कहाँ से आए बदरा |
वीरों के पदचिन्ह |
एक अकेला इस शहर में |
बादल पे चलके आ |
सूरज रे, जलते रहना |
आसमां गा रहा है |
सूरज की गर्मी से पिघलकर फिर जमी बर्फ पानी का धोखा देकर वाहनों के लिए घातक सिद्ध होती है |
चम्बे दा गाँव, गाँव में दो प्रेमी रहते हैं |
ये कौन चित्रकार है |
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के |
आज रपट जाएँ तो हमें न उठइयो |
ये वादियाँ, ये फिज़ाएँ बुला रही हैं मुझे |
सीधे सीधे रास्तों को हल्का सा मोड दे दो |
तुम निडर हटो नहीं, तुम निडर डटो वहीं |
वादियाँ मेरा दामन |
ये कहाँ आ गए हम |
पत्ता पत्ता बूटा बूटा |
गोरी चलो न हंस की चाल ज़माना दुश्मन है |
नीले गगन के तले |
हर तरफ अब यही अफसाने हैं ... |
[सभी चित्र: अनुराग शर्मा :: Photos by Anurag Sharma]