(चित्र व पंक्तियाँ: अनुराग शर्मा)
है नाम लबों पर तो सदा क्यूँ नहीं देते,
जब दर्द दिया है तो दवा क्यूँ नहीं देते
ज़िंदा हूँ इस बात का एहसास हो सके
मुर्दे को मेरे फिर से हिला क्यूँ नहीं देते
है गुज़री कयामत मैं फिर भी न गुज़रा
ये सांस जो अटकी है हटा क्यूँ नहीं देते
सांस ये चलती नहीं है दिल नहीं धड़के,
जाँ से मिरी मुझको मिला क्यूँ नहीं देते
सपनों में सही तुमसे मुलाकात हो सके,
हर रात रतजगे को सुला क्यूँ नहीं देते
(प्रेरणा: हसरत जयपुरी की "जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते")
अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन के स्वर में
इंद्र्धनुष |
जब दर्द दिया है तो दवा क्यूँ नहीं देते
ज़िंदा हूँ इस बात का एहसास हो सके
मुर्दे को मेरे फिर से हिला क्यूँ नहीं देते
है गुज़री कयामत मैं फिर भी न गुज़रा
ये सांस जो अटकी है हटा क्यूँ नहीं देते
सांस ये चलती नहीं है दिल नहीं धड़के,
जाँ से मिरी मुझको मिला क्यूँ नहीं देते
सपनों में सही तुमसे मुलाकात हो सके,
हर रात रतजगे को सुला क्यूँ नहीं देते
(प्रेरणा: हसरत जयपुरी की "जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते")
अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन के स्वर में