नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे की पिछली कड़ियाँ
भाग 1; भाग 2; भाग 3; भाग 4; भाग 5; भाग 6; भाग 7;
सत्याभास (कहानी); किशोर चौधरी के नाम (पत्र)
सपने सबको आते हैं। सपने न आने का एक ही अर्थ है, सपना भूल जाना। और सपने देखने का अर्थ भी एक ही है, सपने के बीच नींद खुल जाना। स्वप्न वह दृश्यावली नहीं है जो आपने देखी, स्वप्न वह कहानी है जो एकसाथ घटती बीसियों ऊलजलूल घटनाओं को बलपूर्वक एक क्रम में बांधकर तारतम्य बिठाने के लिये आपके मस्तिष्क ने गढ़ी है।
स्वप्न: मैं सपने में जो भी काम करना शुरु करता हूँ वह कभी भी सम्पन्न नहीं हो पाता। क्या कोई मित्र इसकी व्याख्या या अर्थ समझा सकता है? ऐसा लगभग 20-25 साल से तो अवश्य ही घटित हो रहा है।
व्याख्या: सर्वप्रथम, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आपका स्वप्न वह नहीं जो आपने नींद में अनुभव किया, बल्कि उस अनुभव में से जितने अंश याद रह गये, स्वप्न उन अंशों से बुनी हुई तार्किक कथा मात्र है। इनमें से अनेक अंश एक दूसरे से पूर्णतः असम्बद्ध हो सकते हैं।
यदि आप स्वप्न में अक्सर कोई न कोई कार्य आरम्भ कर रहे होते हैं तो इसका सरल अर्थ यही है कि आपके मानकों के अनुसार आपके कार्य अभी अपूर्ण हैं। स्वप्न में उनका सम्पन्न न हो पाना भी यही दर्शाता है कि अभी आप अपने उद्देश्य को पूर्ण मानने की स्थिति में नहीं हैं।
सुझाव: मेरी सलाह यही है कि आप एक नई नोटबुक लेकर अपने जीवन के अपूर्ण/ पेंडिंग कार्यों की सूची बनाएँ, और उन कार्यों से सम्बंधित समस्त जानकारी, जैसे कार्य का महत्व, लागत, समय, बाधाएँ, सहयोगी, आदि को एकत्र करके उनकी परियोजना बनाकर कार्य करें। इससे दोहरा लाभ होगा। सम्पन्न होते जा रहे कार्यों की सूची सदा उपलब्ध होगी, और अपूर्ण कार्यों की वर्तमान स्थिति और सम्भावित अवधि अद्यतन रहेगी।
- अनुराग शर्मा
[क्रमशः]
जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण सुझाव..
ReplyDeleteबहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeleteसादर
बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeleteसादर
सुन्दर व सटीक
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अपने दिल को सुरक्षित रखें : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteअत्यंत ही महत्वपूर्ण सुझाव...अनुराग जी
ReplyDeleteबड़े काम की बातें।
ReplyDeleteक्या करना है, किधर चलना है यह सर्वदा मस्तिष्क तय नहीं करता । अंतःकरण से प्रेरणा उभरती है और शरीर कल पुर्जे की भॉति कार्य करने मेें जुट जाता है । मनुष्य मरने के बाद भी स्वप्नावस्था मेें न चला जाए, ज्ञानीजन इस हेतु कर्म करते हैं। घर गृहस्थी ऐसी चीज है कि जो इसके दॉवपेच मेें भीतर तक फंस जाता है वह स्वयं को भूल जाता है तथा जीते जी और मृत्यु के बाद भी स्वप्नावस्था मेें ही रहता है। इसलिए वैराग्य आवश्यक है। वैराग्य से मतलब है कि जिसदिन यह ज्ञान हो गया कि शरीर हाड़ मांस का पिंड है यह सदा नही रहेगा मृत्यु निश्चित है। और यह मानकर कर्म किया जाए तो स्वप्नावस्था प्राप्त नहीं होगी गाढ़ निद्रा मिलेगी । और ---
ReplyDeleteइतना अच्छा विषय छूने के लिए भाई अनुराग जी को धन्यवाद।