Sunday, January 9, 2011

डाटागंज से कुछ डेटा

रुहेलखंड प्रवास के कुछ चित्र

दातागंज, रामपुर, बरेली, बदायूँ, पापड, फीरोज़पुर आदि की एक चित्रमय यात्रा
गली के मोड पे, सूना सा ... 

सर्दी में वसंत 

राजमार्ग पर यातायात पुलिस
बरेली में पौष के चिल्ला जाडे 
बरेली का प्रसिद्ध मांझा
अपने गाँव की बिल्लियाँ 
गाँव का सूरज

गाँव के खेत में बजरबट्टू 

मेरा विद्यालय - सात वर्षों का गहन नाता

[सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा :: Photos by Anurag Sharma]

Friday, December 31, 2010

नव वर्ष 2011 की मंगलकामनायें!

नया साल एक मिला-जुला अहसास लेकर आता है। कुछ भी विशेष नहीं, हरेक पल की तरह सुख-दुख का एक जादुई मिश्रण। सुबह-सुबह अपनी माँ के चरणों में बैठा हुआ उनके फोन से अपने फोन पर उनके भाई-बहनों के नम्बर अपडेट कर रहा था। मामाओं से बहुत दिनों से बात नहीं हुई थी। सोचा कि अवसर का लाभ उठाते हुए उन्हें अभी नव वर्ष की शुभकामनायें दे दूँ। माँ से कहा तो बोलीं कि वे लोग नये साल की शुभकामनायें लेने देने से बचते हैं। जब तक मैं कारण पूछता, उन्होंने भारी आवाज़ और नम आँखों से बताया कि 31 दिसम्बर की ही एक अर्धरात्रि को उन्होंने अपनी माँ को खोया था।

दुखी हूँ परंतु इस बात की प्रसन्नता भी है कि वर्षों बाद आज मेरे पिताजी ने अपने पहले व्यक्तिगत कम्प्यूटर पर पहले इंटरनैट कनैक्शन पर अपना पहला ईमेल खाता खोल लिया है। मुझे खुशी है कि वर्षों के प्रतिरोध के बाद आज उन्होंने तकनीक की दुनिया से हाथ मिला ही लिया। शायद अब हम लोग बहुप्रतीक्षित विडिओ चैट कर सकेंगे।

नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनायें!
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Saturday, December 25, 2010

क्वांज़ा पर्व की बधाई! [इस्पात नगरी से - 35]

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क्वांज़ा पर जारी डाकटिकट्
क्रिसमस और हनूका के साथ ही मनाया जाने वाला एक पर्व है क्वांज़ा। अपेक्षाकृत नया पर्व क्वांज़ा अमेरिका में मुख्यतः अफ्रीकी मूल के लोगों द्वारा मनाया जाता है। एक सप्ताह चलने वाला यह उत्सव क्रिसमस के अगले दिन (26 दिसम्बर) से आरम्भ होकर नववर्ष (1 जनवरी) तक चलता है। हनूका की ही तरह इस पर्व में भी मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं परंतु उनकी संख्या सात होती है।

क्वांज़ा पर्व का नाम स्वाहिली भाषा के वाक्यांश "माटुंडा या क्वांज़ा" अर्थात "उपज का फल" से लिया गया था और इसकी जडें अश्वेत राष्ट्र आन्दोलन से जुडी थीं। यह उत्सव कैलिफोर्निआ राजकीय विश्वविद्यालय (लॉंग बीच) के "मौलाना कैरेंगा" व्यक्ति द्वारा 1966 के दिसम्बर में आरम्भ किया गया था। अमेरिका के इतिहास में अफ्रीकी मूल के लोगों का यह पहला अलग उत्सव था, शायद यही मौलाना कैरेंगा का उद्देश्य भी था। इस्लाम को मानने वाले मौलाना ने ईसाइयत को केवल गोरों का धर्म बताया था। मौलाना ने आरम्भ में क्वांज़ा को क्रिसमस के अश्वेत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते समय प्रभु यीशु के बारे में भी काफी कुछ कहा था। परंतु समय के साथ यह अलगाव बीती बात बन चुका है।

हाँ, अब यह अफ्रीकी समुदाय के आत्मगौरव और परम्पराओं से पुनर्मिलन का प्रतीक बनने की दिशा में अग्रसर है। यह पर्व गूँज़ो सबा (Nguzo Saba) नामक सात कृष्ण सिद्धांतों पर आधारित है: एकता, आत्मनिर्णय, संघ, आर्थिक सहकारिता, उद्देश्य, रचनात्मकता एवम् श्रद्धा। आज भी क्वांज़ा को क्रिसमस जैसी प्रसिद्धि भले ही न मिली हो, अमेरिका का एक बडा तबका चार दशकों से इसे मनाता रहा है।

हनूका, क्रिसमस और क्वांज़ा की हार्दिक बधाई!

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इस्पात नगरी से - पिछली कड़ियाँ
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