के बात सै मित्र ? इतनी उदासी क्यूँकर आई ? कोई गोरी कै चक्कर मै त नी आग्या सै म्हारा मित्र ! भाई बचकै ज़रा ! और ठीक सै नी मान्या त भाभी नै भी बताणा पडैगा ! :)
दोस्त लगता है - कहीं चोट खा गए हो | तिवारी साहब भी खा चुके हैं | हम अनुभव से कह रहे हैं | पर भाव व्यक्त करने में सफल रहे हैं आप | शुभकामनाएं | - तिवारी साहब
नाउम्मीदी बढ़ गयी है इस कदर, आरजू की आरजू होने लगी. बंधु लोग, मैं सही सलामत हूँ, कई डैडलाइंस से जूझ रहा था इसलिए दिमागी कसरत से बचने के लिए किशोरावस्था में लिखी एक पुरानी याद सामने रख दी थी. बस इतना ही - आपकी चिंताएं और शुभकामनाये पढ़कर अच्छा लगा!
चलिए तसल्ली हुई ! पर कुछ बात भी हो तो बता दीजियेगा ! वादा रहा , अगर पहली ही गलती हुई तो भाभी जी को नही बताएँगे ! :) वैसे आपने ये तो कबूल ही लिया है की किशोरावस्था में ये गलती कर चुके हैं ! अब उसको याद भी नही करिएगा वरना नतीजा तिवारी साहब से जान लीजियेगा ! इनकी काफी दुर्गति पन्डताइन कर चुकी हैं ! :) क्यों तिवारी महाराज ?
चल रहे थे साथ साथ एकाकीपन की कल्पना भी कर जाती थी रचना भले ही पुरानी हो पर भावनाएँ तो वही रहती हैं और विशेष परिस्थिति में पुनः जग जाती हैं। बधाई स्वीकारें।
डेड लाइन के चक्कर में ख़ुद को डेड न करें बंधू...निराशा पूर्ण लेकिन फ़िर भी शब्द और भाव के लिहाज से उत्तम रचना...अगली पोस्ट एक मुस्कुराती रचना की होनी चाहिए...इन्तेजार रहेगा. नीरज
अरे भाई ताऊ रामपुरिया जी आप क्यों हमारे पीछे पड़े हो ! अब ये क्या जरुरी है की पन्डताइअन जो मेरे साथ करेगी वो सबको बताया ही जाय ! अरे हमारी पन्डताइन है दो चार धर भी दिए तो पराई थोड़ी ही है ! आप भी तो ताई से हमेशा लट्ठ खाते रहते हो ! हम किसी को बताते हैं क्या ? आप ख़ुद ही चिल्लाते फिरते हो ! आप तो नंगे नबाव हो रहे हो ! अब हमारी तो ढकी रहने दो ! :)
मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।
बहुत खूब!! वाह!
ReplyDeleteजीवन का
ReplyDeleteएहसास लिये
चलता जा रहा हूँ
तुम्हारे बिना।
के बात सै मित्र ? इतनी उदासी क्यूँकर आई ?
कोई गोरी कै चक्कर मै त नी आग्या सै म्हारा
मित्र ! भाई बचकै ज़रा ! और ठीक सै नी मान्या
त भाभी नै भी बताणा पडैगा ! :)
सुंदर शब्द रचना ! बधाई !
बेहद उम्दा और गहराई को छूती हुई रचना !
ReplyDeleteशुभकामनाएं !
आज मैं निस्संग़
ReplyDeleteतय कर चुका हूँ
असीम दूरियाँ
दोस्त लगता है - कहीं चोट खा गए हो |
तिवारी साहब भी खा चुके हैं | हम अनुभव
से कह रहे हैं | पर भाव व्यक्त करने में सफल
रहे हैं आप | शुभकामनाएं |
- तिवारी साहब
कहाँ जा रहे हैं, हमें छोड़ कर?
ReplyDeleteदिल के बेहद करीब | बहुत उम्दा रचना |
ReplyDeleteसुभान-अल्लाह ... क्या हो रिया है ये ?
ReplyDeleteमिजाज बदले बदले से हैं ? ? ?
नाउम्मीदी बढ़ गयी है इस कदर, आरजू की आरजू होने लगी.
ReplyDeleteबंधु लोग, मैं सही सलामत हूँ, कई डैडलाइंस से जूझ रहा था इसलिए दिमागी कसरत से बचने के लिए किशोरावस्था में लिखी एक पुरानी याद सामने रख दी थी. बस इतना ही - आपकी चिंताएं और शुभकामनाये पढ़कर अच्छा लगा!
shukra hai mamla purana hai,purana bas mamla hi rahe rog purana na nikal jaye.bahut sunder,badhai
ReplyDeleteचलिए तसल्ली हुई ! पर कुछ बात भी
ReplyDeleteहो तो बता दीजियेगा ! वादा रहा ,
अगर पहली ही गलती हुई तो भाभी जी
को नही बताएँगे ! :) वैसे आपने ये तो
कबूल ही लिया है की किशोरावस्था में ये
गलती कर चुके हैं !
अब उसको याद भी नही करिएगा वरना
नतीजा तिवारी साहब से जान लीजियेगा !
इनकी काफी दुर्गति पन्डताइन कर चुकी हैं ! :)
क्यों तिवारी महाराज ?
बहुत सुंदर जी ..कभी कभी पुरानी यादों के पन्नो में से कुछ लिखना बहुत अच्छा लगता है .आपकी यह याद पसंद आई
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है अनुराग जी !!!!!!!!!!
ReplyDeleteचल रहे थे
ReplyDeleteसाथ साथ
एकाकीपन की
कल्पना भी
कर जाती थी
रचना भले ही पुरानी हो पर भावनाएँ तो वही रहती हैं और विशेष परिस्थिति में पुनः जग जाती हैं। बधाई स्वीकारें।
डेड लाइन के चक्कर में ख़ुद को डेड न करें बंधू...निराशा पूर्ण लेकिन फ़िर भी शब्द और भाव के लिहाज से उत्तम रचना...अगली पोस्ट एक मुस्कुराती रचना की होनी चाहिए...इन्तेजार रहेगा.
ReplyDeleteनीरज
अरे भाई ताऊ रामपुरिया जी आप क्यों
ReplyDeleteहमारे पीछे पड़े हो ! अब ये क्या जरुरी है की
पन्डताइअन जो मेरे साथ करेगी वो सबको बताया
ही जाय ! अरे हमारी पन्डताइन है दो चार धर भी
दिए तो पराई थोड़ी ही है ! आप भी तो ताई से हमेशा लट्ठ खाते रहते हो ! हम किसी को बताते हैं क्या ? आप ख़ुद ही चिल्लाते फिरते हो ! आप तो नंगे नबाव हो रहे हो ! अब हमारी तो ढकी रहने दो ! :)
वाह बहुत खूब बहुत ही बढ़िया। उत्तम...अति सुंदर।।।।
ReplyDeletekya baat hai.....aaj udaas hai....
ReplyDeleteभाई यहां तो पूरे घाघ श्रोता हैं, हमारे प्रिय कवि को सफाई देना पड़ गया :)
ReplyDeleteकविता अच्छी है, आगे की कथा भी सुनने को मिलेगी क्या :)
मृतप्राय सा
ReplyDeleteजीवन का
एहसास लिये
चलता जा रहा हूँ
तुम्हारे बिना।
भइ वाह क्या बात है
गहरे विषाद के भाव और उपर दोस्तोँ की चुहलबाजी !
ReplyDelete..चलिये, समय को,
" Fast Forward " ..
कर दीजिये :)
..
- लावण्या