Friday, April 25, 2014

पंप हाउस - इस्पात नगरी से 68

सभी श्रमजीवियों को श्रमदिवस पर शुभकामनायें।
यह पम्पहाउस आज श्रमिकों का श्रद्धांजलिस्थल  है।
इस्पात नगरी पिट्सबर्ग की नदियों के किनारे आज भी स्टील मिलों के अवशेष बिखरे हुए हैं। मोनोङ्गहेला (Monongahela) नदी के किनारे बसा होमस्टेड तो पिट्सबर्ग के इस्पात निर्माण की कहानी का एक ऐतिहासिक अध्याय रहा है। विश्व प्रसिद्ध उद्योगपति एण्ड्र्यू कार्नेगी की कार्नेगी स्टील कंपनी का होमस्टेड कारख़ाना अन्य कारखानों से बेहतर था। इसके श्रमिक भी अधिक कुशल थे और यहाँ नई तकनीक के प्रयोग पर खासा ज़ोर था।

यह भवन हर रविवार को टूअर के लिए खुलता है।

प्रबंधन और कर्मियों की तनातनी लगातार बनी हुई थी जिसके कारण हड़ताल और तालाबंदी भी आम थे। 1889 की हड़ताल के बाद हुए तीन-साला समझौते के फलस्वरूप श्रमिकों के संघ अमलगमेटेड असोसियेशन ऑफ आइरन एंड स्टील वर्कर्स (Amalgamated Association of Iron and Steel Workers) को प्रबंधन द्वारा मान्यता मिली। इसके साथ ही होमस्टेड मिल के कर्मियों का वेतन भी देश के अन्य इस्पात श्रमिकों से बहुत अधिक बढ़ गया। तीन साल बाद करार पूरा होने पर खर्च बचाने को तत्पर मिलमालिक एंड्रयू कार्नेगी, कंपनी के अध्यक्ष हेनरी क्ले फ्रिक के सहयोग से संघ को तोड़ने के प्रयास में जुट गया।

घटना की विवरणपट्टी के पीछे मोनोङ्गहेला नदी पर बना इस्पात का पुरातन रेलपुल

मजदूरों ने तालाबंदी कर दी तो कार्नेगी ने पिंकरटन नेशनल डिटेक्टिव एजेंसी (Pinkerton National Detective Agency) को अपनी मिल का कब्जा लेने के लिए नियुक्त किया। 6 जुलाई 1892 को जब पिंकरटन रक्षकों का पोत मिल के साथ नदी के किनारे लगा तो श्रमिकों ने कड़ा विरोध किया। संघर्ष में सात श्रमिक और तीन रक्षकों की मृत्यु हुई और दर्जनों लोग घायल हुए। दो अन्य श्रमिकों की मृत्यु बाद में हुई। इस घटना के कारण स्थिति पर काबू पाने के लिए किए गए फ्रिक के अनुरोध पर आठ हज़ार से अधिक नेशनल गार्ड घटनास्थल पर पहुँच गए और मिल के साथ पूरी बस्ती को कब्जे में ले लिया। स्थिति नियंत्रण में आ गई।


एक बड़ी सी केतली, नहीं तब की अत्याधुनिक भट्टी


23 जुलाई 1892 को अराजकतावादी (anarchist) अलेक्ज़ेंडर बर्कमेन ने श्रमिकों के खून का बदला लेने के लिए फ्रिक के दफ्तर में घुसकर उसकी गर्दन पर दो गोलियां मारीं और बाद में चाकू से भी कई वार किए। फ्रिक को बचा लिया गया। वह एक हफ्ते में ही अस्पताल से छूटकर काम पर आ गया। बर्कमेन के हमले की वजह से मजदूरों का पक्ष काफी कमजोर पड़ा। उसे 22 वर्ष का कारावास हुआ और नवंबर 1892 तक सभी मजदूरों ने हड़ताल खत्म कर दी। श्रमिक संघ ऐसे समाप्त हुआ कि उसके बाद 1930 में ही वापस अस्तित्व में आ सका।

अपने कलाप्रेम के लिए देश भर में विख्यात फ्रिक को इस घटना के कारण अमेरिका के सबसे घृणित व्यक्ति और सबसे खराब सीईओ (Worst American CEOs of All Time) जैसे नाम दिये गए।

फ्रिक ने अपनी वसीयत में 150 एकड़ ज़मीन और बीस करोड़ (200,000,000) डॉलर का न्यास पिट्सबर्ग पालिका को दान किया। उसकी पत्नी एडिलेड की मृत्यु के बाद उनका कला संग्रहालय भी जनता के लिए खोल दिया गया। 1990 में उनकी पुत्री हेलेन ने उनकी अन्य संपत्ति दान करके पिट्सबर्ग के फ्रिक कला और इतिहास केंद्र (Frick Art and Historical Center) की स्थापना की।   

1892 की हड़ताल और तालाबंदी के स्थल पर आज "मनहाल का पंपहाउस" इस्पात श्रमिकों का स्मारक बनकर खड़ा है। घटनास्थल के कुछ अन्य चित्र यहाँ हैं। प्रत्येक चित्र को क्लिक करके बड़ा किया जा सकता है।


प्रकृति, जल, इस्पात, श्रम, निवेश, तकनीक और इतिहास

इस्पात के पुर्जे आज भी बिखरे हैं

एक पुरानी मिल के अवशेष

आलेख व सभी चित्र: अनुराग शर्मा द्वारा :: Pictures and article: Anurag Sharma

20 comments:

  1. सुंदर चित्र सुंदर आलेख ।

    ReplyDelete
  2. जानकारीपरक पोस्ट...सुन्दर चित्र

    ReplyDelete
  3. श्रम की महत्‍ता आज तक नहीं समझी जा सकी है। आपने श्रम विषयक दर्शनीय बिन्‍दु प्रस्‍तुत किए हैंं

    ReplyDelete
  4. hamesha aisi hi jankari milti rahe............dhanyvaad

    ReplyDelete
  5. श्रमिक सही मायने मे जिनके कंधों पर ही किसी भी देश की उन्नति टिकी हुई होती है !
    श्रमदिवस पर बहुत सुन्दर पोस्ट है और चित्र भी !

    ReplyDelete
  6. Waaah!! thanks, sach mein achhi jaankari !

    ReplyDelete

  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और शबरी के बेर मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  8. आज बेशक ये अवशेष हों पर इतिहास शायद ही इनको भुला सके ... तरक्की कि रेस में इनका पढाव यादगार रहा होगा ...

    ReplyDelete
  9. औद्योगिक-श्रम की बात आयेगी तो यह सब यादें उसके साथ जुड़ी चली आयेंगी -इन्हें बनाये रखना भी ज़रूरी है .

    ReplyDelete
  10. बहुत जानकारीपरक आलेख.

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर जानकारी...

    ReplyDelete
  12. इस्पात नगरी की ऐतिहासिक जानकारी देती प्रभावशाली पोस्ट..चित्रांकन भी सराहनीय है ..

    ReplyDelete
  13. उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मतदान कीजिए

    ReplyDelete
  14. चित्र इस्पात नगरी नाम को प्रमाणित कर रहे हैं।
    श्रमिक दिवस 1st may को मनाया जाता है। नहीं ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आप बरोबर सही हैं। लेकिन एक तो भारत मे यहाँ से एक दिन पहले आ जाएगा, दूसरे उस दिन हम श्रमदान मे व्यस्त होने के कारण ब्लोगपोस्ट अपडेट नहीं कर पाएंगे।, और तीसरी बात यह कि ...
      अमेरिका में श्रम दिवस 1 मई को नहीं मनाया जाता है, इसलिए एन वक्त पर हमारे भूल जाने के बड़े चांस हैं,सो पहले ही लिख दिया ताकि समय पर मौजूद रहे।

      Delete
  15. पिट्सबर्ग की खूबसूरत ज़ानकारी. औद्योगिक श्रमिकों का मै समर्थक रहा हूँ लेकिन केरल मॉडल का कदापि नहीं.

    ReplyDelete
  16. लेख और चित्र अच्छी और दिलचस्प जानकारियाँ दे रहे हैं.
    आभार.

    ReplyDelete
  17. इस्पात नगरी की जानकारीपरक पोस्ट

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।