भारतीय पर्व पितृपक्ष की याद दिलाने वाला हैलोवीन पर्व गुज़ारे हुए कुछ समय हुआ लेकिन हाल में आये भयंकर तूफ़ान सैंडी के कारण अधिकाँश बस्तियों ने उत्सव का दिन टाल दिया था। हमारे यहाँ यह उत्सव आज मनाया गया। खूबसूरत परिधानों में सजे नन्हे-नन्हे बच्चे घर घर जाकर "ट्रिक और ट्रीट" कहते हुए कैंडी मांग रहे थे। विभिन्न स्कूलों व कार्यालयों में यह उत्सव कल या परसों बनाया गया था जब सभी बड़े और बच्चे तरह तरह के भेस बनाए हुए टॉफियों के लेनदेन में व्यस्त थे। आसपास से कुछ चित्रों के साथ आपको हैलोवीन की शुभकामनाएं!
सैंडी तूफ़ान ने अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी समेत कुछ क्षेत्रों में काफ़ी तबाही मचाई और अमेरिका के सबसे बड़े नगर का कामकाज बिलकुल रोक दिया। इसका असर हमारे यहाँ भी हुआ। हफ्ते भर चलने वाली बरसात के साथ-साथ आसपास के कुछ क्षेत्रों में समयपूर्व हिमपात देखने को मिला। आपके लिए एक हिमाद्री क्लिप एक नज़दीकी राजमार्ग से:
* प्रेतों का उत्सव [२००९]
* इस्पात नगरी से - श्रृंखला
[वीडियो व चित्र अनुराग शर्मा द्वारा]
सैंडी तूफ़ान ने अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी समेत कुछ क्षेत्रों में काफ़ी तबाही मचाई और अमेरिका के सबसे बड़े नगर का कामकाज बिलकुल रोक दिया। इसका असर हमारे यहाँ भी हुआ। हफ्ते भर चलने वाली बरसात के साथ-साथ आसपास के कुछ क्षेत्रों में समयपूर्व हिमपात देखने को मिला। आपके लिए एक हिमाद्री क्लिप एक नज़दीकी राजमार्ग से:
सम्बंधित कड़ियाँ* हैलोवीन - प्रेतों की रात्रि [२०११]
* प्रेतों का उत्सव [२००९]
* इस्पात नगरी से - श्रृंखला
[वीडियो व चित्र अनुराग शर्मा द्वारा]
भयंकर तूफ़ान पर पर किसी भी ब्लॉगर की अपडेट नहीं होना अखर रहा था . कुछ तो प्रत्यक्ष जानकारी मिली .
ReplyDeleteशुभकामनाये !
उत्सव आनंद में वृद्धि करते हैं। सभी को अपनी-अपनी परंपरा के अनुरूप इसे उल्लास से मनाना चाहिए।
ReplyDeleteदेश कोई भी हो, लोक परम्पराऍं एक जैसी ही होती हैं। इस परम्परा की जानकारी से अच्छा लगा।
ReplyDeleteत्योहार मुबारक। खुशियां बनीं रहें।
ReplyDeleteपहले भी आपने बताया था इसके बारे में और आज भी.. अच्छा लगा!!
ReplyDeleteयह भी एक अलग सा उत्सव है.....खासकर बच्चों को कुछ अलग ही रंग ढंग में देखकर बड़ा अच्छा लगता है |
ReplyDeleteयह भी एक अलग सा उत्सव है.....खासकर बच्चों को कुछ अलग ही रंग ढंग में देखकर बड़ा अच्छा लगता है |
ReplyDeletesach hi hai jab man me utsav ki umang ho utsav tabhi manana chahiye..fir ek trasadi ke bad jeevan ki aur fir loutane ka ye behtareen tareeka hai..abhar..
ReplyDeleteतूफान और उत्सव, संग संग जीवन के।
ReplyDeleteऊपर वाला भी कभी कभी रंग में भंग डाल देता है.
ReplyDeleteजीवन का यही क्रम निरंतर चलता है . संदी मौत का पैगाम लेकर आई और मृत्यु के बाद मृत्यु भोज भी शायद यही कहानी कहती है
ReplyDeleteप्रकृति के विरूद्ध किसी का क्या ज़ोर
ReplyDeleteअनुकूलता प्रतिकूलता मेँ मानव की जिजीविषा शिखर सर करती है.
ReplyDeleteखुशियाँ मनाने के हजारों बहाने हैं बस तरीके आने चाहिए .....मुबारक सारगर्भित लेखन को ..
ReplyDeleteआपको भी बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteवीडियो किसी वीडियो गेम की तरह. सफेद बर्फ बड़ी अच्छी लग रही है. लेकिन इसके पीछे कितना भयंकर तूफान था! कामायनी के नायक-नायिका किसी ऐसे ही समय में उत्तुंग शिखर पर बैठे जीवन का हिसाब किताब लगा रहे होंगे...
ReplyDeleteडरावने चेहरे भी उत्सव में उमंग का माध्यम हैं!
रौद्र और कोमल दोनो पक्ष -और दोनो का निभाव कर ले जाना ,जीवन्तता होने के यही लक्षण हैं .
ReplyDeleteतूफ़ान भी और उत्सव भी ..जीवन है.. दोनों ही आयेंगे.
ReplyDeleteहैलोवीन भी डर जाए ऐसे तूफ़ान से...
ReplyDeleteआशा है अब सब सामान्य हो गया होगा..
सादर
अनु
सैंडी तूफान के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे तो अच्छा रहेगा।
ReplyDeleteखुशी और गम दोनों साथ साथ पर मजबूत इंसान अंत में खुशियों का ही मालिक बनता है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
इंडिया में भी जल्दी ही इसका चलन शुरू हो जायेगा, ’लोहड़ी’ और ’टेसू’ तो पिछले जमाने की बात होती जाती है।
ReplyDeleteप्रकृति ने अपना दम दिखाया। शहर घुटने टेक झेल गया - वापस खड़ा हो रहा है !
ReplyDeleteयूँही खड़ा होता रहे हर विपदा के बाद !