* दंगा *
प्यार देते तो प्यार मिल जाता
कोई बेबस दुत्कार क्यूं पाता
रहनुमा राह पर चले होते
तो दरोगा न रौब दिखलाता
मेरा रामू भी जी रहा होता
तेरा जावेद भी खो नहीं जाता
सर से साया ही उठ गया जिनके
दिल से फिर खौफ अब कहाँ जाता
बच्चे भूखे ही सो गए थक कर
अम्मी होती तो दूध मिल जाता
जिनके माँ बाप छीने पिछली बार
रहम इस बार उनको क्यों आता?
ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शान्ति, पीडितों को सहनशक्ति, नेताओं को इच्छाशक्ति, सुरक्षा एजेंसियों को भरपूर शक्ति और निर्दोषों का खून बहाने वाले दरिंदों को माकूल सज़ा दे यही इच्छा है मेरी!