Saturday, November 3, 2012

तूफ़ान, बर्फ और उत्सव - इस्पात नगरी से [61]

भारतीय पर्व पितृपक्ष की याद दिलाने वाला हैलोवीन पर्व गुज़ारे हुए कुछ समय हुआ लेकिन हाल में आये भयंकर तूफ़ान सैंडी के कारण अधिकाँश बस्तियों ने उत्सव का दिन टाल दिया था। हमारे यहाँ यह उत्सव आज मनाया गया। खूबसूरत परिधानों में सजे नन्हे-नन्हे बच्चे घर घर जाकर "ट्रिक और ट्रीट" कहते हुए कैंडी मांग रहे थे। विभिन्न स्कूलों व कार्यालयों में यह उत्सव कल या परसों बनाया गया था जब सभी बड़े और बच्चे तरह तरह के भेस बनाए हुए टॉफियों के लेनदेन में व्यस्त थे। आसपास से कुछ चित्रों के साथ आपको हैलोवीन की शुभकामनाएं!



 सैंडी तूफ़ान ने अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी समेत कुछ क्षेत्रों में काफ़ी तबाही मचाई और अमेरिका के सबसे बड़े नगर का कामकाज बिलकुल रोक दिया। इसका असर हमारे यहाँ भी हुआ। हफ्ते भर चलने वाली बरसात के साथ-साथ आसपास के कुछ क्षेत्रों में समयपूर्व हिमपात देखने को मिला। आपके लिए एक हिमाद्री क्लिप एक नज़दीकी राजमार्ग से:

सम्बंधित कड़ियाँ
* हैलोवीन - प्रेतों की रात्रि [२०११]
* प्रेतों का उत्सव [२००९]
* इस्पात नगरी से - श्रृंखला

[वीडियो व चित्र अनुराग शर्मा द्वारा]

23 comments:

  1. भयंकर तूफ़ान पर पर किसी भी ब्लॉगर की अपडेट नहीं होना अखर रहा था . कुछ तो प्रत्यक्ष जानकारी मिली .
    शुभकामनाये !

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  2. उत्सव आनंद में वृद्धि करते हैं। सभी को अपनी-अपनी परंपरा के अनुरूप इसे उल्लास से मनाना चाहिए।

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  3. देश कोई भी हो, लोक परम्‍पराऍं एक जैसी ही होती हैं। इस परम्‍परा की जानकारी से अच्‍छा लगा।

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  4. त्योहार मुबारक। खुशियां बनीं रहें।

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  5. पहले भी आपने बताया था इसके बारे में और आज भी.. अच्छा लगा!!

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  6. यह भी एक अलग सा उत्सव है.....खासकर बच्चों को कुछ अलग ही रंग ढंग में देखकर बड़ा अच्छा लगता है |

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  7. यह भी एक अलग सा उत्सव है.....खासकर बच्चों को कुछ अलग ही रंग ढंग में देखकर बड़ा अच्छा लगता है |

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  8. sach hi hai jab man me utsav ki umang ho utsav tabhi manana chahiye..fir ek trasadi ke bad jeevan ki aur fir loutane ka ye behtareen tareeka hai..abhar..

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  9. तूफान और उत्सव, संग संग जीवन के।

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  10. ऊपर वाला भी कभी कभी रंग में भंग डाल देता है.

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  11. जीवन का यही क्रम निरंतर चलता है . संदी मौत का पैगाम लेकर आई और मृत्यु के बाद मृत्यु भोज भी शायद यही कहानी कहती है

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  12. प्रकृति‍ के वि‍रूद्ध कि‍सी का क्‍या ज़ोर

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  13. अनुकूलता प्रतिकूलता मेँ मानव की जिजीविषा शिखर सर करती है.

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  14. खुशियाँ मनाने के हजारों बहाने हैं बस तरीके आने चाहिए .....मुबारक सारगर्भित लेखन को ..

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  15. आपको भी बहुत शुभकामनाएं

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  16. वीडियो किसी वीडियो गेम की तरह. सफेद बर्फ बड़ी अच्छी लग रही है. लेकिन इसके पीछे कितना भयंकर तूफान था! कामायनी के नायक-नायिका किसी ऐसे ही समय में उत्तुंग शिखर पर बैठे जीवन का हिसाब किताब लगा रहे होंगे...
    डरावने चेहरे भी उत्सव में उमंग का माध्यम हैं!

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  17. रौद्र और कोमल दोनो पक्ष -और दोनो का निभाव कर ले जाना ,जीवन्तता होने के यही लक्षण हैं .

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  18. तूफ़ान भी और उत्सव भी ..जीवन है.. दोनों ही आयेंगे.

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  19. हैलोवीन भी डर जाए ऐसे तूफ़ान से...
    आशा है अब सब सामान्य हो गया होगा..

    सादर
    अनु

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  20. सैंडी तूफान के बारे में विस्‍तृत जानकारी देंगे तो अच्‍छा रहेगा।

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  21. खुशी और गम दोनों साथ साथ पर मजबूत इंसान अंत में खुशियों का ही मालिक बनता है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम

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  22. इंडिया में भी जल्दी ही इसका चलन शुरू हो जायेगा, ’लोहड़ी’ और ’टेसू’ तो पिछले जमाने की बात होती जाती है।

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  23. प्रकृति ने अपना दम दिखाया। शहर घुटने टेक झेल गया - वापस खड़ा हो रहा है !
    यूँही खड़ा होता रहे हर विपदा के बाद !

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