कल न था कल होना है जो
जीवन है बस पाना-खोना
चना अकेला भाड़ बड़ा है
मन में यह दुविधा न ढोना
टूटी छत बिखरी दीवारें
तन मिट्टी पर मन है सोना
तन मिट्टी पर मन है सोना
याद खिली मन के कोने में
हुआ सुवासित कोना कोना
हुआ सुवासित कोना कोना
श्रावणी पूर्णिमा की बधाई |
चित्र: रीतेश सब्र |