बेटी ने जब पहली बार कुत्ता पालने की जिद की तो कुत्ते-बिल्ली से एलर्जिक माता-पिता ने बहला दिया. जब आग्रह की आवृत्ति और दवाब बढ़ने लगे तो यह तय हुआ कि बिटिया रानी एक महीने तक घर के अन्दर रखे पौधों को पानी देकर यह सिद्ध करेंगी कि वे एक जीवित प्राणी की ज़िम्मेदारी लेने में सक्षम हैं. तीन सप्ताह पूरे होते-होते कुछ बोनसाई मृत्यु के कगार पर आने लगीं तो तय हुआ कि जितनी ज़िम्मेदारी दिखाई गयी है उसके अनुसार कुत्ता-बिल्ली तो नहीं लेकिन आधा दर्ज़न छोटी मछलियाँ घर में लाई जा सकती हैं. शीशे का मर्तबान तैयार करके उसमें पत्थर डाले गए और शाम को मछलियों को एक नया घर मिला.
एक हफ्ते के अन्दर पौधे तो पिताजी ने संभाल लिए मगर मछलियाँ माँ की विशेष निगहबानी के बावजूद अल्लाह को प्यारी हो गयीं. इसके बाद काफी दिनों तक पालतू पशु की बात बंद हो गयी. छठी कक्षा में पहुँचते पहुँचते कुत्ता फिर से एक प्राथमिकता बन गया. एक बार फिर ज़िम्मेदारी सिद्ध करने की प्रक्रिया पूरी हुई. इस बार ज़िम्मेदारी के अंक बढ़कर इतने हो गए कि एक चूहा लाया जा सके. पिताजी अभी भी डर रहे थे क्योंकि उनकी लापरवाही से बचपन में पाला हुआ सफ़ेद चूहों का जोड़ा असमय स्वर्गवासी हो चुका था. काफी बहस-मुसाहिबा हुआ और बिटिया को उनके जन्मदिन पर अन्य उपहारों के साथ एक ड्वार्फ हैमस्टर मिल गया जिसका नामकरण हुआ बबल्स.
तो आइये मिलते हैं श्रीमान बबल्स कुमार से:
कैमरे से बचते हुए
भोजनथाल से दुनिया कैसी दिखती है
ज़रा जलपान करके आते हैं
छत पर हवाखोरी
उस पार की दुनिया कैसी है?
तखलिया- यह साहब के आराम का वक्त है
सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा [Photos of Bubbles by Anurag Sharma]
पुनर्प्रस्तुति के लिए श्रीमान बबल्स कुमार की लिखित अनुमति आवश्यक है
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एक दुखद सूचना
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एक हफ्ते के अन्दर पौधे तो पिताजी ने संभाल लिए मगर मछलियाँ माँ की विशेष निगहबानी के बावजूद अल्लाह को प्यारी हो गयीं. इसके बाद काफी दिनों तक पालतू पशु की बात बंद हो गयी. छठी कक्षा में पहुँचते पहुँचते कुत्ता फिर से एक प्राथमिकता बन गया. एक बार फिर ज़िम्मेदारी सिद्ध करने की प्रक्रिया पूरी हुई. इस बार ज़िम्मेदारी के अंक बढ़कर इतने हो गए कि एक चूहा लाया जा सके. पिताजी अभी भी डर रहे थे क्योंकि उनकी लापरवाही से बचपन में पाला हुआ सफ़ेद चूहों का जोड़ा असमय स्वर्गवासी हो चुका था. काफी बहस-मुसाहिबा हुआ और बिटिया को उनके जन्मदिन पर अन्य उपहारों के साथ एक ड्वार्फ हैमस्टर मिल गया जिसका नामकरण हुआ बबल्स.
तो आइये मिलते हैं श्रीमान बबल्स कुमार से:
कैमरे से बचते हुए
भोजनथाल से दुनिया कैसी दिखती है
ज़रा जलपान करके आते हैं
छत पर हवाखोरी
उस पार की दुनिया कैसी है?
तखलिया- यह साहब के आराम का वक्त है
सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा [Photos of Bubbles by Anurag Sharma]
पुनर्प्रस्तुति के लिए श्रीमान बबल्स कुमार की लिखित अनुमति आवश्यक है
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एक दुखद सूचना
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बहुत मस्तिया रहे हैं साहब...
ReplyDeleteवाह बहुत प्यारा हैमस्टर मूस है
ReplyDeleteबढ़िया अदाएँ....सचित्र सुंदर प्रस्तुति..धन्यवाद
ReplyDeleteहा हा!! सो क्यूट!! मजा आया तस्वीरें देखकर.
ReplyDeleteare yahi hamare ghar mein bhi natak hua tha...khargosh lagar diya...3 maheene mein sidhaar gaye...doosra le aaye wo bhi 3 maheene mein swargwaasi ho gaya...uske baad jo rana dhona hota hai so alag...uske cremation mein alag natak...ab to ham daant kar bitha diye hain ki bina baat itna paap chada diye ho...tab se chup baithi hain rani ji...
ReplyDeletehaan nahi to...
bahut badhiya prastuti...
आह इतना सुंदर चयन
ReplyDeleteबहुत प्यारा...
ReplyDeleteबबल्स कुमार तो बहुत आनन्दिया रहे हैं । इनका घर भी सुन्दर है ।
ReplyDeleteबब्बल कुमार
ReplyDeleteशानदार
बढ़िया,
ReplyDeleteहर प्राणी प्रेम का भूखा है अगर इन्सान समझे तो , मेरे पास अक्वेरियम है ! चाहे मछलियों को और किसी ने भर पेट दिनभर खाना दिया हो, फज्र भी जब मैं घर में प्रवेश करता हूँ तो वे एक साथ अक्वैर्यम के उपरी सिरे पर इकठ्ठा हो जाती है, और फिर मैं उन्हें फिर से दाना देता हूँ < उन्हें कैसे पता चलता है कि मैं कौन हूँ ?
बल्लस तो मस्ती छान रहे हैं ... अच्छे लगे आपकी फोटो ......
ReplyDeletebahut sundar aur alag sa sab kuch.
ReplyDeleteक्यूट पोस्ट....
ReplyDeleteबचपन में घर में पालतू पशु को मरते देख जो सदमा लगा...जीवन में कभी भी पालतू पशु न पालने की हमने कसम उठा रखी है...
शानदार। ये अदाएँ लाजवाब हैं।
ReplyDelete--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
किस्मत हो तो श्री मान बबल्स कुमार जैसी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया है!
ReplyDelete--
आनन्द आ गया!
बच्चों को समझाने का तरीका बेहद पसन्द आया। बबल्स कुमार सलामत रहें जिससे कुत्ते को प्रवेश मिल सके।
ReplyDeletekhush kittaii
ReplyDeleteसुंदर फोटाग्राफी. खुशी देने वाली पोस्ट.
ReplyDeleteअरे वाह! आप तो निष्णात केमरा कलाकार भी हैं!
ReplyDeleteसब कुछ बहुत ही सुन्दर। मनभावन।
अरे बढ़िया ..संयोग है की आप और प्रवीण पाण्डेय जी ने कुछ एक ही टाइम पर एक जैसा काम किया :)
ReplyDeleteबहुत प्यारे हैं बबल्स ....आपका एक नया रूप देखने को मिला ! शुभकामनायें !
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