Thursday, November 6, 2008

आलस्य

छह बोले तो सात है, सात कहें तो आठ
कभी समय पर चले नहीं, ऐसे अपने ठाठ


ऐसे अपने ठाठ, कभी मजबूरी होवे
तो भी राम भरोसे लंबी तान के सोवें


सोते से जो कोई मूरख कभी जगा दे
पछतायेंगे उसके तो दादे परदादे

दादे तो अपने भी समझा समझा हारे
ख़ुद ही हार गए हमसे आख़िर बेचारे

(अनुराग शर्मा)

26 comments:

  1. Wah wah kya baat hai!!!

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  2. सही है...ताने रहिये महाराज!! :)

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  3. दादे तो अपने भी समझा समझा हारे
    ख़ुद ही हार गए हमसे आख़िर बेचारे

    क्या बेहतरीन व्यंग रचना है ! मान गए आपको ! सुबह २ ही मजा आगया आज तो !
    बहुत २ शुभकामनाएं !

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  4. ताई भी इसको पढ़ कर मुस्करा रही है और कमेंटिया रही है की हमारी तरफ़ से भी धन्यवाद और शुभकामनाएं !

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  5. आलस्य भी जीवन का जरुरी हिस्सा है जी :)

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  6. अपना भी हाल तेरे जैसा है,
    क्या करे हम भी मौसम ऐसा है।

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  7. आलस भी जीवन का अभिन्न अंग है।

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  8. अनुराग भाई, आलस्य...........आ..आ..लास्य....लगता है, यह एक संक्रामक रोग है, कुछ लिखते-लिखते हमें भी आलस्य आने लगा.

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  9. wah hujoor wah, aalas ka bhi apna hi maja hai, padhne ke dino me college n jana, kaam ke dino me office n jana aur antim dino me oopar n jaana pade to majaa aa jaye

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  10. आप ने हमें जगा ही दिया! :-)

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  11. छह बोले तो सात है, सात कहें तो आठ
    कभी समय पर चले नहीं, ऐसे अपने ठाठ
    " ha ha ha aalas pr sunder bhav vykt kiye hain... alas mey bhee thaat dundh liya apne, yhee to aapka kmal hai.."

    Regards

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  12. अच्छी लगी यह रचना ..

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  13. यदा कदा आलस्य भी बहुत आवश्यक है.चुस्त रहने के लिए कभी कभी सुस्त भी रहना चाहिए..

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  14. इस बार लिख दिया सो लिख्‍ा दिया । कृपया अगली बार मुझ पर ऐसी कविता न लिखें । मेरी निजता को सार्वजनिक न बनाएं ।

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  15. आलस भी जीवन का अभिन्न अंग है।
    वैसे ही जैसे कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हम तो छोडेंगे नहीं भले ही वो माने ना माने :-)

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  16. उफ़ ...हमारी टिप्पणी कोई ओर कर दो भाई....बड़ा आलस है

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  17. kabhi nahi jagayengi aapko.... waise subah ki neend ki baat hi aur hai.

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  18. अजगर करे ना चाकरी वाली बात याद आ गई...वाह...
    नीरज

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  19. bhai
    badiya rachna
    taai tak ko pasand aa gai
    kamaal hai
    badhai

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  20. अरे भाई हमारे यहां(भारत वासी ) तो आप के भी गुरु ६ बजे पार्टी का समय बोलो ९ बजे आयेगे, दोपहर १२ का समय बोलो शाम को ४ बजे आयेगे??? वेसे मेरे को २ बजे बोलो तो २ बजे ही पायो गे,टाईम का पाबंद,आलसी लोगो को हमारे हिटलर सहाब ने ठीक कर दिया था...अभी तक यहां आलसी पेदा नही होते.....

    धन्यवाद

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  21. छः बजे तो सात है,
    वल्लाह क्या बात है, क्या बात है, क्या बात है....

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  22. मेरा ई-मेल आपकी ताजा पोस्‍ट की सूचना दे रहा है लेकिन आपका ब्‍लाग खोलने पर 6 नवम्‍बर वाली पोस्‍ट वाला पेज ही खुल रहा है । मुझे तकनीक की जानकारी शून्‍य प्राय: है । आपकी ताजा पोस्‍ट पढने के लिए मैं क्‍या करूं ।

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