Thursday, August 14, 2008

आजादी की बधाई (मुक्त या मुफ्त)

आज का दिन हम सब के लिए गौरव का दिन है। आज के दिन ही शहीदों का खून रंग लाया था और हमारा देश वर्षों की परतंत्रता से मुक्त हुआ था। इस शुभ दिन पर आप सब को बधाई।

बहुत पहले कहीं पढ़ा था कि देश की आजादी के बाद जब तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल करियप्पा ने पहली बार स्वतंत्र भारत की सेना को संबोधित किया तब उन्होंने एक बड़ी सभा के सामने पहली बार हिन्दी में बोला।

आज़ादी के अवसर पर दिए जाने वाले भाषण में हमारे स्वतंत्र देश की सेना की नयी भूमिका का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यह संदेश देना चाहा कि अब हम स्वतंत्र हैं। कहा जाता है कि अपने पहले हिन्दी भाषण में उन्होंने कहा, "आज हम सब मुफ्त हो गए हैं, मैं भी मुफ्त हूँ और आप भी मुफ्त हैं।"

स्पष्ट है कि उन्होंने अनजाने में ही अंग्रेजी के फ्री (free) का अर्थ मुक्त, आज़ाद या स्वतंत्र करने के बजाय मुफ्त कर दिया था।

20 comments:

  1. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

    ReplyDelete
  2. आजाद है भारत,
    आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
    पर आजाद नहीं
    जन भारत के,
    फिर से छेड़ें संग्राम
    जन की आजादी लाएँ।

    ReplyDelete
  3. मुफ्त मेँ ही मिली आज़ादी -
    बहुत कम रक्तपात के बगैर -
    मुक्त हुए असँख्य भारतीय !
    अब प्रगति पथ पर
    बढेँ यही आशा है !
    - लावण्या

    ReplyDelete
  4. शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
    उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

    स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो

    ReplyDelete
  5. स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  6. "आज हम सब मुफ्त हो गए हैं, मैं भी मुफ्त हूँ और आप भी मुफ्त हैं।"

    प्रिय मित्र , इस आजादी के उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जनरल के शब्द हास्य भी पैदा करते हैं और सही भी हैं ! भई हम मुफ्त हो गए हैं का मतलब ये भी तो हो सकता है की हम अब (आजादी के बाद) मुफ्त अपने आप को समझ सकते हैं वरना अंग्रेजों की मर्जी बिना आप मुफ्त भी कुछ नही कर सकते थे ! :) खैर........

    भूख का आनंद उनको मालूम है जिन्होंने भूख देखी है! आजादी का सुख उनको मालूम है जिन्होंने गुलामी देखी है !

    मित्र गुलामी में रह कर घी शक्कर खाने की बजाय आजादी की सुखी रोटिया बहुत सुखकारी और गुणकारी होती हैं ! आज कई लोग ये सवाल उठाते हैं की आजादी से पहले ये अच्छा था वो अच्छा था ! वो ये क्यूँ भूल जाते हैं की हर बच्चे को बड़ा
    और समझ दार होने में समय लगता है ! हम भी बड़े और समझ दार हो रहे हैं और एक दिन हम भी आदर और श्रद्धा से देखे जायेंगे ! जैसे की जापानी ! आपको मालुम होगा की द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ समय पहले तक किसी को जापानी कहना यानी गाली देना ! और उसके बाद का जापान देख लीजिये !

    बन्दे मातरम् !

    पुनश्च:-
    आपका आदेश बाबाजी को पहुंचा दिया है ! अब मोड्डे फकीरों का क्या ? मूड आगया तो दिन भर लिखते रहेंगे नही तो हफ्तों किसी से बात नही करेंगे !

    ReplyDelete
  7. आजादी पर्व के अवसर पर बधाई और शुभकामना ..

    ReplyDelete
  8. मुफ्त ..मुक्त ..सही है ...स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं....

    ReplyDelete
  9. mukta hain isiliye sab muft hai,.. badhai aapko swatantrata divas ki.janani janmbhumi swarg se mahan hai

    ReplyDelete
  10. जी बलिदानों से प्राप्त आजादी को हमने फुफ्त ही मान लिया है..


    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    www.rajeevnhpc.blogspot.com
    www.kuhukakona.blogspot.com

    ReplyDelete
  11. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  12. हम सच में मुक्त हो गए थे.. अब चाहे कुछ भी बोल सकते हैं... मुफ्त या मुक्त..
    अनजाने में ही सही, यह शब्द हास्यास्पद ज़रूर हैं, परन्तु उस समय के लोगों के दिल के जज़्बात को कहीं से भी बदलते नहीं हैं.
    स्वतंत्रता दिवस की सभी को ढेरों शुभकामनाएं....

    ReplyDelete
  13. अनजाने में ही वे बहुत बड़ी बात कह गए थे ...वाकई देश का आम नागरिक मुफ्त है.....बाकि चीजे तो बिकाऊ है.....आज के दिन की शुभकामनाये

    ReplyDelete
  14. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं ओर बहुत बधाई आप सब को

    ReplyDelete
  15. आजादी की हार्दिक शुभकामनाएं। मुक्‍त होने की भी, मुफ्त होने की भी :)

    ReplyDelete
  16. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐ.

    ReplyDelete
  17. फील्ड मार्शल जनरल करियप्पा कर्णाटक के कुर्ग के उस भाग से आते हैं, जिसने बहुत से योद्धा दिये। एक योद्धा का कौशल भाषा के क्षेत्र में नहीं हो सकता!
    अच्छा हुआ इस बहाने जनरल की याद हो आयी। वे महान व्यक्ति थे।

    ReplyDelete
  18. आज़ादी का मंत्र जप रहे ब्लॉगर भाई।
    मेरी भी रख लें श्रीमन् उपहार बधाई॥

    जनरल करियप्पा हमारे देश की शान थे।

    ReplyDelete
  19. शुभकामनायें... केवल शुभकामनायें ही, इससे आगे...
    और हम कूश्श नेंईं बोलेगा ।
    जैसे अब तक काम चलाते आये हैं,
    वैसे ही सिरिफ़ शुभकामनाओं से अपना काम चलाइये नऽ !
    ऒईच्च..हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है,
    ईशलीए हम कूश्श नेंईं बोलेगा ...

    ReplyDelete
  20. इतना अच्छा मत लिखा करो.मैं जल भुन जा रहा हूं.
    भाई इधर महीने भर से कुछ जीवन काफी अस्त-व्यस्त रहा.दरअसल पुराने संस्थान दैनिक जागरण,दिल्ली को विदा बोल कर नए संस्थान दैनिक भास्कर,चंडीगढ़ में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही थी.सो दिल्ली से चंडीगढ़ आना पड़ा.इसलिए आप के लिखे को पढ़ने से वंचित रहा.अब सारे चिट्ठों को पढ कर प्रतिक्रिया व्यक्त करने का क्रम फिर से प्रांरभ हो रहा है।

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।