Sunday, November 23, 2025

ग़ज़ल: आईना मारा गया

(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)

दोनों दिल ऐसे मिले, दिल का गिला सारा गया
ये जग हमारा हो गया, मेरा-तिरा सारा गया॥

तेरी वफ़ा ने छू लिया तो ज़ख़्म सारे भर गये
इक तेरे आने से मिरा दर्द-ए-दिल सारा गया॥

रात की तन्हाई में, इक चाँद, कुछ तारे भी थे
तेरे उजाले में मगर, उनका नशा सारा गया॥

इश्क़ के कूचे में हमने, नाम जब तेरा लिया
ग़मज़दा अपना फ़साना, लम्हों में सारा गया॥

रहने की, तेरे दिल के कोने में, लगन ऐसी जगी
हम जहाँ भी रहते थे, वाँ का पता सारा गया॥

बदसूरती पर मेरी जिसको, न ज़रा भी नाज़ था
तेरी नज़र को देखकर, वो आईना सारा गया॥

मैं यहाँ कुछ कर सकूँ, थोड़ी जगह मुझको भी दे
खुद को साबित करने में, मैं सारा का सारा गया॥
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