मुस्कुराती , इठलाती, इतराती ,रूठ जाती हो फिर याद आती, यही चक्र दुविधा का फिर फिर चलाती , कभी कहो भी इतना क्यों सताती हो? क्या बात है ? नायाब हीरा शब्द हैं ! जिन्दगी के मायने यही हैं शायद ! बेहतरीन बुनावट है ! मजा आ गया !
मित्र आपने २८ कौर का डिनर दिया सै ! इब ताऊ का पेट क्यूँ कर भर सकदा है इतने कम चारे में ? खुराक बढाओ म्हारी ! २८ कौर डिनर जब इतना स्वादिष्ट सै त फुल डिनर कितना लजीज होगा ? ( आपकी ये कविता २८ शब्दों की है !)
Hi Anuragji, Beautiful writing. I loved all your stuff. I would love to speak to u or communicate thru email. I live in seattle, wa and i am a composer and musician. Wanted to see if you can write something for me song wise. My email is sanjeevmusic@gmail.com Warm regards Sanjeev sharma
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waah anurag jee aaj yah rup!!
ReplyDeletechaliye yah bhi achchha hai
भाई यह जिन्दगी हे बहुत नटखट, बिलकुल आप कि कविता की तरह से,
ReplyDeleteधन्यवाद, एक सुन्दर कविता के लिये
bahut khoob!
ReplyDeletegazab hai jaadu aapke shabdon ka
ReplyDeleteमुस्कुराती , इठलाती, इतराती ,रूठ जाती हो
ReplyDeleteफिर याद आती, यही चक्र दुविधा का
फिर फिर चलाती , कभी कहो भी
इतना क्यों सताती हो?
क्या बात है ? नायाब हीरा शब्द हैं !
जिन्दगी के मायने यही हैं शायद !
बेहतरीन बुनावट है ! मजा आ गया !
सुँदर कविता !
ReplyDeleteगजब!! बेहतरीन!!
ReplyDeleteबढियां !
ReplyDeleteवाह जी वाह.. बहुत सुंदर
ReplyDeleteनही सतायेगी तो कहाँ याद रखोगे ?
ReplyDeleteमुस्कुराती , इठलाती, इतराती ,रूठ जाती हो
ReplyDeleteफिर याद आती, यही चक्र दुविधा का
फिर फिर चलाती , कभी कहो भी
इतना क्यों सताती हो?
क्या बात है!
बेहद शानदार रचना के लिए बधाई!
अगर आपको नही सताएगी तो
ReplyDeleteफ़िर किसको सताएगी ! :)
सुंदर रचना !
वाह, क्या बात है। बहुत खूब। जमाए रहिए :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteहाँ ज़िंदगी हो या फिर मौत
ReplyDeleteसब का यही हाल है
acchi kavita likhi hai aap ne ..accha laga padh kar
ReplyDeleteमित्र आपने २८ कौर का डिनर दिया सै !
ReplyDeleteइब ताऊ का पेट क्यूँ कर भर सकदा है
इतने कम चारे में ? खुराक बढाओ म्हारी !
२८ कौर डिनर जब इतना स्वादिष्ट सै त
फुल डिनर कितना लजीज होगा ?
( आपकी ये कविता २८ शब्दों की है !)
बहुत मासूम सवाल है।
ReplyDeleteखुदा आपको ऐसे सैकडों सवाल घेरे रहें।
यह उनका प्यार है, इस में आनंद लोजिये.
ReplyDeletebahut sundar anurag ji... kya kam shabdon mein poori baat kahi hai... badhai :)
ReplyDeleteHi Anuragji,
ReplyDeleteBeautiful writing. I loved all your stuff. I would love to speak to u or communicate thru email. I live in seattle, wa and i am a composer and musician. Wanted to see if you can write something for me song wise.
My email is sanjeevmusic@gmail.com
Warm regards
Sanjeev sharma