Sunday, August 24, 2008

क्या होगा? - काव्य

मेरे ख़त सबको पढ़ाने से भला क्या होगा?
दिल को अब और जलाने से भला क्या होगा?

आज महफ़िल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
इस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा?

जिनके हाथों ने पहाड़ों से गलाया दरया
उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा?

जिनके आंगन में बहा करता है अमृत दिन-रात
उनको कुछ और पिलाने से भला क्या होगा?

राहे बर्बादी को तो खुद ही चुना था मैंने
उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा

चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब भी
उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा

दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?

(अनुराग शर्मा)

23 comments:

  1. bahut dard bhari kavita,par sir ke upar se nikal gayi

    ReplyDelete
  2. bahut dard bhari kavita,par sir ke upar se nikal gayi

    ReplyDelete
  3. कविता तो है ही अच्छी, टिपियाने से क्या होगा?

    ReplyDelete
  4. जीन दिलो में ख़त्म है तैल प्यार का
    उन दिलो कों जलाने भला क्या होगा .

    ReplyDelete
  5. जिनके हाथों ने पहाडों से गलाया दरया
    उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा

    सुंदर रचना!

    ReplyDelete
  6. अति उत्तम !! अच्छा लगा पढकर मधुर

    ReplyDelete
  7. चलते तो हम सब अकेले ही हैं।

    बस फर्क केवल गिलास देखने में है कि आधा भरा है या आधा खाली। मैं भी आधा खाली देख पर परेशान रहता हूं।

    लिहाजा यह कविता मेरी मनस्थिति बयान करती है।

    ReplyDelete
  8. राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
    उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा


    बहुत बढिया मित्र ! मजा आया !
    "नेकी कर दरया में डाल"

    ReplyDelete
  9. आज महफिल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
    इस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा

    ये आपने कहीं तिवारी साहब को देख कर
    तो नही फरमाया ! :) भाई साहब हमको
    तो परमानंद प्राप्त हो गया ! यूँ ही कहते
    रहिये ! हमारा भी मन लगा रहेगा !

    ReplyDelete
  10. "राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
    उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा"


    बहुत अच्छी कविता है !!!

    ReplyDelete
  11. अनुराग भाई,
    नमस्कार, भाई जगदीश त्रिपाठी से आपके बारे में पता चला. चलिए इसी बहाने अपना-अपना लेखन एक-दूसरे से साझा कर लिया करेंगे।
    मुकुंद
    cell num- 09914401230

    ReplyDelete
  12. आज महफिल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
    इस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा

    जिनके हाथों ने पहाडों से गलाया दरया
    उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा

    bahut badhiya...

    ReplyDelete
  13. भाई अनुराग जी, नमस्कार, आपके बारे में श्री जगदीश त्रिपाठी से पता चला. आपकी गजल अच्छी है.
    मुकुंद
    09914401230

    ReplyDelete
  14. नेक राहों पर जिंदगी भर चला होगा
    आप जैसा वो आदमी कोई भला होगा
    छाछ को फूंक-फूंक कर पीने वाला
    सुनिश्चत है कि वह दूध से जला होगा

    ReplyDelete
  15. बहुत अच्छा लिखा है आप ने ..

    ReplyDelete
  16. चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
    उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा

    दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
    उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?

    भाई वाह आप गजल भी कह लेते है....आखिरी शेर खूब है.....

    ReplyDelete
  17. चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
    उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा

    बहुत बढ़िया--

    ReplyDelete
  18. राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
    उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा

    चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
    उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा

    दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
    उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?

    ..बहुत खूब, अनुराग भाई।

    ReplyDelete
  19. दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
    उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
    बहुत ही सुन्दर भाव, अति उतम धन्यचाद

    ReplyDelete
  20. बहुत प्यारी रचना है !

    ReplyDelete
  21. बेहतरीन ग़ज़ल है भाई....बहुत खूब...
    नीरज

    ReplyDelete
  22. बहुत खूब, अनुराग भाई।

    ReplyDelete
  23. दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
    उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
    बहुत सुंदर लाइनें लिखी हैं अनुराग जी आपकी पॉडकास्ट की कविता भी बहुत अच्छी लगी
    PSVB की जानकारी के लिए हार्दिक धन्यबाद !!! ........इंतज़ार है

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।