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सुरीला तेरे जैसा या
कंटीला मेरे जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
कभी गऊ सा सीधा सादा
कभी मरखना भैंसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
जी पाते न मर पाते
कुछ साँप छछूंदर जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
मानव का मोल रहा क्या है
अब सबका सब कुछ पैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
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जो कहते हैं उन्हें कहने दो
ReplyDeleteमैं कहूँ कि जीवन कैसा है ?
हम जैसा जी लें - वैसा है
जब तेरा साथ है जीवन का
फिर सोचना क्या है कैसा है
हम जैसा जी लें - वैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
ReplyDeleteबड़ा प्रोफाउण्ड सवाल है। आदिकाल से मनीषी जूझते रहे हैं इससे। और उत्कृष्ट साहित्य - दर्शन भी इसी से निकलता है।
आप तो जारी रखें सोचना।
सही कहा ज़िँदगी सचमुच एक पहेली है !
ReplyDeleteकविता अच्छी लगी अनुराग भाई
स स्नेह,
- लावण्या
जाने यह जीवन कैसा है?
ReplyDeleteजी पाते न मर पाते
ReplyDeleteकुछ साँप छछूंदर जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
बहुत सत्य कहा आपने !
जीवन पल में तोला
पल में माशा है !
नही समझ में आया, आज तक किसी के !
बहुत शुभकामनाएं !
मानव का मोल रहा क्या है
ReplyDeleteअब सबका सब कुछ पैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
आप ने सचाई सीधे सीधे रख दी है।
पं. भीमसेन जोशी का गाया कबीर "सब पैसे के भाई ..." बहुत याद आया।
कभी गऊ सा सीधा सादा
ReplyDeleteकभी मरखना भैंसा है
जाने यह जीवन कैसा
" bdee sachee abveevykte, simple and so straight, marvelleous"
regards
निस्सन्देह आज 'अब सबका सब कुछ है पैसा' वाली दशा दृष्टिगोचर होती है किन्तु विश्वास कीजिए, 'पैसा' से अधिक निर्धन कोई नहीं है । पैसा जहां जाता है, व्यक्ति को अकेला कर देता है ।
ReplyDeleteकिन्तु आपकी भावनाएं वर्तमान का कटु सत्य हैं ।
bhaiya aisa hi hai jeevan..kya kiya jaaye?
ReplyDeleteमुझे तो अडियल टट्टू सा लगता है.
ReplyDeleteमानव का मोल रहा क्या है
ReplyDeleteअब सबका सब कुछ पैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
कोई मोल नही जी .सब पैसा ही आज कल सबसे बड़ा है ..अच्छी लगी आपकी यह रचना
मानव का मोल रहा क्या है
ReplyDeleteअब सबका सब कुछ पैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
bahut badhiyaa likhaa!
कुछ ऐसा ही विचित्र है !
ReplyDeleteकटु यथार्थ का सार्थक चित्रण..........बहुत सुंदर.
ReplyDeleteजाने यह जीवन कैसा है??
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा..बेहतरीन!
कभी गऊ सा सीधा सादा
ReplyDeleteकभी मरखना भैंसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
जी पाते न मर पाते
कुछ साँप छछूंदर जैसा है
वाह बहुत खूब।
यथार्त के बहुत करीब से लिखी हुई कविता
ReplyDeleteसीधे शब्दों मैं गहरी बात
अतिउत्तम
यह जीवन र्क पहेली है, जिस ने इसे बुझ लिया वो पा+गल हो जाता है, यानि पा= पाना, ओर गल= बात,
ReplyDeleteओर हम सब को वो पागल ही लगता है.
बह्हुत ही सुन्दर कविता.
धन्यवाद
सुंदर रचना के लिये बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया :-)
ReplyDeleteबहुत व्यवहारिक बातें। अच्छी कविता।
ReplyDeleteजींदगी एक पहेली है कभी दुशमन है कभी सहेली है
ReplyDeleteजा के पकडा तो हाथ छील गये और तुम कहते हो चमेली है !!
जी पाते न मर पाते
ReplyDeleteकुछ साँप छछूंदर जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?
bahut khoob kaha aapne.
परस्पर विरोध के साथ जीवन को जीते जाना ही जीवन है . बहुत सुंदर रचना आपकी हर बार की तरह लाज़बाब
ReplyDeleteबधाई
'JANE YAH JEEVAN KAISA HAI?'
ReplyDeleteitne gehre vichar ko badi sadgi se vyakt kar diya hai. aashchry mishrit sawal hai.
Dohrate chale jane aur kuchh kehte chale jaane ko vivash karta hai...
-mansoorali hashmi