उनका प्रेम समंदर जैसा
अपना एक बूंद भर पानी
उनकी बातें अमृत जैसी
अपनी हद से हद गुड़धानी
उनका रुतबा दुनिया भर में
हम बस मांग रहे हैं पानी
उनके रूप की चर्चा चहुँदिश
यह सूरत किसने पहचानी
उनके भवन भुवन सब ऊँचे
अपनी दुनिया आनी जानी
वे कहलाते आलिम फाजिल
हमको कौन कहेगा ज्ञानी
इतने पर भी हम न मिटेंगे
आखिर दिल है हिन्दुस्तानी
अपना एक बूंद भर पानी
उनकी बातें अमृत जैसी
अपनी हद से हद गुड़धानी
उनका रुतबा दुनिया भर में
हम बस मांग रहे हैं पानी
उनके रूप की चर्चा चहुँदिश
यह सूरत किसने पहचानी
उनके भवन भुवन सब ऊँचे
अपनी दुनिया आनी जानी
वे कहलाते आलिम फाजिल
हमको कौन कहेगा ज्ञानी
इतने पर भी हम न मिटेंगे
आखिर दिल है हिन्दुस्तानी
वे कहलाते आलिम फाजिल
ReplyDeleteहमको कौन कहेगा ज्ञानी ..
बहुत खूब हर शेर लाजवाब और आखरी शेर तो मुस्कान ले आया ... आखिर दिल जो है हिन्दुस्तानी ...
इतने पर भी हम न मिटेंगे
ReplyDeleteआखिर दिल है हिन्दुस्तानी
बिल्कुल…बढ़िया पंक्तियाँ हैं
बहुत खूब अनुराग जी | हरेक शेर अनूठा |
ReplyDeleteशशि पाधा
वाह !
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteMeek shall inherit the earth! जो विनयवत होगा, वही जीतेगा!
ReplyDeleteअपनी छतरी किसी को दे दें, कभी जो बरसे पानी,
ReplyDeleteफिर भी दिल है हिन्दुस्तानी!
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बहुत ख़ूब!!
सभी एक से एक सार्थक पंक्तियाँ !
ReplyDeleteबहुत खूब...जो उनका है वही तो अपना है..
ReplyDeleteअपना तो सब बेगाना है..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeletebahut hi umdaa............!!
ReplyDeleteएक सुन्दर सी ध्वनि आ रही है इस कविता से.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteबहुत खूब, हिंदुस्तानी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteधन्यवाद शास्त्री जी।
ReplyDeleteWoww
ReplyDeleteबहुत खूब। नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ, सादर।
ReplyDeleteलाजवाब रचना...
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