Saturday, August 9, 2008

भविष्य अब भूत हुआ

भविष्य अगर भूत हो जाय तो उसे क्या कहेंगे - विज्ञान कथा (साइंस फिक्शन)? शायद! मेरी नज़र में उसे कहेंगे - पुराना भविष्य या भविष्य पुराण। भविष्य पुराण की गिनती प्रमुख १८ पुराणों में होती है। अरब लेखक अल बरूनी की किताब-उल-हिंद में इस पुराण का ज़िक्र भी अठारह पुराणों की सूची में है।

भविष्य पुराण की एक खूबी है जो उसे अन्य समकक्ष साहित्य से अलग करती है। यह पुराण भविष्य में लिखा गया है। अर्थात, इसमें उन घटनाओं का वर्णन है जो कि भविष्य में होनी हैं। खुशकिस्मती से हम भविष्य में इतना आगे चले आए हैं कि इसमें वर्णित बहुत सा भविष्य अब भूत हो चुका है।

भारत में भविष्य में अवतीर्ण होने वाले विभिन्न आचार्यों व गुरुओं यथा शंकराचार्य, नानक, सूरदास आदि का ज़िक्र तो है ही, भारत से बाहर ईसा मसीह, हजरत मुहम्मद से लेकर तैमूर लंग तक का विवरण इस ग्रन्थ में मिलता है।

इस पुराण के अधिष्ठाता देव भगवान् सूर्य हैं। श्रावण मास में नाग-पंचमी के व्रत की कथा एवं रक्षा-बंधन की महिमा इस पुराण से ही आयी है। कुछ लोग सोचते हैं कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सिर्फ़ परलोक की बातें हैं। इससे ज्यादा हास्यास्पद बात शायद ही कोई हो। इस पुराण में जगह जगह जनोपयोग के लिए कुँए, तालाब आदि खुदवाने का आग्रह है। वृक्षारोपण और उद्यान बनाने पर जितना ज़ोर इस ग्रन्थ में है उतना किसी आधुनिक पुस्तक में मिलना कठिन है।

पुत्र-जन्म के लिए हर तरह के टोटके करने वाले तथाकथित धार्मिक लोगों को तो इस ग्रन्थ से ज़रूर ही कुछ सीखना चाहिए। यहाँ कहा गया है कि वृक्षारोपण, पुत्र को जन्म देने से कहीं बड़ा है क्योंकि एक नालायक पुत्र (आपके जीवनकाल में ही) कितने ही नरक दिखा सकता है जबकि आपका रोपा हुआ एक-एक पौधा (आपके दुनिया छोड़ने की बाद भी) दूसरों के काम आता रहता है।

अब आप कौन सा पौधा लगाते हैं इसका चयन तो आपको स्वयं ही करना पडेगा। संत कबीर के शब्दों में:
करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय ।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥

और हाँ, पेड़ लगाने के बहाने गली पर कब्ज़ा न करें तो अच्छा है।

20 comments:

  1. सुन्दर आलेख है भाई. अच्छा लगा.

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  2. बहुत सुन्दर जानकारी दी हे आप ने, किताब-उल-हिंद के बारे,सच हे हमारे बुजुर्ग बहुत आगे की सोचते थे, धन्यवाद

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  3. नहीं नहीं जब भूत भविष्य बन कर दिखे तब होती है विज्ञान कथा -समकालीन मिथक है विज्ञान कथा .भविष्य पुराण की रचना तो भोट काल में हुयी -वर्णन है भविष्य का -इस लिहाज से शैली के आधार पर यह साईंस फिक्शन है .कथ्य भी चूंकि भविष्य को समेटे हुए हैं इसलिए कुछ तत्व यहाँ भी विज्ञान कथात्मक हैं .
    दरसल यही कारण है कि मैंने लगभग दो दशक पहले एक लेख लिखा था -भविष्य पुराण की ही आधुनिक सिली हैं विज्ञान कथाएं !चिन्तनपरक लेख के लिए आभार -मगर यह उत्तरोत्तर हल्का होता गया है -आप ख़ुद देखें .....

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  4. रोचक है यह पुराण। गीताप्रेस की प्रकाशित पुस्तक मैने भी खरीदी थी। बहुत कुछ नॉस्त्रेदम की कहावतों की तरह लगती है।
    असल में आज के युग की भी कई अच्छी पुस्तकें भविष्य में झांकने वाली हैं। भविष्य दर्शन सदा से कौतूहल का विषय रहा है!

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  5. देख कर यूँ ही छोड़ दिया गया कभी लगता है पढ़ना ही पड़ेगा भविष्य पुराण।

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  6. concreet ke junglon me sach me ab wrikshon ki zaroorat hai.achha,gyanwardhak aur shikshaprad lekh.badhai aapko

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  7. आपने बिल्कुल सही बात पकडी है ! आजकल हम विज्ञान कथाएँ
    कहते हैं ! बहुत कुछ वो ही है भविष्य पुराण !

    "इसमें वर्णित बहुत सा भविष्य अब भूत हो चुका है।"

    जैसे गैलिलियो की चपटी धरती गोल हो गई ! :)
    कोई भी किताब शाश्वत नही हो सकती !

    और हाँ, पेड़ लगाने के बहाने गली पर कब्ज़ा न करें तो अच्छा है।
    मैं तो इस एक वाक्य पर आपको सौ में से सौ नंबर दूंगा !
    ताऊ खुश हुआ ! :)

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  8. achchha laga aalekh aapka. mere khayal se ko kam se kam bhavishy puran to padh hi lena chahiye

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  9. रोचक और अद्भुत जानकारी.
    आगे भी जारी रखिये तो मज़ा आए.
    वैसे नेस्त्रादमस को तो मैंने भी थोड़ा बहुत पढ़ा है.
    क्या सच है?
    जबरदस्त अंदाजे

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  10. सही कहा .....देखिये कबीर जी तो कब से चेता रहे थे

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  11. भविष्य पुराण के बहाने नेशनल बुक ट्रस्ट से छपी विज्ञान कथा की किताब "बीता हुआ भविष्य" याद आ गयी, जिसमें समस्त भारतीय भाषाओं की चुनी हुई विज्ञान कथाएं प्रकाशित हुई हैं। चूंकि आपको विज्ञान कथाओं में विशेष रूचि है, इसलिए आपको यदि वह किताब कहीं मिले, तो उसे जरूर पढें।
    भविष्य पुराण से परिचय कराने का शुक्रिया।

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  12. अलग अलग विषयोँ पर आलेख पढना पसँद आता है -
    कुछ और तथ्य भी अगली कडी मेँ दीजियेगा -
    आभार -
    - लावण्या

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  13. koi website ka add. hai kisi ke pass , jisse yeh kitab pari ja ske?

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  14. kisi ke pass is book ke bare mai puri zankari hai to muje bataye

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  15. भविष्य पुराण और इसके कल्याण विशेषांकों का संग्रह गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हैं और देश भर में बिखरे हुए उनके स्टाल्स पर मिल सकते हैं. यदि आप उनसे सीधा संपर्क करना चाहते हैं तो पता यहाँ उपलब्ध है:
    Gita Press Gorakhpur Ki Pustak Dukan
    Gita Press
    P.O. Gita Press
    Gorakhpur - 273005
    Phone : +91-551-2334721
    Fax : +91-551-2336997

    संभवतः इस किताब के अन्य संस्करण धार्मिक पुस्तक भंडारों पर भी प्राप्त हो सकते हैं.

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  16. मेरी आज की पोस्ट इस भूमिका की अगली कड़ी के रूप में लिया जाय। इसे यहाँ देखकर वह कहावत याद आ रही है कि भले लोग एक सा सोचते हैं। :)

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  17. सिद्धार्थ जी की प्रविष्टि पढ़कर ही यहाँ आया । रोचक प्रविष्टि लिखी है आपने । आभार ।

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  18. बहुत सुंदर जानकारी,आज के व्यस्ततम समय मे अधिकांस लोग पौराणिक जानकारी कम ही रखते हैं और लोग इसे फालतू की चीज कह कर जानना भी नही चाहते , किन्तु नेट के माध्यम से इस तरह का प्रकासन निश्चय ही सराहनीय है ,इस पर निश्चय ही और अधिक प्रयास होना चाहिए , ,हां प्रकासन अपनी विषयवस्तु से भटके नही । हिंदू समाज अपने वास्तविक और शास्वत रूप की बहुलता जा रहा है , लोग अपनी पारम्परिक व्यवस्था को जाने समझे और वापस लौटे यह बहुत अच्छा रहेगा ,इस गरिमामय प्रकासन के लिए बहुत बहुत बधाई और आभार

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