दिल हमारा तोड़कर, रहने कहाँ जाओगी तुम।
फूल से चेहरे पे आँसू का लगा जैसे हुज़ूम,
आईने में देखकर, खुद से ही घबराओगी तुम।
प्रेम की ख़ुशबू हमारे, बसती थी हर साँस में,
दौलतों में ढूँढती, उसको कहाँ जाओगी तुम।
रात की वीरानगी में याद कर करके मुझे,
नाम मेरा लेके फिर, चुपचाप रो जाओगी तुम।
हम तो इस वीराँ गली की धूल में मिल जाएंगे,
लौट आओ भी कभी, पर न हमें पाओगी तुम।
बच गया अनुराग, थोड़ा सा तुम्हारे पास भी,
ज़िक्र आयेगा जहाँ भी, चौंक सी जाओगी तुम॥
