पिछली बार एक संजीदा कविता ब्लॉग पर रखी तो मित्रों ने ऐसी चकल्लस की कि कविता की गंभीरता किसी चुटकुले में बदल गयी। मगर एक बात तो साफ़ हुई - वह यह कि मेरे मित्रों का दिल बहुत बड़ा है और वे हमेशा हौसला-अफजाई करने को तय्यार रहते हैं। उन्हीं मित्रों के सम्मान में एक रचना और - नई भी है और आशा से भरी भी, ताकि आपको कोई शिकायत न रहे।
जिधर देखूँ फिजाँ में रंग मुझको दिखता तेरा है
अंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।
हैं गहरी झील सी आँखें कहीं मैं डूब न जाऊं
तेरी चितवन है या डाला मदन ने अपना डेरा है।
लगे हैं हर तरफ़ दर्पण न जाने कितने रूपों में
जिधर देखूँ फिजाँ में रंग मुझको दिखता तेरा है
अंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।
हैं गहरी झील सी आँखें कहीं मैं डूब न जाऊं
तेरी चितवन है या डाला मदन ने अपना डेरा है।
लगे हैं हर तरफ़ दर्पण न जाने कितने रूपों में
तू ही तू है किसी में भी न दिखता मुखड़ा मेरा है।
अच्छी रचना है.अगर आप दूर देश में रहकर ऐसी रचनाएँ लिख पा रहे हैं तो आपकी रचना धर्मिता को सलाम.आप जैसे लोगों से ही हिन्दी - ग़ज़ल जीवित है.......अच्छा प्रयास...
ReplyDeleteअच्छी रचना है.अगर आप दूर देश में रहकर ऐसी रचनाएँ लिख पा रहे हैं तो आपकी रचना धर्मिता को सलाम.आप जैसे लोगों से ही हिन्दी - ग़ज़ल जीवित है.......अच्छा प्रयास...
ReplyDeleteसाहब ये मदन का डेरा पिताबर्ग तक फैला हुआ है !
ReplyDeleteआजकल लगता है मदनोत्सव की बहार छाई है.
बड़ा मासूम दिखता है ये नादां प्यारा सा चेहरा,
ReplyDeleteचुराकर ले गया यह दिल अरे पक्का लुटेरा है।
अनुराग जी किस लुटेरे की बात कर रहे हैं?? :)
बहुत अच्छी रचना है !!!!!!!
शानदार ग़ज़ल।
ReplyDeleteहैं गहरी झील सी आँखें कहीं मैं डूब न जाऊं
ReplyDeleteतेरी चितवन है या डाला मदन ने अपना डेरा है।
सुंदर पंक्तियाँ बधाई
कृपया पधारे manoria.blogspot.com and knjiswami.blog.co.in
अपनी पतझड़ सावन वसंत बहार की क्या प्रगति कृपया अवगत कराये
तू आँखें बंद करले तो अमावस रात है काली
ReplyDeleteहसीं मुस्कान में तेरी गुलाबी इक सवेरा है।
बहुत खूबसूरत ! ऎसी ही हँसी मुस्कान चाहिए ?
ताऊ गंभीर त कदी होता ही कोनी , घणे ही गम
जमाने न दे राखे सै मित्र ! हम त ब्लागरी हँसी
खुसी खातर ही करते हैं ! जिस दिन इसमै भी गम
घुसग्या त उसी दिन तैं यो धंधा भी बंद !
हंसो , हंसाओ और मौज लो !
बड़ी उम्दा है ! तिवारी साहब को पसंद आयी !
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद !
जिधर देखूं फिजां में रंग मुझको दिखता तेरा है
ReplyDeleteअंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।
वाह साहब ! ये हुई दिल लायक बात !
बहुत ही सुंदर !!!
जिधर देखूं फिजां में रंग मुझको दिखता तेरा है
ReplyDeleteअंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।
वाह साहब ! ये हुई दिल लायक बात !
बहुत ही सुंदर !!!
aap bhi pakke lutere ho,thok me taarif lut le jaate ho.bahut badhiya,badhai
ReplyDeleteजिधर देखूं फिजां में रंग मुझको दिखता तेरा है
ReplyDeleteअंधेरी रात में किस चांदनी ने मुझको घेरा है।
बहुत स्मार्ट लिखा है इंडियन भाई .... बहुत खूब. बधाई स्वीकारें ..... लिखते रहें
waah anurag jee ye huyi na baat..matalab ki ab aaye na sahi raste par.
ReplyDeletebahut masoom sa saundarya aur aapke shabdon ke narmiyat.......subhanallah
ReplyDeleteबड़ा मासूम दिखता है ये नादां प्यारा सा चेहरा,
ReplyDeleteचुराकर ले गया यह दिल अरे पक्का लुटेरा है।
बहुत सुंदर ..अच्छी लगी यह पंक्तियाँ
भले आदमी कोई पाठक इसे कविता कहता तो हम नजर अंदाज कर देते पर आप तो इसे गजल कहिये.....
ReplyDeleteबड़ा मासूम दिखता है ये नादां प्यारा सा चेहरा,
चुराकर ले गया यह दिल अरे पक्का लुटेरा है।
ये शेर अच्छा है...
दो लाइनें समर्पित करता हूं:-
ReplyDelete'सब कुछ लुटा दिया तेरे प्यार में सितमगर
इक भैंस बच गई थी वो आज बेच दी'
हाय.. रे. ये इश्क..
सुन्दर!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल है.
ReplyDelete.
ReplyDeleteशर्मा जी, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है, वैसे तो..
इतनी सारी तारीफ़ों में मेरी भी जुड़ जाये ।
किंतु यहाँ एक सहज सा प्रश्न मेरे मन में आरहा है,
यह शादी के पहले लिखी रचना है, या शादी के बाद ?
स्थितियों के हिसाब से ही इसका सटीक रस निर्धारित किया जा सकता है !
Bahut sundar
ReplyDeleteबड़ा मासूम दिखता है ये नादां प्यारा सा चेहरा,
ReplyDeleteचुराकर ले गया यह दिल अरे पक्का लुटेरा है।
-वाकई लूट लिया इन पँक्तियों ने!!!
बहुत उम्दा!!
'सब कुछ लुटा दिया तेरे प्यार में सितमगर
ReplyDeleteइक भैंस बच गई थी वो आज बेच दी'
भाई योगीन्द्र मौदगिल जी थारा शेर म अगर
भैंस न झोठ्ठी कह देते त के भैस की इज्जत
ख़राब हो री थी ? क्यूँ की म्हारी अगली पोस्ट
की हिरोइन भैंस सै ! उसको साइनिंग अमौन्ट भी
दे दिया सै ! पिक्चर १४ रील शूट हो गी सै !
क्लाइमेक्श की शूटिंग चाल री सै !
जल्दी ही रिलीज कर रहे हैं !
पिछली बार एक संजीदा कविता ब्लॉग पर रखी तो मित्रों ने ऐसी चकल्लस की कि कविता की गंभीरता किसी चुटकुले में बदल गयी।
ReplyDeleteवास्तव में ब्लॉग पर कभी एक प्रकार का रिस्पॉंस की अपेक्षा करते हैं और मित्रगण उसे किसी अन्य दिशा में ले जाते हैं।
मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ है।
हमेँ तो ये गज़ल बहुत पसँद आई !
ReplyDeleteभाई वाह, गजब। आज तो आप पूरे मिजाज में हैं। ऐसे ही जमाए रहिए यारों की महफिल। शुभकामनाएं।
ReplyDeletechura kar le gaya ye dil pakka lutera hai, poori rachana achhi hai. ek badhiya khurak dene ke liye dhanyawad.
ReplyDeletesharmaji aapki rachna me dam hai.
ReplyDeleteहमेँ भी ये गज़ल बहुत पसँद आई !
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई
so nice!
ReplyDeleteभाई साहिब सब ने इतनी तारीफ़ कर दी अब मेरी तारीफ़ फ़ीकी लगेगी, इस लिये इस गरीब की राम राम ही ले ले.
ReplyDeleteधन्यवाद
subanallah
ReplyDeleteपिछली बार एक संजीदा कविता ब्लॉग पर रखी तो मित्रों ने ऐसी
ReplyDeleteचकल्लस की कि कविता की गंभीरता किसी चुटकुले में बदल गयी।
जाकी रही भावना जैसी , प्रुभु मूरत तिन देखी तैसी,
भाटियाजी को रामराम और नई दूकान की शुभकामनाएं !
बड़ा मासूम दिखता है ये नादां प्यारा सा चेहरा,
ReplyDeleteचुराकर ले गया यह दिल अरे पक्का लुटेरा है।
-वाकई लूट लिया इन पँक्तियों ने!!!
तू आँखें बंद करले तो अमावस रात है काली
ReplyDeleteहसीं मुस्कान में तेरी गुलाबी इक सवेरा है।
भाई वाह...आप का ये अंदाज़ बहुत दिलकश लगा...आप वो इंडियन हो जिस पर हर इंडियन को नाज हो सकता है...फ़िल्म अभिनेता अजित जी की आवाज में...वैरी स्मार्ट...
नीरज
bahut hi sundar rachna :)
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