एक बात और कहना चाहता हूँ कि अब हमारे देश के मुस्लिम नागरिकों को इस मामले को बेवजह न्यायलय में नहीं घसीटना चाहिए और खुद ही इस देश कि हिन्दू नागरिकों कि ख़ुशी के लिए पूरी जगह को ही हिन्दुओं के भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए दे देना चाहिए. ये उनके लिए एक सुनहरी मौका है ये दिखाने का कि भारतीय मुस्लिम भी देश में इन मामलों से ऊपर उठकर सिर्फ और सिर्फ प्रगति देखना चाहते हैं.
जजमेंट का यह बिंदु भड़काने वाला है और इसको सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए। साथ ही यह मुसलमानों के निजी कानूनों में खुला हस्तक्षेप है। कोई इमारत मसजिद है या नहीं यह फैसला भारतीय अदालतें नहीं कर सकतीं इसका फैसला मुसलमान और उनके धार्मिक संस्थान ही कर सकते हैं। बाबरी मसजिद का स्वामित्व सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है । मसजिद के मालिक कम से कम हिन्दू नहीं हो सकते। मंदिर के मालिक हिन्दू हो सकते हैं। मसजिद के मालिक के रूप में कानूनन वक्फ बोर्ड को ही अधिकार हैं। मुसलमान ही मसजिदों की देखभाल करते रहे हैं। विवादित अंश को पढ़ें-
Whether the disputed building was a mosque? When was it built? By whom?
The disputed building was constructed by Babar, the year is not certain but it was built against the tenets of Islam. Thus, it cannot have the character of a mosque.
बंटी चोर जी, अगर आप निर्णय के किसी भी प्रावधान को बड़ी अदालत में चुनौती देना चाहते हैं तो वहा विकल्प खुला है. भारत एक धर्मं निरापक्ष लोकतंत्र है कोइ इस्लामी/कम्युनिस्ट/सैनिक तानाशाही नहीं है.
दूसरी बात यहाँ है की वक्फ को मस्जिदों की देखरेख का अधिकार भले ही हो, उसे यह अधिकार कतई नहीं दिया जा सकता की वह किसी भी संपदा को मस्जिद कहकर अपने अधिकार में ले ले|
क्या वक्फ बोर्ड मक्का की किसी इमारत पर दावा करने की जुर्रत कर सकता है?
कल को वे इंडिया गेट को मस्जिद बताने लगेंगे तो इंडिया गेट उनका हो नहीं जाएगा.
दिलीप जी, हमारे यहाँ तो यह खबर कोई मुद्दा नहीं है। जन्मभूमि को अदालत द्वारा जन्मभूमि कह दिये जाने में किसी असम्बन्धित व्यक्ति को कुछ भी अनोखा नहीं लगेगा, शायद इसीलिये।
हमारे यहाँ ऑफिस में ईमेल आया था कि इंडिया ऑफिस में उस दिन लोग जल्दी चले जायेंगे. फैसले के बाद यहाँ के कुछ लोगों से बात हुई लोगों ने नयायालय के सूझ बुझ की सराहना की. सभी का यही यही कहना था की इंटेलिजेंट जूरी.
मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।
राम जन्मभूमि सिद्ध होने पर सभी को बधाई।
ReplyDeleteबुत बना रखें है .....नमाज़ भी अदा होती है ... ;
ReplyDeleteदिल मेरा दिल नहीं......खुदा का घर लगता है !!
बधाई हो -
ReplyDeleteसत्य को जितना भी दबाया जाये - पर वो सामने आकार ही रहता है.
दिल है क़दमों के किसी के सर झुका हो या न हो
ReplyDeleteबंदगी तो अपनी फितरत है , खुदा हो या न हो !
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर
ReplyDeleteशक्ति की करो मौलिक कल्पना ... समर अभी शेष है।
http://kavita-vihangam.blogspot.com/2010/09/blog-post_30.html
सत्यमेव जयते.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनायें !
ReplyDeleteएक बात और कहना चाहता हूँ कि अब हमारे देश के मुस्लिम नागरिकों को इस मामले को बेवजह न्यायलय में नहीं घसीटना चाहिए और खुद ही इस देश कि हिन्दू नागरिकों कि ख़ुशी के लिए पूरी जगह को ही हिन्दुओं के भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए दे देना चाहिए. ये उनके लिए एक सुनहरी मौका है ये दिखाने का कि भारतीय मुस्लिम भी देश में इन मामलों से ऊपर उठकर सिर्फ और सिर्फ प्रगति देखना चाहते हैं.
ReplyDeleteएक असंबद्ध कमेंट:-
ReplyDeleteफ़त्तू की सास ने उसे सुनाया, "दाल में घी डाल दिया है।"
फ़त्तू, "फ़ेर मन्नै के सुनावे है, अपनी दाल संवारी है।"
सत्यमेव जयते
ReplyDeleteजो भी हुआ...बहुत अच्छा हुआ..!
ReplyDeleteबधाई..
ReplyDeleteजै राम जी की . सच जो सामने आया और झूठ ने भी हिस्सा पाया
ReplyDeleteजय राम जी की... राम राम..
ReplyDeleteजय राम जी की
ReplyDeleteसिया पति राम चंद की जय
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड, जय श्री राम
अदालत के फैसले के बाद मुसलमान तय करें कि राम का वनवास बना रहे या बाबर को देश की नागरिकता मिले
जजमेंट का यह बिंदु भड़काने वाला है और इसको सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए। साथ ही यह मुसलमानों के निजी कानूनों में खुला हस्तक्षेप है। कोई इमारत मसजिद है या नहीं यह फैसला भारतीय अदालतें नहीं कर सकतीं इसका फैसला मुसलमान और उनके धार्मिक संस्थान ही कर सकते हैं। बाबरी मसजिद का स्वामित्व सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास है । मसजिद के मालिक कम से कम हिन्दू नहीं हो सकते। मंदिर के मालिक हिन्दू हो सकते हैं। मसजिद के मालिक के रूप में कानूनन वक्फ बोर्ड को ही अधिकार हैं। मुसलमान ही मसजिदों की देखभाल करते रहे हैं। विवादित अंश को पढ़ें-
ReplyDeleteWhether the disputed building was a mosque? When was it built? By whom?
The disputed building was constructed by Babar, the year is not certain but it was built against the tenets of Islam. Thus, it cannot have the character of a mosque.
बंटी चोर जी,
ReplyDeleteअगर आप निर्णय के किसी भी प्रावधान को बड़ी अदालत में चुनौती देना चाहते हैं तो वहा विकल्प खुला है. भारत एक धर्मं निरापक्ष लोकतंत्र है कोइ इस्लामी/कम्युनिस्ट/सैनिक तानाशाही नहीं है.
दूसरी बात यहाँ है की वक्फ को मस्जिदों की देखरेख का अधिकार भले ही हो, उसे यह अधिकार कतई नहीं दिया जा सकता की वह किसी भी संपदा को मस्जिद कहकर अपने अधिकार में ले ले|
क्या वक्फ बोर्ड मक्का की किसी इमारत पर दावा करने की जुर्रत कर सकता है?
कल को वे इंडिया गेट को मस्जिद बताने लगेंगे तो इंडिया गेट उनका हो नहीं जाएगा.
जय राम जी की!!!
ReplyDeleteआपके यहां कैसी प्रतिक्रिया है विदेशीयों के?
ReplyDeleteदिलीप जी, हमारे यहाँ तो यह खबर कोई मुद्दा नहीं है। जन्मभूमि को अदालत द्वारा जन्मभूमि कह दिये जाने में किसी असम्बन्धित व्यक्ति को कुछ भी अनोखा नहीं लगेगा, शायद इसीलिये।
ReplyDeleteहमारे यहाँ ऑफिस में ईमेल आया था कि इंडिया ऑफिस में उस दिन लोग जल्दी चले जायेंगे. फैसले के बाद यहाँ के कुछ लोगों से बात हुई लोगों ने नयायालय के सूझ बुझ की सराहना की. सभी का यही यही कहना था की इंटेलिजेंट जूरी.
ReplyDeleteहमें तो कभी इस बात पर संशय नही था ... और शायद किसी को भी नही था ....उनको भी जो इस बात पर लड़ रहे थे ...
ReplyDeleteजय राम जी की ...
ReplyDeleteबड़े हैं कितनो के नाम
पर सब पर भारी राम