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ब्लॉग जगत भी हमारे संसार का ही छोटा रूप है. हर तरह के लोग, हर तरह की नज़र. किसी को दुनिया की सारी कमियाँ अमेरिका से ही शुरू होती दिखती हैं जबकि किसी के लिए यौन-अपराध का मूल कारण कुछ नारियों के परिधान-चुनाव के सिवा कुछ नहीं है. ऐसे में मैं अपराध से सम्बंधित दो अमेरिकी पत्रों को आपके साथ बांटने का ख़तरा उठा रहा हूँ. पिछले हफ्ते केवल चार दिन के अंतराल में यहाँ अमेरिका में अपराध से सम्बंधित दो ऐसी रिपोर्टें देखने को मिलीं जो चौंकाती भी हैं और आँखें भी खोलती हैं. इन दोनों रिपोर्टों का उभयनिष्ठ तत्व बाल-अपराधी हैं.
न्याय विभाग के एक अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि बाल सुधार गृहों में रहते हुए समय में लगभग १२% लोग यौन-शोषण के शिकार बनते हैं. इस अध्ययन में कुल १९५ सुधार ग्रहों के १३ से २१ वर्ष की आयु के ९१९८ निवासियों को शामिल किया गया था. इस रिपोर्ट के आने के बाद कुछ राज्यों ने अपने सुधार गृहों की स्वतंत्र जांच कराने का निर्णय लिया है.
न्याय विभाग की ही सन २००४ के आंकड़ों पर आधारित एक अन्य रिपोर्ट से एक खुलासा यह हुआ है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण के मामलों में अपराध करने वाले ३६% लोग बच्चे (१८ वर्ष से कम वय) ही हैं. हालांकि हर आठ में सिर्फ एक ही बारह वर्ष से कम आयु का है. इन बाल यौन-अपराधियों में ९३% लड़के और सात प्रतिशत लडकियां हैं.
इस रिपोर्ट का कहना है कि बहुत से ऐसे अपराधों की शुरूआत उत्सुकतावश शुरू होती है और समुचित यौन-शिक्षा की सहायता से बच्चों को सही उम्र में सही गलत का भेद समझाकर इन गलतियों में कमी लाई जा सकती है. स्कूलों में यौन-शिक्षा पर पहले भी बहुत सी ब्लॉग-बहसें हो चुकी हैं. मेरा उद्देश्य उन्हें पुनरुज्जीवित करना नहीं है मगर असलियत से आँखें मूंदना भी गैर-जिम्मेदाराना ही है.
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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
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