Friday, May 25, 2012

गहरे गह्वर गहराता - कविता

बसेरा चार दिन का है :(
(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)

वह आता
मद छाता
मन गाता

मन भाता
सुख पाता
उद्गाता*

वह जाता
उजियारा
हट जाता

अन्धियारा
घिर आता
पछताता

सूना मन
क्या पाता
दुःखदाता

जो आता
पल भर में
सब जाता

सुख लगता
छल जाता
औ' बिसराता

जब दुःख
गहरे गह्वर
गहराता ...
--------
*उद्गाता = 1. सन्ध्या/अग्निहोत्र में वेदमंत्रों का गायक,
2. यज्ञ में वेदमंत्र गायक ऋत्विजों का नायक, 3. प्राण, 4. वायु

37 comments:

  1. सूना मन
    क्या पाता
    दुःखदाता

    सुख लगता
    छल जाता
    औ' बिसराता
    Nice one.

    ReplyDelete
  2. कमाल है ....
    अद्भुत !

    ReplyDelete
  3. सुन्‍दर रचना । दुख ओर सुख एक दूसरे के ही पूरक है
    यहा भी पधारे यूनिक तकनीकी ब्‍लाग

    ReplyDelete
  4. वाह वाह ! आजकल कविता में नए प्रयोग बहुत बढ़िया चल रहे हैं ।

    ReplyDelete
  5. ...जब दुःख गहराता है,
    खुद को पहचान पाता है !!

    ReplyDelete
  6. सीमित शब्द, असीमित भाव| इस विधा की प्रेरणा 'बिचित्र नाटक' का एक कवित्त तो नहीं?
    'उद्गाता ' का सरल अर्थ नहीं मालूम था, मुझे तो आपने बता दिया लेकिन हर कोई जानता भी नहीं होगा और हर कोई पूछेगा भी नहीं,यह अर्थ पोस्ट के अंत में देने की गुजारिश ताकि मंतव्य और स्पष्ट हो सके|

    ReplyDelete
    Replies
    1. आज्ञा नहीं जनाब, गुजारिश की थी| मंजूर हुई, उसके लिए धन्यवाद|

      Delete
  7. वाह ..अनूठी रचना.

    ReplyDelete
  8. छोटे छोटे शब्दों में... गहरी बात

    ReplyDelete
  9. मन भाता
    सुख पाता
    उद्गाता*
    atm trpti deti sunde kavita .

    ReplyDelete
  10. रीति काल के कवियों ने ऐसे प्रयोग खूब किये थे .अब बिरले-से कभी मिल जाते हैं. इस रचना में भाव भी है और चमत्कार भी -सुन्दर !

    ReplyDelete
  11. कठिन काम, कामयाबी से कर रहे हैं इन दिनों आप - थोडे में अपनी बात पूरी तरह कह देने का कठिन काम।

    ReplyDelete
  12. शब्द छोटे, बात बड़ी. लघु-विराट का साहचर्य.
    अद्भुत!

    ReplyDelete
  13. प्रभामयी प्रभावशाली रचना ...सुन्दर शब्द संसार साधुवाद जी /

    ReplyDelete
  14. सुख दुःख एक ही सिक्के के दो पहलू ...
    " मैं गाता " की तर्ज़ पर गीत अच्छा लगा !

    ReplyDelete
  15. हाइकु से थोडा अलग तुकांत शब्द श्रंखला सुन्दर भाव चित्र से सामंजस्य स्थापित करते हुए बहुत अच्छी लगी रचना

    ReplyDelete
  16. पठनीय रचना ! आभार!

    ReplyDelete
  17. शब्दों की स्पष्ट थाप..

    ReplyDelete
  18. अद्भुत शाब्दिक संयोजन.....

    ReplyDelete
  19. Shabdon se sundar prayog ... Shabdon se khel Kood ...

    ReplyDelete
  20. adbhut ........
    bhawanaon ka jwaar uthata aur tham jata .man kasamasata kuchha naa
    kah pata.brhatarin post . callectable, PLEASE MAIL ME.

    ReplyDelete
  21. yekse yek sundar tridal hai ......

    ReplyDelete
  22. अनुराग होता है आपकी कविता से और आपसे.
    लाजबाब प्रस्तुति.

    आभार

    ReplyDelete
  23. .शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।