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Sunday, May 15, 2011

पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव [इस्पात नगरी से - 39]

सप्ताहांत में पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव देखने का अवसर मिला। यह उत्सव पिछले 54 वर्षों पिट्सबर्ग में होता रहा है। जिसमें विभिन्न देशों, और देशविहीन राष्ट्रीयताओं के लोग अपनी संस्कृति की जानकारी देते रहे हैं। देश, संस्कृति, वेश-भूषा और लोक कलाओं का परिचय देते हुए विभिन्न किओस्क, देश-विदेश की हस्तकलाओं की दुकानें, अंतर्राष्ट्रीय भोजन के स्टाल, बच्चों को लोककलायें सिखाने वाले बूथ और लोकसंगीत व लोकनृत्य के कार्यक्रम। प्रस्तुत हैं कुछ झलकियाँ, चित्रों के माध्यम से।
भारतीय दल की प्रस्तुति
सोनिया महाजन का नृत्य दल

भारत और नेपाल के ध्वज

हमने क्या इकट्ठा किया
बुद्ध की मालायें, ॐ के चिह्न आदि भी मिले परंतु भारतीय बूथ पर नहीं बल्कि एक विनम्र चीनी महाशय की दुकान पर। हमने झट से लपक लिये। बच्चों के लिये काष्ठ के कुछ खिलौने भी लिये। और डाक टिकटों के बूथ पर मिलीं निशुल्क टिकटें और बहुमूल्य जानकारियाँ। वैसे मिले तो समोसे और भटूरे भी जो हमने श्रीमती जी की नज़र बचाकर गटक लिये।  

"स्टैम्पमैन" जॉन
"स्टैम्पमैन" जॉन का बूथ कई सालों से देख रहा हूँ। अपने सहयोगियों के साथ वे अपनी ओर से बच्चों को डाक टिकट, पुस्तिकायें और विभिन्न जानकारियाँ देते हैं। उनके उत्साह को देखकर उनकी आयु का अन्दाज़ लगाना कठिन है।
मेरा भारत महान

विचार शून्य की मांग और मोसम की धमकी के बाद जोडे गये चित्र:
कालेधन के अलावा भी बहुत कुछ है स्विट्ज़र्लैंड में

लिथुआनिया की पारम्परिक वेश-भूषा

बल्गैरिया

कंस के कारागार में बालगोपाल कृष्ण कन्हैया 

चीन का बूथ

विएतनाम की कलाकृतियाँ

भारत से एक और नृत्य प्रदर्शन - नन्दिनी मण्डल की छात्रायें 

फिलिपींस का एक प्रदर्शन

फिलिपींस का मण्डप

सीरिया


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