कोई जकड़ा ही रहता है,
कोई सब छोड़ जाता है।
कोई कुछ न समझता है,
कोई सबको समझाता है।
कोई करुणा का सागर है,
कोई हर पल सताता है।
कोई हर रोज़ मरता है,
शहादत कोई पाता है।
कोई तो प्यार करता है,
कोई करके जताता है।
कोई बस भूल जाता है,
कोई बस याद आता है।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ,
समझ मुझको न आता है।
फरिश्ता कोई कहता था,
कोई जालिम बताता है।
(अनुराग शर्मा)
कोई सब छोड़ जाता है।
कोई कुछ न समझता है,
कोई सबको समझाता है।
कोई करुणा का सागर है,
कोई हर पल सताता है।
कोई हर रोज़ मरता है,
शहादत कोई पाता है।
कोई तो प्यार करता है,
कोई करके जताता है।
कोई बस भूल जाता है,
कोई बस याद आता है।
मैं ऐसा हूँ या वैसा हूँ,
समझ मुझको न आता है।
फरिश्ता कोई कहता था,
कोई जालिम बताता है।
(अनुराग शर्मा)
बहुत बेहतरीन..वाह!!
ReplyDeleteअच्छी बातोँ का साँमजस्य लिये
ReplyDeleteकविता पसँद आई !
-~~ लावण्या
बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteसुंदर भावों की सुंदर कविता
ReplyDelete...अनुराग जी आपने मेरे ई मेल का जवाब नही दिया मिला था या नही ?
farishta koi kehta tha, koi jaalim batata hai. sunder
ReplyDeleteकोई कुछ भी कहे, चिन्ता मत कीजिए । दो पंक्तियां शायद बात स्पष्ट करें -
ReplyDeleteकिस-किस का हम मुंह पकडेंगे, लाख जबानें चलती हैं ।
जो जितना पुजता है दुनिया, उस पर ज्यादा जलती है ।।
वाह.
ReplyDeleteसुंदर गीत है.
पढ़ कर अच्छा लगा.
परम यथार्थवादी कविता है ! इसे कहते
ReplyDeleteहैं एक ही सिक्के के दो पहलू ! जैसे दिन
और रात ! बहुत शुक्रिया इस गड़बड़ झाला
के लिए !
ताऊ का हाल आपने पूछा ! धन्यवाद ! ताऊ
की बहुत दुर्गति करी ताई नै ! ताऊ अभी अभी
लौटे हैं ! पूरे ब्यौरे के लिए थोडा सा इंतजार
कीजिये ! ताऊ के लिए पोस्ट तैयार किया जा
रहा है ! दोस्तों ने सारी कसर निकाल ली !
बढ़िया लिखा है। कोई मनुष्य या व्यक्ति कह दे तो बहुत होगा।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
कंट्रास्ट खूब है कविता में।
ReplyDeleteगागर में सागर है
ReplyDeleteइस कोई से
ReplyDeleteहमें भी
मिलवा दो।
कोई करता
है सब कुछ
समझ आता
है अब कुछ।
- अविनाश वाचस्पति
बहुत ही सुन्दर ,शव्दो को सुन्दर रुप दिया हे आप ने धन्यवाद एक अच्छी कविता के लिये
ReplyDeleteसुंदर कविता है। आभार।
ReplyDeleteकोई हर रोज़ मरता है,
ReplyDeleteशहादत कोई पाता है।
बहुत सच्ची बात कही आपने अनुराग भाई !!!!!!!!
बेहतरीन कविता
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