छह बोले तो सात है, सात कहें तो आठ
कभी समय पर चले नहीं, ऐसे अपने ठाठ
ऐसे अपने ठाठ, कभी मजबूरी होवे
तो भी राम भरोसे लंबी तान के सोवें
सोते से जो कोई मूरख कभी जगा दे
पछतायेंगे उसके तो दादे परदादे
दादे तो अपने भी समझा समझा हारे
ख़ुद ही हार गए हमसे आख़िर बेचारे
(अनुराग शर्मा)
कभी समय पर चले नहीं, ऐसे अपने ठाठ
ऐसे अपने ठाठ, कभी मजबूरी होवे
तो भी राम भरोसे लंबी तान के सोवें
सोते से जो कोई मूरख कभी जगा दे
पछतायेंगे उसके तो दादे परदादे
दादे तो अपने भी समझा समझा हारे
ख़ुद ही हार गए हमसे आख़िर बेचारे
(अनुराग शर्मा)
Wah wah kya baat hai!!!
ReplyDeleteसही है...ताने रहिये महाराज!! :)
ReplyDeleteदादे तो अपने भी समझा समझा हारे
ReplyDeleteख़ुद ही हार गए हमसे आख़िर बेचारे
क्या बेहतरीन व्यंग रचना है ! मान गए आपको ! सुबह २ ही मजा आगया आज तो !
बहुत २ शुभकामनाएं !
ताई भी इसको पढ़ कर मुस्करा रही है और कमेंटिया रही है की हमारी तरफ़ से भी धन्यवाद और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआलस्य भी जीवन का जरुरी हिस्सा है जी :)
ReplyDeleteअपना भी हाल तेरे जैसा है,
ReplyDeleteक्या करे हम भी मौसम ऐसा है।
आलस भी जीवन का अभिन्न अंग है।
ReplyDeleteअनुराग भाई, आलस्य...........आ..आ..लास्य....लगता है, यह एक संक्रामक रोग है, कुछ लिखते-लिखते हमें भी आलस्य आने लगा.
ReplyDeletekhuub acchha :)
ReplyDeletewah hujoor wah, aalas ka bhi apna hi maja hai, padhne ke dino me college n jana, kaam ke dino me office n jana aur antim dino me oopar n jaana pade to majaa aa jaye
ReplyDeleteआप ने हमें जगा ही दिया! :-)
ReplyDeleteछह बोले तो सात है, सात कहें तो आठ
ReplyDeleteकभी समय पर चले नहीं, ऐसे अपने ठाठ
" ha ha ha aalas pr sunder bhav vykt kiye hain... alas mey bhee thaat dundh liya apne, yhee to aapka kmal hai.."
Regards
अच्छी लगी यह रचना ..
ReplyDeletebahut sunder rachana
ReplyDeleteयदा कदा आलस्य भी बहुत आवश्यक है.चुस्त रहने के लिए कभी कभी सुस्त भी रहना चाहिए..
ReplyDeleteइस बार लिख दिया सो लिख्ा दिया । कृपया अगली बार मुझ पर ऐसी कविता न लिखें । मेरी निजता को सार्वजनिक न बनाएं ।
ReplyDeleteआलस भी जीवन का अभिन्न अंग है।
ReplyDeleteवैसे ही जैसे कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हम तो छोडेंगे नहीं भले ही वो माने ना माने :-)
उफ़ ...हमारी टिप्पणी कोई ओर कर दो भाई....बड़ा आलस है
ReplyDeleteye to mere bare me hai
ReplyDeleteye to mere bare me hai
ReplyDeletekabhi nahi jagayengi aapko.... waise subah ki neend ki baat hi aur hai.
ReplyDeleteअजगर करे ना चाकरी वाली बात याद आ गई...वाह...
ReplyDeleteनीरज
bhai
ReplyDeletebadiya rachna
taai tak ko pasand aa gai
kamaal hai
badhai
अरे भाई हमारे यहां(भारत वासी ) तो आप के भी गुरु ६ बजे पार्टी का समय बोलो ९ बजे आयेगे, दोपहर १२ का समय बोलो शाम को ४ बजे आयेगे??? वेसे मेरे को २ बजे बोलो तो २ बजे ही पायो गे,टाईम का पाबंद,आलसी लोगो को हमारे हिटलर सहाब ने ठीक कर दिया था...अभी तक यहां आलसी पेदा नही होते.....
ReplyDeleteधन्यवाद
छः बजे तो सात है,
ReplyDeleteवल्लाह क्या बात है, क्या बात है, क्या बात है....
मेरा ई-मेल आपकी ताजा पोस्ट की सूचना दे रहा है लेकिन आपका ब्लाग खोलने पर 6 नवम्बर वाली पोस्ट वाला पेज ही खुल रहा है । मुझे तकनीक की जानकारी शून्य प्राय: है । आपकी ताजा पोस्ट पढने के लिए मैं क्या करूं ।
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