बल्कि कहना चाहिए ब्राम्हणवाद :) :)

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  15. स्वर्गीय बबल्स कुमार शर्मा की अंतिम आरामगाह को देखकर मुझे अपना बचपन याद आ गया जब मैं

    छोटी चिड़ियों और चूहों का अंतिम संस्कार किया करता था. मैं बाकायदा उनकी चिता बनता था और फिर उनका शव अग्नि के हवाले कर दिया करता था. ईश्वर बबल्स की आत्मा को जल्दी से नया चोला प्रदान करें.

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  16. @लो जी आपने तो चूहों में जातिवाद फैला दिया, बल्कि कहना चाहिए ब्राम्हणवाद :) :)

    अग्निर्देवो द्विजातीनां मुनीनां हृदि दैवतम्।
    प्रतिभा स्वल्पबुद्धीनां सर्वत्र समदर्शिनाम्
    (चाणक्य नीति)
    विद्या विनय सम्पन्ने, ब्राह्मणे गवि हस्तिनी
    शुनी चैव श्वपाके च पंडितः समदर्शिनः
    (श्रीमद्भग्वद्गीता)

    बलिहारी जाऊं ऐसे ब्राह्मणवाद की जिसमें मूक प्राणियों के जीवन का पूर्ण आदर हो। वैसे बबल्स की समाधि और ग्रेवस्टोन बनाने वाले दोनों ही बच्चों को कुलनाम और ब्राह्मणवाद का सम्बन्ध नहीं पता है।

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  17. सही है अपनों से बिछड़ना हमेशा दुःख देता है आखिर आपने तो आपने होते है........
    अरे हैं हाँ भाई आपको बधाई हो... भड़ास4 मीडिया पर आपके होने वाले सम्मान कि खबर पढ़ी....

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  18. एक ख्याल ये आया कि हम इंसानों को 'जो' पालता है , क्या वो भी हमारे अवतरण , इहलोकलीला और अवसान का ब्यौरा कहीं दर्ज करता होगा ?

    श्री सोमेश कुमार की टिप्पणी से असहमत !

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