Saturday, January 14, 2012

मकर संक्रांति की शुभकामनायें!

पिट्सबर्ग में उत्तरायण की सुबह के कुछ दृश्य और बचपन में जम्मू के लोहड़ी समारोहों में सुना एक गीत, जैसा, जितना याद रहा ...
हुल्ले नी माइ हुल्ले
दो बेरी पत्ता झुल्ले
दो झुल्ल पयीं खजूराँ
खजूराँ सुट्ट्या मेवा
एस मुंडे कर मगेवा
मुंडे दी वोटी निक्कदी
ओ खान्दी चूरी कुटदी
कुट कुट भरया थाल
वोटी बावे ननदना नाल
निन्नाँ ते वड़ी परजायी
ओ कुड़मा दे कर आयी


खिड़की से बाहर उत्तरायणी प्रभात
पिछले वर्ष की लोहड़ी पर मैं भारत में था। लोहड़ी 2011 की शाम कुछ प्यारे-प्यारे बच्चों के साथ

Thursday, January 12, 2012

सीमा - कविता

कैसा होता है प्यार? जीत के सब बस हार
सीमा तुम जकड़े थीं मुझको 
अपनी कोमल बाँहों में 
भूल के सुधबुध खोया था मैं 
सपनीली राहों में 
छल कैसा सच्चा सा था वह 
जाने कैसे उबर सका 
सत्य अनावृत देखा मैंने 
अब तक था जो दबा ढंका 
सीमा में सिमटा मैं अब तक 
था कितना संकीर्ण हुआ 
अज्ञ रहा जब तक असीम ने 
मुझको नहीं छुआ। 

Sunday, January 8, 2012

चौदहवीं का चांद - कुछ चित्र

पिछले दो दिनों से आकाश साफ़ है। कल पूर्णिमा है लेकिन आज भी चन्द्रमा बहुत सुन्दर लग रहा है। आइये देखें सुधाकर चन्द्रमा की कुछ झलकियाँ








[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Full moon as captured by Anurag Sharma]