Monday, December 30, 2013

प्रेमिल मन - एक कविता

चावल, चीनी और चाय से बनी स्वर्णकण आच्छादित जापानी मिठाई मोची (餅)
(अनुराग शर्मा)

दुश्मनों का प्यार पाना चाहता है
हाथ पे सरसों उगाना चाहता है

इंतिहा मासूमियत की हो गयी है
प्यार में दिल मार खाना चाहता है

इक नदी के दो किनारे लोग नाखुश
हर कोई "उस" पार जाना चाहता है

धूप और बादल में समझौता हुआ है
खेत बस अब लहलहाना चाहता है

जिस जहाँ में साथ तेरा मिल न पाये
दिल वहाँ से छूट जाना चाहता है

बचपने में जो खिलौना तोड़ डाला
मन उसी को आज पाना चाहता है

रात दिन भटका सारे जगत में वो
मन तुम्हारे द्वार आना चाहता है

कौन जाने फिर मनाने आ ही जाओ
दिल हमारा रूठ जाना चाहता है

एक बाज़ी ये लगा लें आखिरी बस
दिल तुम्ही से हार जाना चाहता है

दुश्मनों का साथ देने चल दिया वह
कौन आखिर मात खाना चाहता है

बहर से करते सरीकत क्या कहेंगे
केतली में ज्वार आना चाहता है
सपरिवार आपको, आपके मित्रों, परिजनों और शुभचिंतकों को नव वर्ष 2014 के आगमन पर हार्दिक मंगलकामनाएँ

24 comments:

  1. कौन जाने फिर मनाने आ ही जाओ
    दिल हमारा रूठ जाना चाहता है ...

    सुहावने मौसम की ठंडी हवा के झोंके स लगी आपकी गज़ल ... खूबसूरत शेरों से सजी ...
    नए साल की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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  2. दयानिधिDecember 30, 2013 at 6:55 AM

    बहुत सुंदर भाव और उतने ही अच्छे ढंग से अभिव्यक्त कविता।

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  3. आपकी इस शायरी को क्या कहें हम,

    दिल ग़ज़ल में डूब जाना चाहता है,

    इतना ज़िद करके न रोको, ना रुकेगा,

    अब तो बस ये साल जाना चाह्ता है!!

    साल के आखिर में आपकी ग़ज़ल बहुत मन भाई और हम भी कुछ तुकबन्दी कर बैठे!!

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  4. सहज सरल सी मगर उतनी ही भावपूर्ण

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (31-12-13) को "वर्ष 2013 की अन्तिम चर्चा" (चर्चा मंच : अंक 1478) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    2013 को विदायी और 2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आभार शास्त्री जी।

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  6. वाह!

    इक नदी के दो किनारे लोग नाखुश
    हर कोई "उस" पार जाना चाहता है

    अकाट्य सत्य!

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  7. अति सुन्दर अभिव्यक्ति !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
    नई पोस्ट नया वर्ष !
    नई पोस्ट मिशन मून

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  8. बहुत सुंदर !
    नव वर्ष शुभ हो !

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  9. क्यों नहीं लिख पाये हम ऐसी कविता
    दिल हमारा ख़ार खाना चाहता है :)

    जस्ट किडिंग :)

    बहुत अच्छी बन पड़ी है कविता आपकी
    नव वर्ष शुभ हो !

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  10. वाह...वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

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  11. @एक बाज़ी ये लगा लें आखिरी बस
    दिल तुम्ही से हार जाना चाहता है

    कसम से ....

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  12. एक बाज़ी ये लगा लें आखिरी बस
    दिल तुम्ही से हार जाना चाहता है
    BAHUT KHUB HAPPY NEW YEAR

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  13. रात दिन भटका था सारे जगत में
    वो मन तुम्हारे द्वार आना चाहता है ..............कविता में उकेरे गए सभी भावों से दहलने के बाद मन यही तो करना चाहता है। बहुत प्‍यारी, मनभावन पंक्तियां। आपको भी 2014 बहुत-बहुत शुभ हो।

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  14. बहुत सारे सुंदर संदेश देती सहज रचना...दिल की उलझन की ही तो सारी बात है...

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  15. मात खाने के डर से दूसरे पाले में जाने वाला मित्र नहीं हो सकता, वो तो अवसरवादी होगा।

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  16. लय में रस भी है !
    सुन्दर कविता !
    नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें !

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  17. इक नदी के दो किनारे लोग नाखुश
    हर कोई "उस" पार जाना चाहता है
    bahut badhiya yek se yek !

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  18. very nice
    nadan hia dana jatana chahata hai
    dekhen kya mujhase jamana chahata hai

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    1. नादान हैं दाना जाताना चाहता हैं
      देख क्या मुझसे जमाना चाहता हैं

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    2. नादान हैं दाना जाताना चाहता हैं
      देख क्या मुझसे जमाना चाहता हैं

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  19. http://vivekssachan.blogspot.in/2014/01/blog-post_14.html

    please visit and give comment and suggestions ..

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  20. dushmanon se bhi pyar pane ki khwahish....jinda rahe. waah

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