जीवन का जो मर्म समझते
लम्बी तान सदा सोते न
दुनियादारी अपनाते तो
हम भी ऐसे हम होते न
तत्व एक कोयले हीरे में
रख कोयला हीरा खोते न
फल ज़हरीले दिख पाते तो
बीज कनक के यूँ बोते न
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
(अनुराग शर्मा)
लम्बी तान सदा सोते न
दुनियादारी अपनाते तो
हम भी ऐसे हम होते न
तत्व एक कोयले हीरे में
रख कोयला हीरा खोते न
फल ज़हरीले दिख पाते तो
बीज कनक के यूँ बोते न
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
(अनुराग शर्मा)