Tuesday, November 11, 2008

जीवन - कविता

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सुरीला तेरे जैसा या
कंटीला मेरे जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?

कभी गऊ सा सीधा सादा
कभी मरखना भैंसा है
जाने यह जीवन कैसा है?

जी पाते न मर पाते
कुछ साँप छछूंदर जैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?

मानव का मोल रहा क्या है
अब सबका सब कुछ पैसा है
जाने यह जीवन कैसा है?

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25 comments:

  1. जो कहते हैं उन्हें कहने दो
    मैं कहूँ कि जीवन कैसा है ?
    हम जैसा जी लें - वैसा है

    जब तेरा साथ है जीवन का
    फिर सोचना क्या है कैसा है
    हम जैसा जी लें - वैसा है

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  2. जाने यह जीवन कैसा है?
    बड़ा प्रोफाउण्ड सवाल है। आदिकाल से मनीषी जूझते रहे हैं इससे। और उत्कृष्ट साहित्य - दर्शन भी इसी से निकलता है।
    आप तो जारी रखें सोचना।

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  3. सही कहा ज़िँदगी सचमुच एक पहेली है !
    कविता अच्छी लगी अनुराग भाई
    स स्नेह,
    - लावण्या

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  4. जाने यह जीवन कैसा है?

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  5. जी पाते न मर पाते
    कुछ साँप छछूंदर जैसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    बहुत सत्य कहा आपने !
    जीवन पल में तोला
    पल में माशा है !
    नही समझ में आया, आज तक किसी के !
    बहुत शुभकामनाएं !

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  6. मानव का मोल रहा क्या है
    अब सबका सब कुछ पैसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    आप ने सचाई सीधे सीधे रख दी है।
    पं. भीमसेन जोशी का गाया कबीर "सब पैसे के भाई ..." बहुत याद आया।

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  7. कभी गऊ सा सीधा सादा
    कभी मरखना भैंसा है
    जाने यह जीवन कैसा
    " bdee sachee abveevykte, simple and so straight, marvelleous"

    regards

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  8. निस्‍सन्‍देह आज 'अब सबका सब कुछ है पैसा' वाली दशा दृष्टिगोचर होती है किन्‍तु विश्‍वास कीजिए, 'पैसा' से अधिक निर्धन कोई नहीं है । पैसा जहां जाता है, व्‍यक्ति को अकेला कर देता है ।
    किन्‍तु आपकी भावनाएं वर्तमान का कटु सत्‍य हैं ।

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  9. bhaiya aisa hi hai jeevan..kya kiya jaaye?

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  10. मुझे तो अडियल टट्टू सा लगता है.

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  11. मानव का मोल रहा क्या है
    अब सबका सब कुछ पैसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    कोई मोल नही जी .सब पैसा ही आज कल सबसे बड़ा है ..अच्छी लगी आपकी यह रचना

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  12. मानव का मोल रहा क्या है
    अब सबका सब कुछ पैसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    bahut badhiyaa likhaa!

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  13. कुछ ऐसा ही विचित्र है !

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  14. कटु यथार्थ का सार्थक चित्रण..........बहुत सुंदर.

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  15. जाने यह जीवन कैसा है??

    बहुत खूब लिखा..बेहतरीन!

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  16. कभी गऊ सा सीधा सादा
    कभी मरखना भैंसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    जी पाते न मर पाते
    कुछ साँप छछूंदर जैसा है
    वाह बहुत खूब।

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  17. यथार्त के बहुत करीब से लिखी हुई कविता
    सीधे शब्दों मैं गहरी बात

    अतिउत्तम

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  18. यह जीवन र्क पहेली है, जिस ने इसे बुझ लिया वो पा+गल हो जाता है, यानि पा= पाना, ओर गल= बात,
    ओर हम सब को वो पागल ही लगता है.
    बह्हुत ही सुन्दर कविता.
    धन्यवाद

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  19. सुंदर रचना के लिये बधाई स्वीकारें

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  20. बहुत व्‍यवहारि‍क बातें। अच्‍छी कवि‍ता।

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  21. जींदगी एक पहेली है कभी दुशमन है कभी सहेली है
    जा के पकडा तो हाथ छील गये और तुम कहते हो चमेली है !!

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  22. जी पाते न मर पाते
    कुछ साँप छछूंदर जैसा है
    जाने यह जीवन कैसा है?

    bahut khoob kaha aapne.

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  23. परस्पर विरोध के साथ जीवन को जीते जाना ही जीवन है . बहुत सुंदर रचना आपकी हर बार की तरह लाज़बाब
    बधाई

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  24. 'JANE YAH JEEVAN KAISA HAI?'
    itne gehre vichar ko badi sadgi se vyakt kar diya hai. aashchry mishrit sawal hai.
    Dohrate chale jane aur kuchh kehte chale jaane ko vivash karta hai...
    -mansoorali hashmi

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