अदा जी ने हाल ही में कैनाडा में अपने अनुभवों के बारे में एक-दो पोस्ट लिखीं जिनपर काफी रोचक प्रतिक्रियायें पढने को मिलीं। साथ ही आजकल गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी की कैलिफोर्निया यात्रा का वर्णन भी काफी मानसिक हलचल उत्पन्न कर रहा है। इसी बीच में अमेरिका के बैल नगर पालिका से कुछ लोगों की गिरफ्तारी की खबर आयी। दोनों बातों का क्या सम्बन्ध है? कोई खास तो नहीं मगर यह गिरफ्तारी यह भी दर्शाती है कि भ्रष्टाचारी तो हर जगह हो सकता है, परंतु किसी देश का चरित्र बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके भ्रष्टाचारी अंततः किस गति को प्राप्त होते हैं।
कैलिफोर्निआ राज्य की बैल नगरी में आठ नये-पुराने वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार लोगों में नगर के मेयर और उप-मेयर भी शामिल हैं। मज़े की बात यह है कि वे रिश्वत नहीं ले रहे थे और न ही उनमें से किसी ने अपनी गाडी पर लाल बत्ती लगाकर अपनी जल्दी के लिये सारा ट्रैफिक रुकवाया था। उन्होने किसी सरकारी कर्मचारी को धमकाया भी नहीं था। अपने विरोधी दल वालों को घर से उठवा लेने की धमकी दी हो, ऐसा भी नहीं है। न ही उनके सम्बन्ध दुबई या कराची में बैठे अंडरवर्ड के किसी डॉन से थे। किसी व्यक्ति के शोषण या किसी से दुर्व्यवहार की शिकायत भी नहीं है। नेताजी के जन्मदिन के लिये कम चन्दा भिजाने वाले इंजीनियर की हत्या का आरोप भी नहीं है। उन्होंने सत्ता के दम्भ में न तो संरक्षित प्राणियों का शिकार किया था और न ही शराब पीकर गरीब मज़दूरों पर गाडी चढा दी थी। उनके नगर में धनी ठेकेदारों के लिये सीवर की सफाई करने के लिये उतरे मुफ्त जान गंवाते गरीब मज़दूरों के बच्चे भीख भी नहीं मांग रहे थे।
इन अधिकारियों के अपराध के लिये जमानत की राशि एक लाख तीस हज़ार अमेरिकी डॉलर से लेकर बत्तीस लाख डॉलर तक तय हुई है। और इनका अपराध यह है कि इनके वेतन और भत्ते इनके नगर की औसत मासिक आय के अनुपात में कहीं ज़्यादा है। उदाहरण के लिये नगर प्रबन्धक रॉबर्ट रिज़ो की वार्षिक तनख्वाह आठ लाख डॉलर थी। भारी तनख्वाह लेने के अलावा इन लोगों द्वारा सिर्फ भत्ते लेने के उद्देश्य से की गयी मीटिंगें भी आरोप सूची में हैं। बेल नगर के पार्षदों की वार्षिक तनख्वाह 96,000 थी जिसे जनकर्मियों के हिसाब से काफी अधिक माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका में इसी आकार के नगरों के पार्षद सामान्यतः केवल 4800 डॉलर वार्षिक मानदेय पर काम करते हैं।
इन लोगों की करतूत से नगर और बाहर के लोगों के बीच काफी नाराज़गी है। राज्य के गवर्नर ने इस गलती को सही करने के उद्देश्य से एक ऐसे बिल पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके द्वारा बेल नगर में जनता से वसूला गया कर उन्हें उचित अनुपात में वापस किया जायेगा।
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
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अनुकरणीय उदाहरण -एक नजीर !
ReplyDelete'अदा' has left a new comment on your post "बुरे काम का बुरा नतीज़ा [इस्पात नगरी से - 30]":
ReplyDeleteअनुराग जी देख लीजियेगा ये 'केवल 4800 डॉलर वार्षिक मानदेय पर काम करते हैं।' है या 48000 होगा
सचमुच में अनुकरणीय है यह कदम...
अदा जी,
ReplyDelete4800 डौलर वार्षिक का सन्दर्भ (और पूरी खबर भी) सीएनएन पर है:
http://www.cnn.com/2010/CRIME/09/21/california.bell.arrests/?hpt=T2
[क्षमा कीजिये, आपकी टिप्पणी मेरी गलती से हट गयी थी, सो मैने दोबारा लगा दी है। ]
तय कर पाना कठिन हो रहा है कि 'उनसे' ईर्ष्या करें या खुद पर शर्म। परी कथा जैसा लगता है यह सब पढकर।
ReplyDeleteसचमुच में सुखद और अनुकरणीय।
आँख खोल देने वाला प्रकरण।
ReplyDeleteविचारणीय विषय....सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण....
ReplyDeleteकिसी दूसरी दुनियां की बातें लगती हैं ये....
ReplyDeleteऔर एक भारतीय राजनेताओं को देखिये...
ReplyDeleteअच्छी सार्थक पोस्ट !!
ReplyDeleteकाश हमारे देशमें कुछ ऐसे प्रावधान आ सकें .... सरकारी काम काज को लेकर बहुत कुछ होना बाकी है अपने देश में अभी तक ...
ReplyDeleteअरे, यह तो निर्दोष थे(हमारे संदर्भ से)
ReplyDeleteऐसा करने से तो यहां गुनाह भी न बनता और न इस तरह की कमाई की किसी को भनक भी लगती।
प्रेरणादायी पोस्ट!
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट !!
ReplyDeleteयहां के नेता और अफसरान वहां जायें तो वहां को भी यहां बना देंगे.
ReplyDeleteसलाम है उन लोगों, उन अफसरों और उन न्यायाधीशों को...
ना जाने यहा यह सुबह कब आयेगी
ReplyDeleteक्या ऐसा भी होता है...पढ़कर सुखद आश्चर्य हुआ..
ReplyDeleteवाकई एक अनुकरणीय कदम है. हमारे यहां इस तरह के काम में गिरफ़्तार करना तो कोई सोच भी नही सकता. यह वहीं संभव है. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अनुकरणीय।
ReplyDeleteभ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के ये तरीके हैं.
क्या बात है!
काश कि भारत इन से कुछ सीखे। बस इससे अधिक क्या कहा जा सकता है। धन्यवाद इस रोचक जानकारी के लिये।
ReplyDeleteअब क्या कहे,
ReplyDeleteनजीर !
ReplyDeleteयहाँ के हिसाब से तो वो लोग पालिटिक्स का ककहरा भी नहीं जानते।
ReplyDeleteअच्छा लगा जानकर...
ReplyDeleteनादान हैं। ऐसे भी कोई पकड़ाता है? किया ही क्या था? बड़ा पिछड़ा देश है।
ReplyDeleteकॉमनवेल्थ खेल के बाद यहाँ के अफसर, ठेकेदार और नेताओं को वहाँ ट्रेनिंग देने के लिए भेज देना चाहिए।
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
काश हमारे यहां भी कुछ ऐसा हो । बढिया जानकारी ।
ReplyDeleteकाश यह हमारे देश में भी हो सके ...!
ReplyDeleteप्रेरणा दायक .
ReplyDeleteअनुकरणीय
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