मेरे ख़त सबको पढ़ाने से भला क्या होगा?
दिल को अब और जलाने से भला क्या होगा?
आज महफ़िल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
इस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा?
जिनके हाथों ने पहाड़ों से गलाया दरया
उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा?
जिनके आंगन में बहा करता है अमृत दिन-रात
उनको कुछ और पिलाने से भला क्या होगा?
राहे बर्बादी को तो खुद ही चुना था मैंने
उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा
चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब भी
उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा
दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
(अनुराग शर्मा)
दिल को अब और जलाने से भला क्या होगा?
आज महफ़िल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
इस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा?
जिनके हाथों ने पहाड़ों से गलाया दरया
उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा?
जिनके आंगन में बहा करता है अमृत दिन-रात
उनको कुछ और पिलाने से भला क्या होगा?
राहे बर्बादी को तो खुद ही चुना था मैंने
उसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा
चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब भी
उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा
दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
(अनुराग शर्मा)
bahut dard bhari kavita,par sir ke upar se nikal gayi
ReplyDeletebahut dard bhari kavita,par sir ke upar se nikal gayi
ReplyDeleteकविता तो है ही अच्छी, टिपियाने से क्या होगा?
ReplyDeleteजीन दिलो में ख़त्म है तैल प्यार का
ReplyDeleteउन दिलो कों जलाने भला क्या होगा .
जिनके हाथों ने पहाडों से गलाया दरया
ReplyDeleteउनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा
सुंदर रचना!
अति उत्तम !! अच्छा लगा पढकर मधुर
ReplyDeleteचलते तो हम सब अकेले ही हैं।
ReplyDeleteबस फर्क केवल गिलास देखने में है कि आधा भरा है या आधा खाली। मैं भी आधा खाली देख पर परेशान रहता हूं।
लिहाजा यह कविता मेरी मनस्थिति बयान करती है।
राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
ReplyDeleteउसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा
बहुत बढिया मित्र ! मजा आया !
"नेकी कर दरया में डाल"
आज महफिल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
ReplyDeleteइस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा
ये आपने कहीं तिवारी साहब को देख कर
तो नही फरमाया ! :) भाई साहब हमको
तो परमानंद प्राप्त हो गया ! यूँ ही कहते
रहिये ! हमारा भी मन लगा रहेगा !
"राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
ReplyDeleteउसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा"
बहुत अच्छी कविता है !!!
अनुराग भाई,
ReplyDeleteनमस्कार, भाई जगदीश त्रिपाठी से आपके बारे में पता चला. चलिए इसी बहाने अपना-अपना लेखन एक-दूसरे से साझा कर लिया करेंगे।
मुकुंद
cell num- 09914401230
आज महफिल में तेरी इतने जवाँ चेहरे हैं
ReplyDeleteइस बदशक्ल पुराने से भला क्या होगा
जिनके हाथों ने पहाडों से गलाया दरया
उनका कमज़ोर ज़माने से भला क्या होगा
bahut badhiya...
भाई अनुराग जी, नमस्कार, आपके बारे में श्री जगदीश त्रिपाठी से पता चला. आपकी गजल अच्छी है.
ReplyDeleteमुकुंद
09914401230
नेक राहों पर जिंदगी भर चला होगा
ReplyDeleteआप जैसा वो आदमी कोई भला होगा
छाछ को फूंक-फूंक कर पीने वाला
सुनिश्चत है कि वह दूध से जला होगा
बहुत अच्छा लिखा है आप ने ..
ReplyDeleteचाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
ReplyDeleteउसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा
दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
भाई वाह आप गजल भी कह लेते है....आखिरी शेर खूब है.....
चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
ReplyDeleteउसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा
बहुत बढ़िया--
राहे बर्बादी को तो ख़ुद ही चुना था मैनें
ReplyDeleteउसपे अब अश्क बहाने से भला क्या होगा
चाक तन्हाई करे है मेरे दिल को जब
उसी नाशुक्र को लाने से भला क्या होगा
दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
उसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
..बहुत खूब, अनुराग भाई।
दुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
ReplyDeleteउसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
बहुत ही सुन्दर भाव, अति उतम धन्यचाद
बहुत प्यारी रचना है !
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल है भाई....बहुत खूब...
ReplyDeleteनीरज
बहुत खूब, अनुराग भाई।
ReplyDeleteदुनियादारी में तो वह अब भी हमसे आगे है
ReplyDeleteउसको कुछ और सिखाने से भला क्या होगा?
बहुत सुंदर लाइनें लिखी हैं अनुराग जी आपकी पॉडकास्ट की कविता भी बहुत अच्छी लगी
PSVB की जानकारी के लिए हार्दिक धन्यबाद !!! ........इंतज़ार है