Saturday, October 25, 2008

तुम बिन - एक कविता

वक्त तुम बिन कभी गुज़रता नहीं
बोझ कांधे से ज्यों उतरता नही

शहर सुनसान सा लगे है मुझे
आपका जिक्र कोई करता नहीं

दिल तो पत्थर सा हो गया या रब
मौत के नाम से भी डरता नहीं

चिन दिया आपने दीवारों में
कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं

वक्त के सामने हुआ बेबस
लाख रोका मगर ठहरता नहीं।

(अनुराग शर्मा)


* आवाज़ पर आज सुनें अक्टूबर २००८ का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन
** आवाज़ पर सुनें प्रेमचंद की कहानी "आधार"

34 comments:

  1. शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं

    बहुत बढ़िया ..दीवाली की बधाई आपको

    ReplyDelete
  2. वक्त के सामने हुआ बेबस
    लाख रोका मगर ठहरता नहीं।

    बहुत गहराई के साथ सुंदर अभिव्यक्ति ! पर आज लावण्या जी के ब्लॉग पर पढा की वहाँ पतझड़ चल रहा है ! तो जाहिर है की बसंत आस पास ही है ! आपकी कविता की नायक या नायिका फ़िर पुराने संसार में लौट सकते हैं ! शायद अनवरत चक्र इसको ही कहते हैं !

    यह दीपोत्सव आपको, आपके परिवार को एवं मित्रजनों को मंगल दायक, सुख-समृद्धि दायक हो ! यही शुभकामना हैं !

    ReplyDelete
  3. वक्त बेरहम भी है और रहमदिल भी वक्त वक्त की बात है !

    ReplyDelete
  4. अच्छी गजल।
    दीपावली पर हार्दिक अभिनन्दन!

    ReplyDelete
  5. आज ताई ने आपकी कविता पढ़ कर आपकी अभिव्यक्ति को सर्व-श्रेष्ठ बताया है ! वैसे उनका लट्ठ के अलावा, कविता या लेखन से ज्यादा कुछ लेना देना नही है ! :) पर उन्होंने मुझे ये कमेन्ट यहाँ करने को कहा है !

    ReplyDelete
  6. चिन दिया आपने दीवारों में
    कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
    बहुत गंभीर भाव शब्दों का सहज प्रवाह

    सुखमय अरु समृद्ध हो जीवन स्वर्णिम प्रकाश से भरा रहे
    दीपावली का पर्व है पावन अविरल सुख सरिता सदा बहे

    दीपावली की अनंत बधाइयां
    प्रदीप मानोरिया

    ReplyDelete
  7. चिन दिया आपने दीवारों में
    कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
    बहुत गंभीर भाव शब्दों का सहज प्रवाह


    बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.

    ReplyDelete
  8. छोटी बहर कह अच्‍छी गजल । भाव भी सुन्‍दर और शब्‍द भी ।

    ReplyDelete
  9. "शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं"
    बहुत बढ़िया.

    "वक्त के सामने हुआ बेबस
    लाख रोका मगर ठहरता नहीं।"
    और इस का तो जवाब नहीं. बहुत खूब भाई.

    ReplyDelete
  10. वक्त के सामने हुआ बेबस
    लाख रोका मगर ठहरता नहीं।
    बहुत उम्दा लिखा हैं। साथ ही दीपावली की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  11. जि‍से भी जि‍म्‍मेदारी से नि‍भाओ, समर्पण अपने आप ही आ जाता है-
    वक्त तुम बिन कभी गुज़रता नहीं
    बोझ कांधे से ज्यों उतरता नही

    सुंदर अभि‍व्‍यक्‍ति‍।

    ReplyDelete
  12. शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं

    दिल तो पत्थर सा हो गया या रब
    मौत के नाम से भी डरता नहीं

    चिन दिया आपने दीवारों में
    कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
    अनुराग जी ,
    बहुत ही प्यारी कविता लिखी है। दीपावली की शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  13. शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं

    वक्त के सामने हुआ बेबस
    लाख रोका मगर ठहरता नहीं।

    बहुत खूब. क्या बात है भाई.

    ReplyDelete
  14. वक्त ठहरे तो तो यादे भी ना हो
    यादे ना हो तो स्वप्न भी ना हो !!


    दीपावली की हार्दिक बधाई !! ज्योति का यह पर्व आपके जीवन से निराशा का तम नष्ट करके आपको आशा उत्साह शांती प्रगती रुपी ज्योति प्रदान करे ॥

    ReplyDelete
  15. एक अति सुन्दर कविता, जो हमारी ताई को भी पंसद आई, इब इसी खुशी मै दो लठ्ठ ज्यादा ताउ के हिस्से मै,
    धन्यवाद
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  16. Vakt ke saamne hua bebas, laakh roka magar rukta nahi,bahut hi achhi panktiyan hain, poori rachna badhia hai.

    ReplyDelete
  17. शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं
    अच्छा लिखा। बहुत अच्छा लिखा। पर सवाल यह है कि किसके लिए लिखा। भाई हमें बता दो-
    -ये कौन चांद के रोज़न से झांकता है तुम्हें
    -ये किसका चेहरा किताबों के दरम्यां निकले
    दीपावली पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  18. dil ko choo jaane wale bhav,badai Anurag ji.Deepawali ki jagmag se aapka dil bhi khil uthe yehi prarthna hai bhagwan se!!!

    ReplyDelete
  19. दिल तो पत्थर सा हो गया या रब
    मौत के नाम से भी डरता नहीं

    चिन दिया आपने दीवारों में
    कैसा बदबख्त हूँ कि मरता नहीं
    bahut sundar

    ReplyDelete
  20. बहुत बेहतरीन कविता ! कभी २ गहरी सोच में अमूमन सभी को ऐसे भाव आते हैं पर उनको व्यक्त कम लोग ही कर पाते हैं ! आपने बहुत सुंदर शब्दों में ये कविता लिखी है ! मजा आगया ! आज दिन में ताऊ के यहाँ आपकी आवाज वाली कविता भी सुनी थी ! करीब एक घंटा ये कवि सम्मलेन हम सभी सुनते रहे ! मजा आगया ! ताऊ को कहा है की हमारे कंप्यूटर में भी स्पीकर का इंतजाम करवा दे तो हम भी घर पर ही सुन लिया करेंगे ! आपके बहु-आयामी व्यक्तित्व को तिवारी साहब का सलाम ! दीपावली की आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  21. दीपावली पर घाव सहला भी दीजे :)
    ..बहुत सुँदर भाव हैँ कविता के
    और आवाज़ पर बढिया रहा कार्यक्रम -
    प्रेमचँदजी की कथा का वाँचन भी
    हमेशा की तरह बढिया !
    -दीप पर्व मँगलमय हो !

    ReplyDelete
  22. दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-

    ReplyDelete
  23. दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!

    ReplyDelete
  24. बहुत ही उम्दा..वाह!!!

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

    ReplyDelete
  25. आप अपने परिवार, ईष्टमित्रों, शुभचिंतकों एवं ब्लागरों के साथ नई ऊर्जा को लिये उमंग पूर्वक मिलते रहें मुस्कुराते रहें इन्हीं उज्ज्वल शुभकामनाऒं के साथ दीवाली मुबारक हो
    --योगेन्द्र मौदगिल एवं परिवार

    ReplyDelete
  26. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  27. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  28. शहर सुनसान सा लगे है मुझे
    आपका जिक्र कोई करता नहीं।
    सुंदर शेर, बधाई।
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकानाएं।

    ReplyDelete
  29. kya baat ha !
    my blog - samaj-vichar.blogspot.com

    ReplyDelete
  30. kya baat ha !
    my blog - samaj-vichar.blogspot.com

    ReplyDelete

मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।