Sunday, November 23, 2025

ग़ज़ल: आईना मारा गया 🪞

(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)

दोनों दिल ऐसे मिले, दिल का गिला सारा गया
ये जग हमारा हो गया, मेरा-तिरा सारा गया॥

तेरी वफ़ा ने छू लिया तो ज़ख़्म सारे भर गये
इक तेरे आने से मेरा दर्द-ए-दिल सारा गया॥

रात की तन्हाई में, इक चाँद, कुछ तारे भी थे
तेरे उजाले में मगर, उनका नशा सारा गया॥

इश्क़ के कूचे में हमने, नाम जब तेरा लिया
ग़मज़दा अपना फ़साना, लम्हों में सारा गया॥

रहने की, तेरे दिल के कोने में, लगन ऐसी जगी
हम जहाँ भी रहते थे, वाँ का पता सारा गया॥

बदसूरती पर मेरी जिसको, न ज़रा भी नाज़ था
तेरी नज़र को देखकर, वो आईना सारा गया॥

मैं यहाँ कुछ कर सकूँ, थोड़ी जगह मुझको भी दे
खुद को साबित करने में, मैं सारा का सारा गया॥
***

Saturday, November 8, 2025

लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार

प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ता, कथन-वाचन शृंखला में कुछ और साक्षात्कार यहाँ प्रस्तुत हैं।

विडियो साक्षात्कार - Video Interviews


आभार अशोक व्यास (आईटीवी ग़ोल्ड ITV Gold)

आभार मुक्ता सिंह-ज़ॉक्की (ईकल्पना पत्रिका eKalpana)

Friday, October 17, 2025

उलटबाँसी सूरज की

(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)

सुबह के सूरज की तो 
शान ही अलग है
ऊँचे लम्बे पेड़ों पर

शाम की बुढ़ाती धूप भी
देर तक रहती है मेहरबान
उपेक्षित करके छोटे पौधों को

यह भी कमाल है कि
छोटे पौधे बढ़ सकते थे
काश! धूप उन तक पहुँच पाती।