(अनुराग शर्मा)
सूरज क्रूर
रेत तन्दूर
वृक्ष खजूर
छिन्न गरूर
मिटता नूर
घायल शूर
विरह दस्तूर
सनम मगरूर
सदा मखमूर
फ़र्जी मंसूर
खफ़ा हुज़ूर
प्रीतम दूर
रंज भरपूर
वे मशहूर
मैं मजबूर
काँटों का सौन्दर्य |
रेत तन्दूर
वृक्ष खजूर
छिन्न गरूर
मिटता नूर
घायल शूर
विरह दस्तूर
सनम मगरूर
सदा मखमूर
फ़र्जी मंसूर
खफ़ा हुज़ूर
प्रीतम दूर
रंज भरपूर
वे मशहूर
मैं मजबूर
अनुराग जी अपुन तो नि:शब्द.
ReplyDeleteएकदम अलग तरह की कविता । अनूठी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... कविता अद्भुत
ReplyDeleteवाह!! हमेशा की तरह गागर में सागर……
ReplyDeleteरंज़ भरपूर
वे मशहूर
मैं मजबूर
वाह !!
ReplyDeleteविरह दस्तूर
ReplyDeleteसनम मगरूर
सदा मखमूर
सही है ....यह सब हिस्सा है जीवन के विभिन्न पड़ावों का .....!
बड़ी महीन कविता हो गई जी
ReplyDeleteवकालत -ए-अल्फाज,जूनून-ए-शराफत,दास्तान-ए-मंजर लियाकत के साथ पोशीदा भी है ..शुक्रिया जनाब
ReplyDeleteवाह!!!!!!
ReplyDeleteदेश से दूर
भक्ति से चूर
मानों महके कपूर
पढ़ कर रचना आनंदित हूँ.
छिन्न गरूर
ReplyDeleteमिटता नूर
घायल शूर
Waah... Kam shabdon me Khoob Kaha Aapne...
Awesome!! :)
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteवाह हुजूर :)
ReplyDeleteये भाई
ReplyDeleteकहाँ घुसे आ रहे हो--
इन छोटी खुबसूरत कटारों को थामे--
ठहरो--
वोह
बड़ी तीक्ष्ण धार |
खबरदार --
अतिक्रमण नहीं --
आप तो सचमुच के स्मार्ट हैं |
मैं भी यही कहने वाला था. माइक्रो सोफ्ट.
ReplyDeleteनिराली !
ReplyDeleteहमेशा की तरह कम शब्दों में अधिक बात.
ReplyDeleteis chhoti si kavita pr tipiyangua jarur..........
ReplyDeleteइतने दूर
ReplyDeleteभाव भरपूर
हम मशकूर!!
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteवाह! क्या बात है...
ReplyDeleteसूरज क्रूर
ReplyDeleteरेत तन्दूर
वृक्ष खजूर
वाह बहुत सुंदर
एकसे एक .........
वाह!
ReplyDeleteसूरज क्रूर
ReplyDeleteरेत तन्दूर
वृक्ष खजूर ...
मुसाफिर का क्या होने वाला है ऐसे में ... दुबई की गर्मी में ऐसा नज़ारा कल्पना लोक की दुनिया से निकल के सच्चा हो जाता है कभी कभी ...
वाह हुज़ूर
ReplyDeleteमज़ा भरपूर
हाइकु दूर
एक दम ताज़ा प्रयोग .
वाह क्या बात है ..बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteशब्दों का ऐसा जादू कम ही देखने को मिलता है...बधाई!
ReplyDeleteछोटे हैं,पर खोटे हैं !!
ReplyDeleteसब कुछ निस्सन्देह सुन्दर तो है किन्तु कविता का यह काक्नसा रूप है? यह न तो गजल है, न ही हाईकू। यदि यह अपने किसम का पहला प्रयोग है तो फौरन ही इसका कॉपी राइट करवा लीजिए।
ReplyDelete(अपना ही ब्लॉग)पहुँच से दूर.
ReplyDelete(क्या लिखें?) खट्टे अंगूर!!
वाह, गज़ब प्रवाह।
ReplyDeleteबहुत ही खूब
ReplyDeleteमज़ा भरपूर
वाह!
ReplyDeleteमखमूर का क्या अर्थ हुआ?
घुघूतीबासूती
मदोन्मत्त!
Deletegajab ki prastuti sunder bhav
ReplyDeleterachana
ये न हुई कविता..अच्छी लगी..
ReplyDelete:)chasmebaddur ....
ReplyDeletevery nice itne kam shbd itni pyari kavita....
bahut sundar .badhai
ReplyDeleteLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
SIR PRANAM.BEAUTIFUL LINES.
ReplyDeleteEACH AND LINE AND WORD SPEAS
BUT I AM SPEECHLESS.
रंज़ भरपूर
ReplyDeleteवे मशहूर
मैं मजबूर------अनु जी -पढ़ने को मन आतुर
प्रत्येक शब्द प्रति लाइन मूल्यवान सुन्दर गहरे अर्थ लिए
ReplyDeleteअनोखी रचना .
कमाल की तुकबंदी!
ReplyDeleteशब्द-शब्द अर्थ फैलते ही जाते हैं
पढ़ने वाले मोहित हो रह जाते हैं।
wow...angoor bhale hi ho khatte but for me its short and sweet :)
ReplyDelete