यह केवल प्रजातंत्र में ही सम्भव हो सकता है कि आप किसी भी धर्म, समुदाय, जाती, दल या विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हुए भी दमन के भय के बिना दूसरी विचारधाराओं से स्वस्थ प्रतियोगिता कर सकते हैं.
जिस तरह पानी के कितने भी तेज़ दवाब में रहने पर भी लकडी का तिनका अंततः तैरकर ऊपर आ ही जाता है उसी प्रकार जनता द्वारा अपने प्रतिनिधि का चुनाव एक ऐसी विचारधारा है जो कि कितने भी अत्याचारों के बावजूद ऊपर आकर ही रहेगी. काश धर्म, सेना या प्रजातंत्र विरोधी विभिन्न वाद या सिद्धांत यथा राजतंत्र, साम्यवाद आदि के नाम पर निरीह जनता को गोलियों से भूनने वाले तानाशाह इस तथ्य को समय रहते समझ पायें.
भारत उपमहाद्वीप का ही उदाहरण लें तो पायेंगे कि यहाँ हमारा प्रजातंत्र चीन और बर्मा की दमनकारी साम्यवादी तानाशाही, पाकिस्तान व बांग्लादेश के आंतरायिक क्रूर सैनिक शासनों और नेपाल व भूटान के राजतन्त्रों से घिरा हुआ था. मगर भारत में जनतंत्र के सफल प्रयोग ने नेपाल, भूटान आदि में इस नए परिवर्तन को प्रेरित किया.
खैर, प्रजातंत्र से इतर तंत्रों पर फिर कभी बात करेंगे. अभी सिर्फ़ इतना ही कि मैं बहुत प्रसन्न हूँ.
कहानी लिखने का मेरा प्रयास "सब कुछ ढह गया" को मैं सफल मानूंगा क्योंकि आप सब ने उसे इतना पसंद किया. सुझावों और संदेशों के लिए आप सब का आभारी हूँ. धन्यवाद! |
मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि हमारे देश के प्रति अगर नजरिया अच्छा हो तो अधिक अच्छा लगेगा.
ReplyDeleteदेखे उम्मीद की एक किरण है ...काश वे हमारी आशायो पर खरे उतरे
ReplyDeleteपरिवर्तन भलाई के लिए हो है तो खुश होने वाली बात यह
ReplyDeleteओबामा साहब की जीत एक तरह से जाति, धर्म और वर्ग भेद से ऊपर उठकर प्रजातंत्र की जीत है ! आपके साथ साथ हम भी खुश हैं की मानवता के इतिहास में वे शान्ति स्थापित करने में सहायक हो ! मुझे ऐसा लगता है की अब अमरीकी जनता भी जंगो से उबकर अमन से रहना चाहती है और इसी की परणीती में इतने बड़े बहुमत से इनकी जीत हुई है ! इश्वर उन्हें जनता की उमीदो पर खरा उतारे यही कामना है !
ReplyDeleteओबामा ने कहा वही सही है
ReplyDelete" ये चुनाव मेरे बारे मेँ नहीँ हैँ -
ये आपका सँघर्ष है "-
कल व्हाईट हाउस के बाहर,
अपार भीड जब लोहे की जालियोँके सामने खडा था तब लोकतँत्र का सँघर्ष स्पष्ट दीख रहा था -
हमारा वोट भी काम आया :)
- लावण्या
इस खुशी को साझा करने के लिए कोई आपका कोई दलित दोस्त है?
ReplyDeleteयूफोरिया बीतने के बाद देखा जाये।
ReplyDeleteवैसे यह विलक्षणता अमेरिकी जनता ही कर सकती थी। भारत में तो जाति-वर्ग-धर्म में बंट कर जनता कचरा कर देती है।
Not a good news from Indian perspective at all.
ReplyDeleteबधाई !
ReplyDeleteअमेरिका में ओबामा का जीतना एक अभूतपूर्व घटना है, पर कॉमन मैन और अनुराग जी के शब्दों में कहना चाहूँगा कि भारत की नीतियों में उनका समायोजन कहॉं तक हो पाता है, हमारे लिए ये देखना भी जरूरी होगा।
ReplyDelete"सब कुछ दह गया" का शेष अंश अभी-अभी पढ़ा, बस इतना ही कहूँगा कि मजदूरों की पीड़ा पर लिखी गई यह एक सशक्त कहानी है। आज जब कहानी लिखने की नई तकनीकों का ईजाद हो रहा है, आपने पुरानी शैली में जान फूँक दी है, जैसा कि मैंने इसे प्रेमचंद का प्रभाव माना था, अब भी उसी पर कायम हूँ और मानता हूँ कि इस अर्थ में मनोवैज्ञानिक कहानियॉं ही ज्यादा यथार्थ सिद्ध होती हैं।
अमाँ अनुराग बाबू, जीतते कैसे नहीं,
ReplyDeleteएकदम क्लीन स्वीप लंका दहन !
अपुन ने हनुमान जी को लगा दिया था !
अब यह भी राजगद्दी के बाद सीता को बनवास दे दें, तो और बात है, लेकिन ऎसा होगा नहीं,क्योंकि वह ऎसा करेंगे नहीं, अपने को डेमोक्रेट सिद्ध करना ही होगा !
भाई आप को बधाई, लगता है आप ने भी वोट दिया होगा ??
ReplyDeletevery very much congratulation to you to sir for a new history wriiten by USA
ReplyDeleteजिस तरह पानी के कितने भी तेज़ दवाब में रहने पर भी लकडी का तिनका अंततः तैरकर ऊपर आ ही जाता है उसी प्रकार जनता द्वारा अपने प्रतिनिधि का चुनाव एक ऐसी विचारधारा है जो कि कितने भी अत्याचारों के बावजूद ऊपर आकर ही रहेगी.
ReplyDelete"very well said...these lines carry lot of weight and is applicable everywhere."
Regards
बहुत बढिया सर ! हम भी अच्छे की ही उम्मीद करते हैं ! धन्यवाद !
ReplyDeleteआपको भी एक जागरूक व्यक्ति के रूप में इस विश्व को बदल देने वाली घटना को नोटिस लेने के लिए बधाई।
ReplyDeleteu r smart indian
ReplyDeleteregards
कहा जा रहा है कि ओबामा भारत को कम अनुकूल रहेंगे । वास्तविकता क्या है-मालू नहीं ।
ReplyDeleteआप खुश तो हम भी खुश ।
बधाई !! आपको भी...ओबामा के जीतने से भारतवंशियों को फायदा होगा ....उन्होंने ओबामा का बहुमत से समर्थन किया...ऐसा मीडिया में कहा गया...इंशाल्लाह सब वैसा ही हो ...या बेहतर ...जैसा सोचा गया है. शेष तो अमेरिका के भले के बाद सोचा जा सकेगा....यह ओबामा और हम सब जानते हैं.
ReplyDeleteकाश धर्म, सेना या प्रजातंत्र विरोधी विभिन्न वाद या सिद्धांत यथा राजतंत्र, साम्यवाद आदि के नाम पर निरीह जनता को गोलियों से भूनने वाले तानाशाह इस तथ्य को समय रहते समझ पायें.
ReplyDelete............
एकदम सत्य कहा आपने.........
एक आश्वत व्यक्ति जीता यह बहुत ही खुशी की बात है .पर हमारी असली खुशी तो इसीमे होगी की ओबामा हमारे भारत के लिए सकारात्मक रवैया रखें